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भूपेंद्र पटेल होंगे गुजरात के नये मुख्यमंत्री

हरियाणा एवं मध्य प्रदेश में चल सकती है भाजपा उत्तराखंड, कर्नाटक व गुजरात जैसा चुनावी दाव!

देव सिंह रावत 

गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक मंडल ने सर्वसम्मति से भूपेंद्र भाई रजनीकांत पटेल को गुजरात का अगला मुख्यमंत्री के लिये चयनित किया।घाटलोदीया विधानसभा क्षेत्र से  पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने रखा। जिसका समर्थन उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने रखा। गुजरात के सबसे मजबूत पाटीदार समाज से संबंध रखने वाले भूपेंद्र भाई पटेल आज शाम 6:00 बजे राज्यपाल से मिले और  उन्होंने भारतीय जनता पार्टी  विधानमंडल का भूपेंद्र  पटेल को के मुख्यमंत्री बनाने का  सर्वसम्मत प्रस्ताव भी सौपा। सूत्रों के अनुसार कल 2:30 बजे के करीब भूपेंद्र पटेल  का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा । इस शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह भी भाग लेंंगें।

मुख्यमंत्री चुने जाने पर भूपेंद्र भाई पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह सहित सभी नेताओं का आभार प्रकट करते हुए आश्वासन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे।

भाजपा द्वारा  पटेल को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर  प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने इसे भाजपा का चुनावी जातिवादी दाव बताया। वही 12वीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण करने वाले भूपेंद्र पटेल को आनंदीबेन पटेल के समर्थकों में गिना जाता है ।आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए किया गया गुजरात सरकार में यह नेतृत्व परिवर्तन भाजपा को फिर से सत्तासीन करने में कहां तक सहायक रहेगा यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे।

उत्तराखंड,कर्नाटक के बाद गुजरात में हुए प्रदेश सरकार के नेतृत्व परिवर्तन से साफ संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा अगर हरियाणा व मध्य प्रदेश प्रदेश सरकार अगर जनादेश अर्जित करने में कहीं कमजोर नजर आती है तो इन दोनों प्रदेशों में भी भाजपा आला नेतृत्व प्रदेश सरकारों के मुखिया को बदलने से गुरेज नहीं करेगा ।उल्लेखनीय है कि जिस प्रकार से किसान आंदोलन से उपजे विसाद  व हरियाणा में प्रभावी जाट समुदाय की उपेक्षा के आरोप को मरहम लगाने के लिए हरियाणा में भाजपा आला नेतृत्व जनता का विश्वास अर्जित करने के लिए गुजरात की तरह हरियाणा में भी प्रभावी समाज से जुड़े विधायक को प्रदेश की कमान सौंप सकती है।
देखना है भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व का चुनावी टोटका उक्त प्रदेशों में क्या गुल खिलाता है? हालांकि स्वस्थ समाज व लोकतंत्र में योग्य व्यक्ति को पद आसीन करने की बजाए चुनावी,दलीय व निहित स्वार्थों के लिए जातिवाद क्षेत्रवाद व भाई भतीजावाद को वरीयता देना, समाज व देश प्रदेश के साथ लोकशाही को पतन के गर्त में ही धकेलता है।

भाजपा सहित देश के विभिन्न राज्यों में सत्तासीन राजनीतिक दलों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि  जनहित और राष्ट्रहित न्याय हित को ही वरीयता देकर सरकार सुशासन स्थापित करे। भारत के तमाम राजनीतिक दलों में यह देखा जा रहा है कि  सत्तासीन होते ही वे जन आकांक्षाओं को नजरअंदाज करके केवल क्षेत्रवाद जातिवाद  व धनबल आदि की टोटकों से चुनावी समर जीतना चाहते हैं।

जिसके कारण  जनता भ्रष्टाचार, अफसरशाही,  महंगाई ,बेरोजगारी व  आतंकवाद से त्रस्त होती है।

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