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आतंकी साम्राज्य का अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता : प्रधानमंत्री मोदी

#चार_धामों, #शक्तिपीठों व #तीर्थों की व्यवस्था, स्थापना व संकल्पना #एक_भारत_श्रेष्ठ_भारत की अभिव्यक्ति है: #प्रधानमंत्री_मोदी

अविनाशी अनादि व अव्यक्त हैं  शिवजी, जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आज किया सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास । इस अवसर पर प्रधान-मंत्री का सम्बोधन

20 अगस्त 20 21 साभार  पसूकाभास

आज मुझे समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी और जीर्णोद्धार के बाद नए स्वरूप में जूना सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है।

साथ ही आज पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ है।

आज मैं लौह पुरुष सरदार पटेल जी के चरणों में भी नमन करता हूँ जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई।

सरदार साहब, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे।
आज मैं, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी प्रणाम करता हूँ जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया।

प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।

ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं।

इसलिए शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं।

शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है।

इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहाँ की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई।

लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।

जो तोड़ने वाली शक्तियाँ हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वो किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन, उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती।
हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की।

इसलिए, जब मैं ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की बात करता हूँ तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है।

ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।

इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना,

हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।

पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक,

उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक,

ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं।

पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानवी को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है।

इसी का परिणाम है कि 2013 में देश Travel & Tourism Competitiveness Index में जहां 65th स्थान पर था, वहीं 2019 में 34th स्थान पर आ गया।

अब यहाँ आने वाले श्रद्धालु जूना सोमनाथ मंदिर के भी आकर्षक स्वरूप का दर्शन करेंगे, नए पार्वती मंदिर का दर्शन करेंगे,

इससे यहां नए अवसरों और रोजगार का सृजन होगा और स्थान की दिव्यता भी बढ़ेगी।

जब मैं भारत जोड़ो आंदोलन की बात करता हूँ तब उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है, एक भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से भी जोड़ने का संकल्प है।
पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानव को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है।

इसी का परिणाम है कि 2013 में देश ट्रेवल एंड टूरिज्म कंपेटिटिवनेस इंडेक्स में जहां 65वें स्थान पर था, वहीं 2019 में 34वें स्थान पर आ गया।

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