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चौरी चौरा काण्ड की शताब्दी समारोह का 4 फरवरी को उदघाटन करके प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री योगी देंगे अमर शहीदों को श्रद्धांजलि

 

गांधी जी द्वारा चौरी चौरा काण्ड को हिंसक मान कर ऐतिहासिक असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने से क्रांतिकारियों ने किया था भारी विरोध

जुल्मी फिरंगी पुलिस कर्मियों को भी शहीद का दर्जा क्यों?

नई दिल्ली(प्याउ)। भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने के लिए गांधी जी के नेतृत्व में छेडे गये देशव्यापी ऐतिहासिक असहयोग आंदोलन में उप्र के गोरखपुर में ‘चौरी चौरा ‘ काण्ड हुआ उसके सो साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री योगी शताब्दी समारोह का शुभारंभ करके ‘‘चौरी चौरा ‘ काण्ड के अमर बलिदानियों की पावन स्मृति को कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर, उत्तर प्रदेश स्थित ‘‘चौरी चौरा ‘ ’ शताब्दी समारोहों का 4 फरवरी, 2021 को दिन में 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करेंगे। 4 फरवरी को ‘‘चौरी चौरा ‘ ’ कांड के 100 पूरे हो रहे हैं। चैरी चैरा की घटना देश के स्वाधीनता संघर्ष में मील का पत्थर सिद्ध हुई थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ‘चौरी चौरा ‘ को समर्पित एक डाक टिकट भी जारी करेंगे। इस उद्घाटन कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे।
राज्य सरकार की योजना उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में शताब्दी समारोहों और विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की है। यह आयोजन 4 फरवरी 2021 से शुरू होंगे और एक वर्ष तक 4 फरवरी, 2022 तक जारी रहेंगे।
यह दुनिया के आजादी के आंदोलनों में ऐसा विलक्षण काण्ड है जहां आंदोलनकारी देशभक्तों के साथ उनको गोली मारने के गुनाहगार पुलिस वालों को भी शहीद माना जाता है। गौरतलब है कि शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों को गोलियों से भूनने वाले ये पुलिस कर्मी गोलियां खत्म होने पर आक्रोशित आंदोलनकारियों से बचने के लिए थाने में छुप गये थे। पर आक्रोशित आंदोलनकारियों ने थाने को ही आग के हवाले कर दिया। परन्तु आजादी के बाद इन पुलिस वालों को कर्तव्यपरायणता करते करते अपनी जान निछावर करने के लिए इनको भी शहीद माना जाता है।थाने के पास ही बनायी गयी पुलिस वालों की समाधी पर पुलिसवाले शहीद हुए फिरंगी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हैं। देशभक्तों का दमन करने वाली फिरंगी पुलिस को श्रृद्धांजलि देने इसको अनैक देशभक्त उचित नहीं मानते हैं। आजादी के परवानों के हाथों मारे गये इन जुल्मी फिरंगी पुलिस कर्मियों को शहीद का दर्जा क्यों?
उल्लेखनीय ह ै ि क 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर क े ‘चौरी चौरा ‘ में देशभक्त,महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ा ें आदि का बहिष्कार का आवाहन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रहे थे। तभी वहा ंएक पुलिस के सिपाही ने आंदोलनकारी की गांधी टोपी को पांव से रौंद दिया। गांधी टोपी को रौंदता देख सत्याग्रही आक्रोशित हो कर जैसे ही इसका विरोध किया तो पुलिस ने जुलूस पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें 11 आंदोलनकारी शहीद हो गए तथा चार दर्जन से अधिक आंदोलनकारी घायल हो गये। यह देख कर आंदोलनकारी आक्रोशित हो गये। पुलिस कर्मियों की गोली खत्म हो गयी और वे थोने में घुस कर छुप गये। आक्रोशित आंदोलनकारियों ने थाने को चारों तरफ से घेर कर आग के हवाले कर दिया। आंदोलनकारियों के इस आक्रोश की ज्वाला में थानेदार सहित 22 पुलिस कर्मियों व 3 नागरिकों ने भी दम तोड़ दिया। इस काण्ड में किसी तरह से बच गये एक सिपाई ने इस घटना की इतला कलेक्टर को दिया।
इस घटना की खबर सुनते ही गांधीजी बेहद आहत हुए । गांधी जी ने ‘चौरी चौरा ‘ काण्ड को हिंसक मानते हुऐ आजादी के लिए अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ चल रहे देशव्यापी असहयोग आन्दोलन को बंद करने का ऐलान कर दिया। गांधी जी की इस घोषणा का देखभक्त क्रांतिकारियों ने भारी विरोध किया।
ब्रिटिश हुकुमत की चूलें ‘चौरी चौरा ‘ काण्ड से बुरी तरह से हिल गयी थी। वे इस काण्ड की ऐसी कड़ी सजा देना चाहते थे कि जिसको देख कर भारतीय अंग्रेजों के खिलाफ आवाज तक न निकाल सके। शासन ने चौरी चौरा काण्ड के लिए सैकड़ों लोगों को आरोपी बना कर जेलों में ठूस दिया। उन पर हैवानियत जुल्म ढाये गये। बनाया। गोरखपुर सत्र न्यायालय ने एक साल के अंदर ही इस काण्ड के लिए 172आरोपियों को मौत की सजा सुनाई। 2आरोपियो को दो साल की सजा और 47 को छोड दिया। इस फैसले के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता व जननेता मदन मोहन मालवीय ने बडे न्यायालय में मुकदमा लड कर अनैकों की जान बचा ली। बडे न्यायालय ने चौरी चौरा काण्ड के लिए 2 2 1आरोपियों में से 19 अभियुक्तों को मृत्यु दण्ड, 16 को काला पानी व शेष आरोपियों को लोगों को 2 से 8 साल की सजा दी गई। 38 को छोड़ दिया गया।

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