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गरीबों को दिल्ली मेंट्रो में यात्रा करने से वंचित रखने के षडयंत्र (नकद मुद्रा न लेकर) को दूर करें प्रधानमंत्री मोदी

दुनिया को 21वीं सदी के भारत की आधुनिकता व प्रगति की झलक (चालक रहित मेट्रो से) दिखाते हुए गरीबों व बेरोजगारों की भी सुध लें प्रधानमंत्री मोदी

 

प्रधानमंत्री मोदी ने आज देश की पहली चालक रहित मेंट्रो को हरी झंडी दिखाकर परिचालन के लिए किया रवाना

नई दिल्ली(प्याउ व पसूकाभास)।

प्रधानमंत्री जी स्वचालित कहो या चालक रहित मेट्रो का संचालन प्रयोगात्मक स्वागत योग्य है।
परन्तु भारत जैसे देश के लिए अमानवीय, अति जटिल व संवेदनशील कार्यो को छोड़कर स्वचालित यात्रिक को संचालित करना देश के हित में नहीं है।
यहां देश में अपार श्रमशक्ति है। वहां हुक्मरानों को ऐसी योजनायें बनानी चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले, न कि रोजगार के अवसर कम हो।प्रधानमंत्री जी दुनिया को 21वीं सदी के भारत की आधुनिकता व प्रगति की झलक चालक रहित मेट्रो से दिखाते हुए ं गरीबों व बेरोजगारों की सुध भी लें ।

क्योंकि दिल्ली मेट्रो गरीब जनता को इस आधुनिक परिवहन सेवा से सफर करने से वंचित करने का षडयंत्र कर रही है। यह षडयंत्र कोरोना से बचाव के नाम से किया जा रहा है। कोरोना के प्रारंभिक काल में एक ऐसा नियम बनाया गया था कि मेट्रों में नकद नहीं लेगा। परन्तु उसके कई महिने बाद भी जब पूरे देश की अर्थव्यवस्था पूर्ववत संचालित हो रही है। वहीं मेट्रों ने आज भी मेट्रो के सफर करने से आम आदमी को वंचित किये हुए है। यहां पर न तो नकद लेकर मेट्रो कार्ड बनाया जा रहा है व नहीं नकद से टोकन इत्यादि ही दिया जा रहा है। जिससे आम आदमियों को काफी परेशानी हो रही है। लोग यात्रा नहीं कर पा रहे है। देश के केवल दस प्रतिशत लोगों के पास ही एटीएम कार्ड/पेटीएम इत्यादि सुविधा है। इसके बिना मेट्रो में सफर नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चालक रहित मेट्रो के परिचालन को हरी झण्डी दिखाने पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए देश के वरिष्ठ पत्रकार व लोकशाही के ध्वजवाहक देवसिंह रावत ने उपरोक्त दो टूक गुहार लगाई।
उल्लेखनीय है कि आज 28 दिसम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने देश की पहली चालक रहित मेट्रो को हरी झण्डी दिखाकर परिचालन के लिए रवाना किया। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली मेट्रो के मजेंटा लाइन (जनकपुरी पश्चिम से बॉटेनिकल गार्डन नोएडा) पर प्रध्दूरस्थ विडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा हरी झंडी दिखाकर परिचालन के लिए रवाना किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व दिल्ली मेट्रो के भी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी दिल्ली तो देश की राजधानी है आज जब 21वीं सदी का भारत दुनिया में नई पहचान बना रहा है तो राजधानी में वह भव्यता दिखनी चाहिए। हमें आधुनिकता की नई पहचान देनी है। दिल्ली को आधुनिक रूप देने को अनेक प्रयास हो रहा है। दिल्ली में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ाने के लिए टैक्स में छूट दी है। अनाधिकृत कॉलोनी और झुग्गियों को मालिकाना हक दिया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ दशक पहले जब शहरीकरण का असर और शहरीकरण का भविष्य, दोनों ही बिल्कुल साफ था तो उस समय एक अलग ही रवैया देश ने देखा। भविष्य की जरुरतों को लेकर उतना ध्यान नहीं था, आधे-अधूरे मन से काम
इस सोच से अलग, आधुनिक सोच ये कहती है शहरीकरण को चुनौती ना मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम म्ंेम व िस्पअपदह बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है
2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले है।
ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं ये करोड़ों भारतीयों के जीवन में आ रही म्ंेम व िस्पअपदह के प्रमाण हैं। ये सिर्फ ईंट पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बने इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं बल्कि देश के नागरिकों, देश के मिडिल क्लास की आकांक्षा पूरा होने के साक्ष्य है।
हमारी सरकार ने मेट्रो पॉलिसी बनाई और उसे चैतरफा रणनीति के साथ लागू भी किया। हमने जोर दिया स्थानीय मांग के हिसाब से काम करने पर, हमने जोर दिया स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने पर, हमने जोर दिया मेक इन इंडिया विस्तार पर, हमने जोर दिया आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग पर।
हमने ध्यान दिया कि मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल शहर के लोगों की जरुरतों और वहां की प्रोफेशनल लाइफस्टाइल के हिसाब से ही होना चाहिए। यही वजह है कि अलग अलग शहरो में अलग अलग तरह की मेट्रो रेल पर काम हो रहा है।
साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी सात सौ किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे हैं।
दिल्ली मेरठ त्त्ज्ै का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा। मेट्रोलाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है।
मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया से लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है, और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है।
आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया मेट्रो कंपोनेंट्स के निर्माण में जुटी हैं। इससे डंाम पद प्दकपं के साथ ही, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।
अभी मुझे बिना ड्राइवर के चलनी वाले मेट्रो रेल का उद्घाटन करने का अवसर मिला है। आज इस उपलब्धि के साथ ही हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह की सुविधा हैं।
हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का भी प्रयोग कर रहे हैं जिनमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत उर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाया जाएगा।
आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक और सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन मोबिलिटी कार्ड इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। आप जहां कहीं से भी यात्रा करें, आप जिस भी चनइसपब जतंदेचवतज से यात्रा करें, ये एक कार्ड आपको पदजमहतंजमक ंबबमेे देगा।
आज तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करके देश की ताकत को बढ़ाया जा रहा है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत को मजबूत किया जा रहा है। वन नेशन, वन मोबिलिटी कार्ड की तरह ही बीते वर्षों में हमारी सरकार ने देश की व्यवस्थाओं का एकीकरण करने के लिए अनेक काम किए है।
वन नेशन, वन थ्ंेजंह से देशभर के हाइवे पर ट्रैवल सीमलेस हुआ है। वन नेशन, वन टैक्स यानि ळैज् से देशभर में टैक्स का जाल समाप्त हुआ है । वन नेशन, वन पावर ग्रिड, से देश के हर हिस्से में पर्याप्त और निरंतर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है। बिजली का नुकसान कम हुआ है।
वन नेशन, वन गैस ग्रिड से, उन हिस्सों की ैमंउसमेे ळंे ब्वददमबजपअपजल सुनिश्चित हो रही है, जहां गैस आधारित जीवन और अर्थव्यवस्था पहले सपना हुआ करता था। वन नेशन, वन हेल्थ एश्योरेंस स्कीम यानि आयुष्मान भारत से देश के करोड़ों लोग पूरे देश में कहीं भी इसका लाभ ले रहे हैं।
वन नेशन, वन राशनकार्ड, से एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशनकार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और म-छ।ड जैसी व्यवस्थाओं से वन नेशन, वन एग्रीकल्चर मार्केट की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।
साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी सात सौ किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे है।
त्त्ज्ै- दिल्ली मेरठ त्त्ज्ै का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा। मेट्रोलाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है।
प्रधानमंत्री व दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित देश की तमाम सरकारों से देश की जनता व बेरोजगार अपने हितों की सुध लेने की आश लगाये हुए है। परन्तु जब सरकार जनविरोधी तंत्र के कृत्यों के प्रति उदासीन रहते हैं तो जनता बेहद आहत होती है।

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