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सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत के बाद प्रधानमंत्री मोदी पावन बदरी केदार क्षेत्र को ही बना सकते है अपनी तपस्थली!

पावन बदरी केदार धाम को विश्व को सबसे मनभावन व व्यवस्थित धाम बनाना चाहते है  प्रधानमंत्री मोदी !

प्रधानमंत्री ने  9 सितम्बर को विडियो कांफ्रेंसिग द्वारा देखी बदरी नाथ धाम मास्टर प्लान की प्रस्तुतिकरण

देवसिंह रावत
9 सितम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेसिंग द्वारा पृथ्वी में भगवान विष्णु के सर्वोच्च व साक्षात धाम श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत,पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, सहित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिये जा रहे प्रस्तुतिकरण पर उचित मार्गदर्शन दिया। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सहित देश के किसी भी नेता व  नौकरशाह को शायद ही इस बात का अहसास होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे पावन धाम बदरी केदार नाथ धाम को विश्व का सबसे मनभावन व व्यवस्थित धाम बनाना चाहते है।
प्रधानमंत्री मोदी के श्री बदरी केदार क्षेत्र में गहरा लगाव को देखते हुए मेरे अंतकरण में ऐसा अहसास होता है कि  प्रधानमंत्री मोदी सक्रिय राजनीति से सेवा निवृत होने के बाद पावन बदरी केदार क्षेत्र को ही अपनी तपस्थली बनायेंगे । आध्यात्म जीवन के जिस  तप को प्रधानमंत्री मोदी को सक्रिय राजनीति में उतरने के कारण अधूरा छोड़ना पड़ा, लगता है कि उसी  अधूरी तपस्या को प्रधानमंत्री मोदी जब भी सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने के बाद अवश्य पूरा करेंगे। इसके लिए तपोभूमि,पावन बदरी केदार की मोक्ष भूमि के अलावा कहीं दूसरी हो ही नहीं सकती। जिस प्रकार से केदारनाथ धाम क्षेत्र में तप हेतु कुटियाओं का भी निर्माण को प्रदेश शासन से कराया गया। उसके पीछे भी प्रधानमंत्री की परिकल्पना ही है।
यह भी निश्चित लग रहा है कि मोदी जी एक और कार्यकाल के लिए देश को अपने नेतृत्व से लाभान्वित कर सकते है। उन्होने शताब्दियों से चली रामजन्म भूमि समस्या हो या आजादी के समय से चली आ रही कश्मीर की धारा 370 की समस्या, तीन तलाक सहित कई समस्याओं का उन्होने बहुत ही कुशलता से समाधान कर चूके है। वर्तमान कार्यकाल में वे चीन व पाक के साथ की समस्याओं के निदान के साथ समान नागरिक संहिता व जनसंख्या नियंत्रण आदि कार्य को साकार करेंगे। उसके बाद मोदी जी तीसरे कार्यकाल के बाद राजनीति में उतरने से पहले के अपने अधूरे कार्य  यानी तपस्वी जीवन को चरम मुकाम पर ले जाने के लिए सन्याय ग्रहण करेंगे। हालांकि वर्तमान में भी वे सन्यासी जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु राजनीति से सन्यास ग्रहण करने के बाद वे एक सन्यासी की तरह संसारिक जीवन से दूर रहते हुए तपस्वी जीवन यापन करके भारतीय आदर्श जीवन पद्धति को साकार करेंगे।
हालांकि यह पहला अवसर नहीं है कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बदरीनाथ व केदारनाथ धाम के नव निर्माण कार्यो के बारे में जानकारी ली। वे कई बार श्रीबदरी व श्री केदार नाथ धाम के नव निर्माण तथा वहां व्यवस्था में सुधार के लिए स्वयं प्रदेश के नेतृत्व व वरिष्ठ नौकरशाहों को समय समय पर निर्देश दे चूके है।  शायद प्रधानमंत्री के मन में केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में यात्रा के समय उचित व्यवस्था न होने के कारण दर्शनार्थियों व श्रद्धालुओं को होने वाली पीड़ा का अहसास हो। उसी का निवारण करने की प्रधानमंत्री ने ठानी हो। इसी दिशा में उन्होने प्रदेश में बदरी केदार सहित अन्य मंदिरों की व्यवस्था को पावन व व्यवस्थित बनाने के लिए नया प्रबंध तंत्र का भी गठन कराया। बहुत कम लोगों को इसका भान है कि इस नये प्रबंधन न्यास के पीछे प्रधानमंत्री मोदी हैं। प्रदेश में राजनैतिक विरोधी इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र रावत को ही गरियाते रहे। जबकि यह पूरी कल्पना प्रधानमंत्री मोदी की है। वे चाहते है कि तीर्थ यात्रियों को इन दोनों पावन धाम की यात्रा  के दौरान पावनता के साथ उचित व्यवस्था मिले जिससे उनकी तीथ् ियात्रा स्मरणीय बन सके।  उतराखण्ड को प्रकृति ने जहां पावन तीर्थ दिये वहीं पर्यटन की दृष्टि से भरपूर समृद्ध बनाया। यहां सैलानी व तीर्थयात्री बड़ी संख्या में आना चाहते है परन्तु यहां पर पर्यटन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण लोग यहां यात्रा करने से कटते रहते है। इसके लिए सात्विक भोजनालयों की श्रृंखला के साथ साथ परिवहन व्यवस्था में भी व्यापक सुधार की जरूरत है। इसके साथ बदरी केदार से लेकर प्रदेश के सभी धार्मिक व पर्यटन स्थलों पर ठहरने व पूजा दर्शन की समुचित व्यवस्था में भी व्यापक सुधार की नितांत जरूरत है। शायद इन्हीं कमियों को देख कर प्रधानमंत्री मोदी सनातन धर्म की इन दोनों सर्वोच्च धाम में व्यवस्था में व्यापक सुधार करने का भागीरथी प्रयत्न कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी बहुत ही आस्तीक व श्रद्धालु है। राजनीति में आने से पहले वे युवावस्था में श्री हरि हर के चरणों में खुद को समर्पित करने मोक्षभूमि उतराखण्ड में तप भी करते थे। भगवान शिव के परम भक्त मोदी जी भारत सहित विश्व के पहले प्रधानमंत्री है जो शासनाध्यक्ष होते हुए तपस्या में लीन रहे । मुझे तो इस बात की हैरानी होती थी कि उनको केदारनाथ त्रासदी के समय केदारनाथ जाने से उतराखण्ड के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा रोके जाने के बाद जब तक प्रदेश से कांग्रेस की सरकार उखाड कर भाजपा को सत्तासीन नहीं किया गया वे तब तक केदारनाथ धाम  नहीं आये। जबकि प्यारा उतराखण्ड में मेने उनकी इस बेरूखी पर कई लेख भी लिखे थे। परन्तु जैसे उन्होने केदारनाथ न जाने देने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भाजपा में सम्मलित करके  तथा प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सुफड़ा साफ करके भाजपा को सत्तासीन कियाए प्रधानमंत्री तत्काल केदानाथ धाम के दर्शन को गये।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष केदारनाथ धाम में एक रात्रि का तप प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ धाम के समीप एक गुफा में किया था। ऐसा नहीं है कि मोदी ही एकलोते राजनेता है जिसको मोक्षभूमि उतराखण्ड से गहरा आध्यात्मिक समर्पण है। भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्षा व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती पर तो जब भी कोई संकट आता है वे उतराखण्ड  के मदमहेश्वर सहित कई पावन क्षेत्रों में चिंतन मंथन करती है।
परन्तु प्रधानमंत्री मोदी सदैव अपने विचारों व सपनों को अपने शासन काल में ही मजबूती से धरातल में उतारने के लिए जाने जाते है।
उतराखण्ड सूचना केंद्र द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार 9 सितम्बर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। साथ ही श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव दिलीप जावलकर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने निर्देश दिये कि श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व बना रहे।मिनी स्मार्ट, स्पिरीचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए। होम स्टे भी विकसित जा सकते हैं। निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी इससे जोङा जाए।                 बदरीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष लाइटिंग की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। बद्रीनाथ का मास्टर प्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से अधात्मिक हो।  प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि बदरीनाथ धाम व केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है। इनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और चारधाम राजमार्ग परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा काफी सुविधाजनक हो जाएगी।
बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि इसमें 85 हैक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य जी के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है। सरस्वती घाट पर आस्था पथ का काम पूरा हो गया है। दो ध्यान गुफाओं का काम इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। ब्रह्म कमल की नर्सरी के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। नर्सरी के लिए बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा रहा है।  ब्रिज का पुनर्निर्माण कर लिया गया है।

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