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द. चीन सागर में भारत की दखल से बौखलाये चीन को पैंगोल झील क्षेत्र,काला शिखर व चुमार में भी खानी पडी भारत के हाथों मात

मानवता व लोकशाही की रक्षा के लिए चीन व पाक जैसेे आतंकी देशों पर तत्काल अंकुश लगाये विश्व

चीन और पाकिस्तान को  सभी संबंध तोड़े भारत
देवसिंह रावत

द. चीन सागर में भारत की दखल से बौखलाये चीन को पैंगोल झील क्षेत्र,काला शिखर व चुमार में भी खानी पडी भारत के हाथों मात। भारतीय सेना ने इसी सप्ताह  नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण करने को उतारू चीनी सेना को करारा सबक सिखाते हुए यह साफ संदेश दे दिया है कि चीन अपनी हद में रहे। नहीं तो भारत न केवल चीन द्वारा ब्लात कब्जा किए हुए भारतीय भूभाग को हासिल कर लेगा, अपितु चीन को ऐसा सबक सिखाएगा कि भारत  के खिलाफ इस प्रकार की कृत्य करने का भविष्य में  ख्वाब भी नहीं देखेगा।

इसके साथ भारत को चीन व पाकिस्तान से अपने सभी प्रकार के संबंध तोड़ देना चाहिए। सरकार ने हालांकि चीनी अपन पर प्रतिबंध लगाया है ।परंतु चीन पर अंकुश  लगाने के लिए चीन व पाकिस्तान को आतंकी व शत्रु राष्ट्र घोषित  करके उससे सभी प्रकार के संबंध तोड़ देना चाहिए ।तभी भारत में शांति स्थापित होगी।
अभी भारत चीन द्वारा 15 जून 2020 को गलवान घाटी में दिए गए विश्वासघाती जख्मों की पीड़ा से उबर भी नहीं पाया था कि चीन द्वारा इसी सप्ताह भारत की सीमा पर पैंगोंग त्सो नामक झील के समीपवर्ती क्षेत्र अतिक्रमण करने का असफल प्रयास करने की खबरें सुनते ही 138 करोड़ भारतीयों के गुस्से का ज्वार फूट पड़ा। हालांकि चीन के इस षडयंत्र को भारतीय सेना ने उसी समय विफल कर दिया। भारतीय सेना ने साफ किया कि इस बार गलवान घाटी की तरह का संघर्ष नहीं हुआ। दोनों सेनाओं में किसी प्रकार शारीरिक झडपें नहीं हुई। परन्तु चीन ने अतिक्रमण करने का जो नापाक कृत्य किया था उसे भारतीय सेना ने पूरी तरह से विफल कर दिया। भारतीय सेना की इस सजगता से चीन भौचंक्का है।
सबसे हैरानी की बात यह है जिस समय चीन अतिक्रमण करने का नापाक कृत्य को अंजाम दे रहा था उसी समय चीन भारत के साथ सीमा पर तमाम तनाव को कम करने के लिए सैन्य व शासकीय स्तर पर वार्ता करने का ढोंग भी कर रहा है।
सामरिक विशेषज्ञ इस झड़प को भारत द्वारा इन दिनों चीन सागर में अपने युद्धपोत तैनात किए जाने के कारण भी एक आक्रोश की खाज भी मान रहे हैं।
वार्ताओं के इस दौर के बीच में हुई इस झडप के पीछे मूल कारण यह माना जा रहा है कि जिस प्रकार से भारतीय नौसेना ने पहली बार दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका का साथ देते हुए अपने युद्धपोत चीन सागर में तैनात कर चीन को खुली चुनौती दी है। इससे चीन बहुत ही बौखलाया हुआ है । इसी का खाज चीन ने  पैंगोंग त्सो  में अतिक्रमण करके उतारना चाहता था। परन्तु भारत की सजग सेना ने उसके इस नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया।
उल्लेखनीय हे कि चीन, दक्षिणी चीन सागर में अपना एकाधिकार जताकर अपने पडोसी आसियान देशों को धमकाता है।  उसके इस कृत्य का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देश, खास तौर पर वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया व ब्रूनेई आदि ने चीन की इस दादागिरी को खुली चुनौती दे रहे है ।चीन ने जिस प्रकार से इसी साल अप्रैल माह में इसी दक्षिणी चीन सागर के पारसेल द्वीप क्षेत्र में वियतनाम के एक पोत को जबरन डुबो डुबो देने का कृत्य किया। उससे वियतनाम चीन से बेहद आक्रोशित है ।यही नहीं फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो ने भी चीन को दक्षिण चीन सागर में अपने दीपों पर जबरन कब्जा करने के कृत्य के प्रति आगाह किया है ।इसके बाद अमेरिका ने जिस प्रकार से चीन को दक्षिण चीन सागर में अपने पड़ोसी देशों के हक हकूकों को रोंदने के कृत्य पर नाराजगी प्रकट करते हुए ,इस अंतरराष्ट्रीय मार्ग को एकाधिकार में लेने की चीन के कृत्य को खुली चुनौती दी है ।इसके खिलाफ अमेरिका ने अपने कई  अति महत्वपूर्ण युद्धपोतों को  दक्षिण चीन सागर में उतारकर व युद्धाभ्यास करके चीन को खुली चुनौती दे दी है ।इसके साथ ही चीन पर अंकुश लगाने के लिए  अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत ने भी कमर कस ली है। इससे चीन बहुत बौखलाया हुआ है। उसने भारत के चारों तरफ भी अपनी घेराबंदी कर दी है। इसी को भांप कर भारत ने चीन को खुली चुनौती देने के लिए अमेरिका सहित मित्र राष्ट्रों के साथ दक्षिण चीन सागर में अपने सामरिक युद्ध पोत उतार दिये है। इसी से नाखुश चीनी सेना ने  29/30 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में अतिक्रमण की कार्यवाही करने का असफल प्रयास किया। जिसे भारतीय सेना ने उसी समय विफल कर दिया।
भारतीय सेना के बयान के अनुसार, पैंगोंग त्सो के समीपवर्ती क्षेत्र में 29/30 अगस्त की दम रात को चीनी सेना  ने उस सहमति का उल्लंघन किया जो पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के दौरान सैन्य एवं कूटनीतिक बातचीत के दौरान बनी थी।
पैंगोंग त्सो नामक झील के पास हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव और बढ़ गया है। पैंगोंग झील पर भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर मौजूद थीं। इस झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर क्षेत्र में पहले भी झड़प हो चुकी है। मगर दक्षिणी किनारे सैनिकों के टकराव कम होता । पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के पास ही चुशूल है। यह रेजांग ला से 20 किमी दूरी पर ही स्थित है। रेजांग ला पर ही 1962 की जंग में भारतीय सेना की 13 कुमाऊं बटालियन  ने चीन के 13 सौ सैनिकों को मौत के घाट उतार कर उन्हें छटी का दूध याद दिलाया। भारतीय सेना की इस 120 जांबाज सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर शैतान सिंह कर रहे थे ।
पैंगोग झील पर चीन की नजर पहले से है। पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर भी टकराव कुछ माह पहले ही हुआ। चीनी सैनिक भारतीय जवानों को फिंगर 4 से पूर्व में नहीं जाने दे रहे। जबकि नियंत्रण रेखा ,फिंगर 8 पर उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है। फिंगर 3 और 4 के बीच भारत तिब्बत सीमा पुलिस की पोस्ट भी है। चीन फिंगर 2 तक और भारत फिंगर 8 तक अपनी सीमा मानता है।
इसी कारण निरंतर क्षेत्र में विवाद हो रहा है। भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन को कब्जाने के बावजूद भारत,कभी आक्रमक ढंग से अपनी जमीन वापस नहीं मांगी। शायद इसी को चीन भारत की कायरता समझ कर भारत की और भू भाग को कब्जा करने को उतारू है। परन्तु मोदी सरकार ने जिस आक्रामक ढंग से जवाब दे रही है,उसकी आशा चीन को नहीं थी। उसका नजरिया था कि भारतीय हुक्मरान केवल बयानबाजी तक सीमित रहते हैं। वे चीन का मुकाबला नहीं कर सकते। परन्तु पहली बार चीन को उसी की भाषा में उतर देने वाला शासक भारत के पास होने से चीन बेहद आशंकित व असहज महसूस कर रहा है। इसीलिए वह वार्ता का ढ़ोग में भारत को उलझाये रखना चाहता है।
पर खुद चीन,  भारत की सीमाओं का और भारत के साथ किए गए समझौतों का खुले आम उल्लंघन कर अतिक्रमण करने को उतारू है। इस सब के बावजूद चीन बेशर्मी से भारत के साथ मित्रता पूर्ण व व्यापारिक संबंध बनाए रखना चाहता है। कोरोना प्रकरण के बाद विश्व में तेजी से जो बदलाव हुए उसमें एक है, विश्व में चीन के खिलाफ व्यापक आक्रोश । उस आक्रोश को एकजुट कर रहे हैं अमेरिका व भारत आदि देश ।एक तरफ चीन द्वारा पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैलाने के बावजूद उसके साथ पाकिस्तान आदि देश अंध समर्थन दे रहे हैं, यह देख कर विश्व समुदाय बहुत आक्रोशित है ।इसी का नतीजा है कि रूस में अगले माह होने वाली कई देशों के सैन्य अभ्यास में भारत ने सम्मलित होने से इनकार कर दिया है ।  इस सैन्य अभ्यास में उसके परम शत्रु चीन व पाकिस्तान भी सम्मलित है ।इसलिए भारत ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए इससे दूर रहने का एलान कर दिया है ।हालांकि यह आयोजन भारत के सबसे करीबी मित्र रूस मे आयोजित हो रहा है। इस संयुक्त सैन्य अभियान में रूस के अलावा ईरान जैसे मित्र राष्ट्र भी भाग लेंगे ।परंतु भारत ऐसे किसी अभियान में भाग लेना नहीं चाहता है, जहां चीन व पाकिस्तान जैसे आस्तीन के सांप हो ।जिनके कारण आज पूरे विश्व में करोड़ों लोग तबाह हो चुके हैं लाखों लोग मारे जा चुके हैं।
अब बदली हुई परिस्थितियों में भारत सरकार को चाहिए कि वह चीन के प्रति अपनी मित्रता पूर्ण वर्तमान नीति की पुन्नःसमीक्षा करते हुए तत्काल चीन व पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित करते हुए उनसे सभी प्रकार के संबंध तोड़ दे । इसके साथ दोनों देशों को दो टूक चेतावनी दे कि भारत की उस हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन को तत्काल भारत को सौंपे, जो उन्होंने दशकों से कब्जा किए हुए हैं ।भारत सरकार को समझना चाहिए आक्रांता चीन व  पाकिस्तान अपनी धूर्तता व शत्रुता पूर्ण कुनीति से इस काबिल नहीं हेै कि भारत उनसे मित्रता के संबंध जारी रखें । इन दोनों आतंकी देशों से भारत अगर मित्रता पूर्ण संबंध रखेगा तो इससे भारत का ही नुकसान होगा। इसलिए इस स्थिति को समझते हुए भारत को तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए और चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इस सबसे अनुकूल समय का सदुपयोग करना चाहिए क्योंकि इस समय पूरा विश्व चीन और पाकिस्तान की कृतियों से बेहद आक्रोशित है।

चीन ने 6 देशों पर कब्जा कर रखा है। भारत की 43000 वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जा कर रखी है। 41.13 लाख इस वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखी है । समुद्री सुरक्षा को लेकर अमेरिका आस्ट्रेलिया आदि देशों की रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों की बैठक इस माह के अंत में इंडोनेशिया में हो रही है और अमेरिका के नेतृत्व में पूरा विश्व एकजुट हो रहा है। यह बैठक समुद्री सुरक्षा को लेकर हो रही है अमेरिका ने कहा है कि चीन भारत की भूमि पर अतिक्रमण करके भारत को लगातार उकसा रहा है। अमेरिका ने कहा है कि यह वक्त चीन के खिलाफ खड़े होने का है। इस बीच भारत के सेना प्रमुख ने जनरल नरवणे 2 दिन की लद्दाख यात्रा पर लेह पहुंच चुके हैं। यह पेंगो इलाके में विवाद के बाद सेना प्रमुख की पहली यात्रा है। वहीं भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस की यात्रा पर मास्को पहुंच गए हैं।
वहीं चीन के दो सास का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने अमेरिका का अत्याधुनिक एफ 35 लड़ाकू विमान को खरीदने की मंशा जाहिर की।
चीन की अतिक्रमण करने की नापाक हरकतों को देखकर भारत में न केवल लद्दाख अपितु पूरे चीन सीमा पर लगे क्षेत्रों में सीमा पर सेना को सजा  दिया गया है। टैंक सहित अत्याधुनिक हथियारों से सेना युक्त हो गई है। इसके साथ चीन का किसी दुसाहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वायु सेना को भी तत्पर रहने का फरमान जारी कर दिया गया है ।चीन से लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश व  सिक्किम के सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना को तैनात कर दिया गया है
चीन की हरकतों को देखकर ऐसा लगता है भारतीय नेतृत्व ने इस बार चीन को करारा सबक सिखाने के लिए मन बना लिया है
अमेरिका सहित विश्व के तमाम देशों को समझ लेना चाहिए कि अगर चीन व पाकिस्तान जैसे आतंकी देशों पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया तो आने वाले समय में विश्व मानवता के साथ लोकशाही के अस्तित्व के लिए ये दोनों सबसे बड़ा खतरा बनेंगे।

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