दुनिया देश

अमेरिकी चक्रव्यूह में फंसे चीन ने भारत को युद्ध की गर्त में धकेलकर खुद ही दिया अपने सर्वनाश को आमंत्रण

 

अमेरिका ने नाटो के बाद क्वाॅड नामक संगठन बनाकर चीन के विनाश की पटकथा वर्षों पहले लिख दी 

देव सिंह रावत

15 जून की रात को विश्वासघाती अलोकतांत्रिक व आक्रांता चीन ने भारत के निहत्थे सैनिकों पर हमला करके न केवल खुद को अमेरिकी चक्रव्यूह में फंसा दिया है,अपितु दुनिया में तेजी से विकास की डगर भर रहे भारत को भी बलात युद्ध गर्त में धकेल कर अपने सर्वनाश को आमंत्रण देने की आत्मघाती भूल कर बेठा।
चीन ने जिस हैवानियत से 15 जून की रात को गलवान घाटी में निहत्थे भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमला क्या उससे पूरा भारत की नहीं विश्व की आक्रोशित है चीन के इस विश्वासघाती हैवानियत कृत्य में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए वहीं दूसरी तरफ इस हमले में भारतीय सैनिकों ने अपना जौहर दिखाया उससे 43 चीनी सैनिक भी मारे गए हालांकि चीन अपने सैनिकों की मारे जाने की बात को स्वीकार करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
चीन, 6 जून2020 की बैठक में दोनों देशों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा को मानने की संयुक्त सहमति से पीछे हट रहा है और उसने गलवान घाटी में पीपी 14 जहां पर दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई वहां पर अनधिकृत रूप से निर्माण कर समझौते से पीछे हटा। अब चीन खुद को बेनकाब कर रहा है ।
भारतीय पक्ष की उदारता यह है कि भारत चीन द्वारा कब्जाए हुए हजारों वर्ग किलोमीटर भारतीय भू-भाग को वापस मांगने के बजाय केवल वर्तमान की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ही बात कर रहा है।
जबकि भारतीय पक्ष को हमेशा ही चीन से अस्काई चीन सहित हजारों वर्ग किलोमीटर कब्जायी हुई जमीन को वापस मांगने के बाद ही चीन से किसी प्रकार की वार्ता करनी चाहिए तथा इसके बाद ही संबंध रखना चाहिए था।
चीन अपनी गलती को स्वीकार करते हुए भारत से माफी मांगने के बजाय उल्टा भारत पर ही आरोप लगा रहा है कि पूरी गलवान घाटी चीन की है और भारतीय सेना ने चीन की सीमाओं का अतिक्रमण करके चीनी सैनिकों पर हमले करने का कृत्य किया ।
यही नहीं चीन ने 10 भारतीय सैनिकों को भी बंधक बनाया हुआ था ।बाद में भारत के दबाव में चीन ने उनको वापस कर दिया। चीन भारत पर निरंतर आरोप लगा रहा है तो चीन की सीमाओं का अतिक्रमण करके चीन को उकसाने का कृत्य कर रहा है ।यही नहीं चीन भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दे रहा है ।इसी को कहते हैं चोरी और सीनाजोरी ।
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने ,20 ,जून को साफ कर चुका है कि भारत ने कभी भी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया ।कभी दूसरे की सीमा के अंदर जाकर कभी इस प्रकार का उकसाने वाला काम नहीं किया ।अपितु चीन ने ही भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जा कर रखी है। चीन भारत की सीमा में घुसकर जो सैन्य वार्ताकारों के बीच में सहमति हुई थी, उस स्थान से हटने की अपनी सहमति को ही नजरअंदाज कर जबरन उस भू-भाग पर बना रहा ,तो तब भारतीय सेनाओं ने उस पर प्रश्न किया कर समझौते के अनुसार उस स्थान को खाली करने की मांग की तो चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर प्राण घात हमला करके भारत को युद्ध की गर्त में धकेलने का कृत्य किया।यही चीन के लिए आत्मघाती साबित होगी ।

चीन भूल गया कि इस समय पूरी दुनिया चीन के कृत्यों से बहुत आक्रोशित है। खासकर जिस प्रकार से कोरोना महामारी को छुपाकर चीन ने इसे विश्व में फैलाने का काम किया ।उससे पूरे विश्व में 4.30 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इसमें अमेरिका में ही 121000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। यूरोप में भी डेढ़ लाख के करीब लोग मारे जा चूके हैं। भारत में भी 13000 के करीब लोग इस बीमारी से मारे जा चुके हैं। संसार के 213 देशों में 8700000 लोग इस महामारी से पीड़ित हैं ।जिस प्रकार से चीन ने पूरी दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर पूरे विश्व को कोरोना से पीड़ित किया ।उससे पूरे विश्व को अरबों खरबों रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है ।करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। संसार की अर्थ व्यवस्थाएं जमीन सूंघ रही है। पूरे संसार में भयंकर आतंक छाया है ।वहीं चीन इस बीमारी के कारणों के बारे में समय पर दुनिया को सजग नहीं किया ।उल्टा पूरी दुनिया से उसने चिकित्सा उपकरणों को अपने यहां एकत्रित किया और उसके बाद पूरी दुनिया में मुंह मांगे दामों पर बेचकर दुनिया को लूटने का काम किया ।इससे पूरी दुनिया आक्रोशित हैं।
यही नहीं चीन के अपने 1 दर्जन से अधिक पड़ोसी देशों के साथ ताल्लुक भी बेहद अमित्रतापूर्ण है ।वह हर देश से सीमा विवाद बनाता रहता है और हर देश की जमीन पर अपना कब्जा करना चाहता है । उसकी विस्तारवादी नीति के कारण ही चीन जहां दक्षिण चीन सागर में वियतनाम फिलीपींस आदि देशों से लेकर विवाद है।
यही कारण है पूरा संसार चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठा है अमेरिका, जो चीन पर अंकुश लगाने के लिए बहाने ढूंढ रहा था।क्योंकि वह अपने आर्थिक साम्राज्य और अपने विश्व में प्रमुखता के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए वह चीन पर अंकुश लगाना चाहता था । क्योंकि अमेरिका के वर्चस्व को चीन बार-बार चुनौती दे रहा है । अब कोरोना महामारी से अमेरिका को चीन पर अंकुश लगाने एक बड़ा हथियार मिल चूका है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ खुली चेतावनी दे रहे हैं कि चीन को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे ।
यही नहीं उन्होंने चीन की कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए। ऐसे माहौल में जब पूरा यूरोप से लेकर और दुनिया के अधिकांश देश चीन को सबक सिखाने के लिए मन बना चुके हैं । चीनी सामानों के एक बड़े बाजार भारत ने भी उस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। वहीं आस्ट्रेलिया व यूरोप सहित विश्व के अनेक देशों में चीन से दूरियां मनाते हुए उस पर आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है । यह एक प्रकार से चीन के आर्थिक साम्राज्य की कमर तोड़ देगा।परंतु चीन पूरी दुनिया में अपने खिलाफ हो रहे इस गठजोड़ को नजरअंदाज करके भारत को किस प्रकार से युद्ध में धकेलने का आत्महत्या की। वह चीन के लिए ताबूत की कील साबित होगी।
भले ही चीन ने अपने नवनिर्माण के सात दशकों में अपने आप को विश्व की सामरिक और आर्थिक महाशक्ति बनाने बनाकर स्थापित करने का कार्य किया हो परंतु उसकी विस्तारवादी, अलोकतांत्रिक व हैवानियत भरी भूलों के कारण आज वह पूरे विश्व में अलग थलग पडकर अपने विनाश को खुद आमंत्रण दे चुका है।
चीन भूल चुका था कि अमेरिका उसको उस पर अंकुश लगाने के लिए बहाने ढूंढ रहा था और वह बहाने चीन में कोरोना महामारी के नाम पर पूरे विश्व में इसे फैलाने का जो कुकृत्य किया, वही एक मजबूत बहाना अमेरिका को दे दिया। अमेरिका पहले चीन की सामरिक व आर्थिक महाशक्ति बनने से परेशान था। वह चीन पर हर हाल पर अंकुश लगाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील था। जिस प्रकार से अमेरिका ने नाटो संगठन बनाकर सोवियत संघ का विघटन किया था वही आज अमेरिका में नाटो के साथ-साथ एक क्वाॅड नामक संगठन बनाकर चीन के विनाश की पटकथा वर्षों पहले लिख दी ।क्वाॅड संगठन मे अमेरिका जापान ऑस्ट्रेलिया भारत हैं ।इसमें न्यूजीलैंड वियतनाम दक्षिण कोरिया को भी सम्मलित किया जा रहा है। यह संगठन चीन की दादागिरी पर अंकुश लगाने के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र मिलकर काम करने का संकल्पित हैं ।

चीन की दादागिरी के खिलाफ यह संगठन एकजुट है ताइवान हांगकांग,फिलीपींस ,जापान, मलेशिया, दक्षिण कोरिया व अन्य सभी देशों को चीन की विस्तारवादी और अलोकतांत्रिक दंश से  मुक्ति दिलाएगा।

चीन अपने गरूर में भले ही इसे नजरअंदाज करते हुए अपने पड़ोसियों को धमकाते रहा । चीन की यही भूल
उसके अविनाश का कारण बनेगा ।अपने आने वाले विनाश के प्रति सचेत नहीं रहा ।

आज अगर रूस में पुतिन नहीं होता तो रूस भी अपनी बदहाली की दास्तान लिख रहा होता ।
परंतु पुतिन ने मजबूती से रूस को पुनः स्थापित करने का काम किया एक सामरिक महाशक्ति व आर्थिक शक्ति के रूप में वह काबिले तारीफ है ।परंतु चीन अपनी प्रभुता को पचा नहीं पाया वह अपने आसपास के पड़ोसी देशों से मित्रवत व्यवहार बनाने के बजाय उनको बलात कब्जा करना, उनको भयभीत करना व उनके भूभाग पर जबरन कब्जा कर अपनी सीमाओं में मिलाना। इस प्रकार की कुकृत्य करने से चीन खुद को भले ही महान समझे ,परंतु वह भूल गया था कि उस पर अमेरिका की वक्र दृष्टि दशकों से लगी हुई है। चीन ने अपने सबसे बड़े हितेषी भारत की ही हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा किया। यही नहीं जिस भारत में उसे संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई सदस्यता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की व जिस भारत ने उसे विश्व का एक सम्मानित देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, उस भारत से चीन ने हमेशा विश्वासघात करने का ही काम किया। आज भी चीन उसी विश्वासघाती कृत्य कर रहा है जब भारत उससे मित्रता की पींगें बढ़ा रहा है और आर्थिक व्यापार को बढ़ा रहा है। उस समय भी चीन भारत के खिलाफ कभी पाकिस्तान और अब नेपाल को प्रयोग करके उन्हें भारत से दुश्मनी के लिए उकसाया है। यही नहीं चीन भारत के आंतरिक सुरक्षा पर आतंकियों को संरक्षण देकर ग्रहण लगा रहा है ।जिस प्रकार से चीन ने भारत के खिलाफ आतंकी पाकिस्तान को संरक्षण देने का निरंतर कृत्य करके एक दुष्टतापूर्ण संबंध स्थापित किए हुए हैं , उससे साफ लग रहा है भारत से दुश्मनी लेकर चीन ने अपने विनाश की पटकथा खुद अपने हाथ से लिख दी है ।

चीन अपने गरूर में भूल गया है कि अमेरिका ने चीन पर अंकुश लगाने के लिए ही जिस क्वाॅड संगठन की स्थापना 2017 में की, उसकी 2019 तक कई बैठकें हो गई ।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो के ताजा बयान कि चीन एक धूर्त देश है। यही बयान ही अमेरिका की रणनीति को पूरी तरह से उजागर करता है ।

चीन में उत्पन्न हुई प्रणाम महामारी से विश्व में 463000 से अधिक लोग काल कालवित्त हो गए ।अकेले अमेरिका में एक चौथाई 121000 लोग मारे कि यूरोप में भी 1.5लाख के करीब लोग मारे जा चुके हैं कुल अभी 87 लाख के आसपास लोग इस बीमारी से पीड़ित है करीब भारत में में 3.90लाख पीड़ित व 13,000 से अधिक अधिक लोग मारे गए हैं ।

संसार की सभी देश चीन के कुकृत्य से व्यथित हैं और उस पर हर हाल पर अंकुश लगाना चाहते हैं ।
अमेरिका के नेतृत्व में संसार के कई देश कोरोना महामारी कई देश चीन को प्रत्यक्ष रूप से दोषी मानते हैं । कईयों का आरोप है कि चीन की बुहान प्रयोगशाला में कोरोना महामारी का विषाणु एक जैविक हथियार के रूप में बनाया या चीन ने इसके संक्रमण होने की बात छुपा कर विश्व को अंधेरे में रखा। इसका खामियाजा विश्व को 4:30 लाख से अधिक लोगो की जान से चुकाना पड़ा। पूरे विश्व में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। अरबों खरबों की का नुकसान हुआ। विश्व की पूरी अर्थव्यवस्था है पटरी से उतर कर जमींदोज हो गई है।
इसीलिए पूरा विश्व चीन पर अंकुश लगाना चाहता है ।जहां अमेरिका का सवाल है अमेरिका, चीन की सामरिक व आर्थिक ताकत को भी कुंद करना चाहता है। वही पूरा विश्व चीन पर कड़ा आर्थिक प्रतिबंध लगाना चाहता है।
इन तमाम बातों से एक बात साफ है कि चीन ने भारत को युद्ध की गर्त में धकेल कर अपने विनाश को खुद ही आमंत्रण दिया है।

About the author

pyarauttarakhand5