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मुख्यमंत्री केजरीवाल,टीवी व विज्ञापनों में मस्त, दिल्ली वाले कोरोना का इलाज न मिलने व निजी अस्पतालों की अंधेरगर्दी से त्रस्त:भाजपा

जब एक कोरोना वॉरियर एसएचओ को इलाज के लिए भर्ती होने के लिए 24 घंटे अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं तो इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों को कोरोना से इलाज के लिए बेड मिलने में कितनी परेशानी हो रही है- मनोज तिवारी

मुख्यमंत्री केजरीवाल से आग्रह है कि सिर्फ टीवी और विज्ञापनों में दिखने के अलावा दिल्ली के लोगों के बीच में जाकर देखें कि कोरोना संकट से वो कैसे लड़ रहे हैं, अस्पताल में जाकर देखें कि वहां की हालत कितनी खराब है, जितनी संख्या वह बेड की बता रहे हैं वह असल में वहां पर उपलब्ध है भी या नहीं- रामवीर सिंह बिधूड़ी

 

केजरीवाल कहते हैं कि अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 2500 के करीब बेड खाली है लेकिन जब किसी मरीजों को बेड की आवश्यकता होती है तो न जाने हजारों बेड कहां विलुप्त हो जाते हैं- मनोज तिवारी
मेरा दिल्ली सरकार से अनुरोध है कि जिन अस्पतालों को रियायती दरों पर जमीन उपलब्ध करवाई गई है उनके पास उपलब्ध हजारों बेड कोरोना से पीड़ित मरीजों के लिए सुनिश्चित किए जाएं- रामवीर सिंह बिधूड़ी
नई दिल्ली(प्याउ)। दिल्ली प्रदेश भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह केवल टीवी व विज्ञापनों में दिल्ली की जनता को कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए जो कसीदे पढ़ रहे है। वह वास्तव में सफेद झूट है। हकीकत यह है कि जब दिल्ली के कोरोना महामारी से पीड़ित एक थाना प्रमुख को ही 24 घण्टे तक किसी अस्पताल में कोरोना के उपचार के लिए बिस्तर के अभाव बता कर भर्ती तक नहीं किया गया तो दिल्ली के आम आदमी की क्या दुर्दशा होगी। इसका सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह टीवी व विज्ञापनों मेें बडी डींगे हांकने के बजाय अस्पतालोें में जा कर देखें की आम आदमी की वहां कैसी दुर्दशा हो रही है। किस प्रकार मुख्यमंत्री के पंसदीदा निजी अस्पताल आम जनता को कोरोना के इलाज के नाम पर मुंहमांगे दाम वसूल कर रहे हैं।
 प्यारा उतराखण्ड समाचार पत्र को प्रेषित एक प्रेस विज्ञप्ति में दिल्ली प्रदेश भाजपा ने जानकारी दी कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से कोरोना मरीजों को इलाज के लिए बेड मिलने में हो रही परेशानी और उनके निजी अस्पतालों के साथ दिल्ली सरकार की मिलीभगत को लेकर 27 मई को दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी व दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने फेसबुक जीवंत प्रसारण के जरिए लोगों को संबोधित किया जिससे 49 हजार लोग जुड़े हुए थे। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा मीडिया सह-प्रभारी नीलकांत बक्शी व मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि कोरोना संकट के समय में प्रारंभ से ही दिल्ली भाजपा ने संकल्प लिया था कि विपक्ष के नाते हम दिल्ली सरकार का सहयोग करेंगे चाहे वह खाना वितरित करना हो या राशन वितरण के लिए लेकिन दिल्ली सरकार इसे नजरअंदाज कर दिया। दिल्ली भाजपा के कार्यकर्ता पूरी दिल्ली के गरीब और जरूरतमंद लोगों के बीच भोजन और राशन का वितरण करते रहे और दिल्ली सरकार हर मोर्चे पर विफल रही, यहां तक कि कोर्ट को भी दिल्ली के राशन वितरण प्रणाली को लेकर संज्ञान लेना पड़ा। अब दिल्ली सरकार द्वारा 30,000 बेड की व्यवस्था के दावे भी झूठे साबित हो रहे हैं। दिल्ली सरकार के अनुसार उनके पास 2950 बेड की उपलब्धता थी, 20 मई को हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने बताया कि उनके पास 3150 बेड है और अब केजरीवाल कह रहे हैं कि अस्पतालों में 4500 बेड की उपलब्धता है। आखिर यह गलत आंकड़े किसकी जिम्मेदारी है? दिल्ली के आम लोगों के साथ-साथ कोरोना वॉरियर्स भी संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए भर्ती होने के लिए जूझ रहे हैं और इसी का परिणाम है कि कोरोना वॉरियर कॉन्स्टेबल अमित राणा की समय पर बेड और इलाज न मिलने के अभाव में मृत्यु हो गई।
श्री तिवारी ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों कई ऐसे दृश्य सामने आ रहे हैं जो हृदय विदारक है। प्रतिदिन कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही जो दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत बयां कर रहे हैं। उन्होंने एक समाचार साझा करते हुए बताया कि शनिवार को नंद नगरी के एसएचओ को बुखार आने पर थाने से करीब 1 किलोमीटर दूरी पर स्थित अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया जिसके कारण उन्हें भर्ती होने के लिए 24 घंटे अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े फिर पुलिस कमिश्नर के दखल के बाद एसएचओ को जैसे-तैसे राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने भर्ती किया। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों के इलाज के लिए दिल्ली सरकार ने क्या व्यवस्था की होगी। केजरीवाल कहते हैं कि अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 2500 के करीब बेड खाली है लेकिन जब किसी मरीज को बेड की आवश्यकता होती है तो न जाने हजारों बेड कहां विलुप्त हो जाते हैं।
फेसबुक लाइव के दौरान जीटीवी हॉस्पिटल का एक वीडियो दिखाते हुए श्री तिवारी ने कहा कि यह इंसानियत को शर्मसार करने वाला दृश्य है जहां कोविड के मरीजों को16-16 घंटों तक अस्पताल के बाहर जमीन पर लिटा रहे हैं, तो कहीं मरीज के परिवार वाले स्ट्रेचर पर उन्हें लिटा कर ले जा रहे। बहुत ही भारी मन से कहना पड़ रहा है कि यह बहुत ही अमानवीय है कि दिल्ली सरकार ने लोगों को इलाज के अभाव में मरने के लिए छोड़ दिया है। इन तस्वीरों ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री प्रतिदिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोरोना से निपटने के लिए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कसीदे पढ़ते है लेकिन वास्तव में दिल्ली के लोग इस बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से त्रस्त हो चुके हैं।
श्री तिवारी ने कहा कि दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य को लेकर दिल्ली सरकार इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकती है? प्रतिदिन केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर मौत के आंकड़े या एक्टिव कोरोना मरीजों की संख्या या बेड की उपलब्धता को लेकर दिल्ली के लोगों से ही झूठ बोल रहे हैं। कोरोना टेस्टिंग की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है लेकिन इसे लेकर केजरीवाल कुछ भी नहीं बोलते। आजकल निजी अस्पताल कोरोना पोसिटिव मरीजों से अंधाधुंध पैसा ले रहे हैं, कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 5 लाख से15 लाख रुपए तक ले रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में निजी अस्पताल में जाने की सलाह देते हैं। क्या दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था सिर्फ मुख्यमंत्री के बयानों में है या सिर्फ विज्ञापनों में है? क्या केजरीवाल सरकार की निजी अस्पतालों से कोई मिलीभगत है? मुख्यमंत्री होने के नाते आप का यह कर्तव्य है कि कि आप सुनिश्चित करें कि कोई भी निजी अस्पताल इलाज के नाम पर लोगों का शोषण न करें। मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से यह मांग करता हूं कि वह यथाशीघ्र निजी अस्पतालों से बात करें और उन्हें निर्देशित करें कि कोरोना टेस्टिंग या इलाज के खर्च को एक सीमित दायरे में रखें ताकि गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इलाज को लेकर कोई आर्थिक बोझ न पड़े।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि मेरा दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से आग्रह है कि सिर्फ टीवी और विज्ञापनों में दिखने के अलावा दिल्ली के लोगों के बीच में जाकर देखें कि कोरोना संकट से वो कैसे लड़ रहे हैं, अस्पताल में जाकर देखें कि वहां की हालत कितनी खराब है, जितनी संख्या वह बेड की बता रहे हैं वह असल में वहां पर उपलब्ध है भी या नहीं। आजकल दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली के हालातों को लेकर नहीं बल्कि गुजरात के हालातों के बारे में बात कर रहे हैं। मैं पूछना चाहूंगा कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली में गुजरात के तर्ज पर एक भी नया अस्पताल बनवाया। जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि गुजरात सरकार ने 5 दिन में 1200 बेड के अस्पताल को तैयार करवाया।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि प्रारंभ में जब कोरोना को लेकर दिल्ली विधानसभा में चर्चा हुई और ये बताया था कि दिल्ली के निजी अस्पतालों को रियायती दरों पर सरकार ने जमीन उपलब्ध करवाई है और इन अस्पतालों में 10000 बेड उपलब्ध हो सकते थे जिसके लिए दिल्ली सरकार को एक भी पैसा नहीं देना पड़ता लेकिन इन निजी अस्पतालों में एक भी मरीज का इलाज मुफ्त में नहीं किया गया। दिल्ली सरकार के अनुसार उनके पास 2500 खाली है फिर वह कोरोना के इलाज के निजी अस्पतालों की ओर रुख करने को क्यों कह रही है जहां लाखों का बिल बन रहा है? क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से दिल्ली में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा हैं इसलिए मेरा दिल्ली सरकार से आग्रह है कि जिन अस्पतालों को रियायती दरों पर जमीन उपलब्ध करवाई गई है उनके पास उपलब्ध हजारों बेड कोरोना से पीड़ित मरीजों के लिए सुनिश्चित किए जाएं।

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