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अमेरिका द्धारा वर्षों पहले बेनकाब किये जाने के बाबजूद क्यों सत्तामोह में आंखे मूंद कर जमात को बढ़ावा देते रहे भारतीय हुक्मरान

विश्व में इस्लाम का परचम लहराने के लिए 1926 में स्थापित तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इल्यास कांधलवी के पड़पोते मौलाना साद ने लगाया जमात व देश के अमन पर ग्रहण

देवसिंह रावत

पूरा देश सन्न है कि जब प्रधानमंत्री मोदी सहित पूरे देश के मुख्यमंत्री व सभी राजनैतिक दल वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से देश को बचाने के लिए 21 दिन का भारत बंद को सफल बनाने के लिए अपने घरों में बंद है। भगवान राम के मंदिर निर्माण का ऐतिहासिक कार्यक्रम, आईपीएल ही नहीं विश्व विख्यात ओलंपिक खेल सहित संसार के तमाम आयोजन स्थगित कर दिये गये। यही नहीं विश्व के सबसे बडे 20 विकसित देशों का सम्मेलन भी विडियो कांफेंसिंग के द्वारा आयोजित हुआ।  ऐसे समय में देश की राजधानी दिल्ली में केन्द्र सरकार व दिल्ली सरकार के नाक के नीचे उनकी अनैक खुफिया तंत्र और सुरक्षा तंत्र को धत्ता बता कर 3000 से अधिक लोगों का इतना बडा जमवाडा कैसे  जारी रहा। 31 मार्च 2020 तक इस मरकज से करीब 2346लोगों को निकाला गया।इसमें 617 अस्पताल में भर्ती हैं । इनमें 400 से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित है। सरकार ने अभी इस में सम्मलित 9000 के करीब लोगों को चिन्हित किया।  इस संस्था के प्रमुख ने अपनी हटधर्मिता व अज्ञानता के कारण जिस प्रकार यह समागम जारी रखा उससे उनकी संस्था के साथ पूरे भारत ही नहीं विश्व  पर भी ग्रहण लगा दिया है।

देश के हर जागरूक व्यक्ति के मन मस्तिष्क में एक ही सवाल उठ रहा है कि जब अमेरिका ने इस संस्था को संदेह के घेरे में खडा कर दिया था तो क्यों नहीं भारत के हुक्मरानों व जांच ऐजेन्सियों ने इस संस्था पर कडी नजर रख कर अंकुश क्यों नहीं लगाया। परन्तु देश के हुक्मरानों ने अमेरिका द्वारा जमात के बारे में उजागर किये जाने के बाद लगता है सत्तामोह में  देश के हुक्मरानों ने अपने दायित्व का निर्वहन न करके तथा अंध तुष्टिकरण करते हुए देश के हितों व सुरक्षा से खिलवाड़ करने का कृत्य किया। उसका खमियाजा आज देश को जमात के प्रमुख मौलाना साद की मरकज करने की सनक से चूकानी पड़ रही है। देश के हुक्मरानों ने सत्तामोह के लिए इस जमात नामक संगठन को नजरांदाज किया।
लोग इसे एक सामान्य संस्था समझ रहे हैं। यह विश्व  में 15 करोड़ अनुयायियों वाली सबसे बड़ी संस्था है और  इसका मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन में है। इस संस्था का नाम है तबलीगी जमात। तबलीगी का अर्थ होता है अल्ला के उपदेशों का प्रचार करना और जमात का अर्थ होता है समुह।
भारत की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन में इस्लाम का प्रचार प्रसार के लिए समर्पित एक संस्था तबलीगी जमात के यहां हजारों मुस्लिमों का कई दिनों का जमवाडा कैसे हुआ। यह भी तब सामने आया जब कश्मीर, तमिलनाडू व तेलांगाना आदि स्थानों में इस जमात में सम्मलित लोगों में से कुछ कोरोना महामारी से पीड़ित हुए।
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात धार्मिक कार्यक्रम में शामिल कई लोगों में खतरनाक कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि के बाद से ही चारों तरफ हड़कंप का माहौल है। माना जा रहा है कि तबलीगी जमात में करीब 3000 से अधिक लोग शामिल हुए थे, जो न सिर्फ देश के अलग-अलग राज्य के थे, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत विदेशों के भी थे। मरकज में आए तेलंगाना के छ व कश्मीर के एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। तमिलनाडु में 1 अप्रैल को 110 नये कोरोना के संक्रमंण के मामले सामने आए जो सभी निजामुद्दीन में आयोजित मरकज में सम्मलित हुए थे। इससे पहले तमिलनाडू में संक्रमण के 50 नए मामलों में 45 लोग वह हैं जो मरकज के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। 67 देशों के 2041 लऑग जिसमे चीन के 9 लोग सम्मलित थे,सबसे ज्यादा इंडोनेशिया व बंग्लादेश से थे। दिल्ली का दिल्ली के 53  पीड़ितों का संबंध भी जमात से है। सुत्रों के अनुसार 1 से 15 मार्च के बीच तबलीग-ए-जमात के इज्तिमे (मजहबी मकसद से एक खास जगह जमा होना) में दो हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की थी।इनमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया , श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब, इंग्लैंड और चीन और मलेशिया के लोग भी शामिल थे।21 मार्च तक निजामुद्दीन स्थित इस केन्द्र में 16 देशों के 216 विदेशियों सहित 1746 लोग बताये गये। जबकि हकीकत में यह आंकडे भी संदिग्ध लगे। क्योंकि बाद  में भी जो लोग देश के विभिन्न मस्जिदों में रहे उनकी संख्या स्तब्ध व चैंकान्ने वाली है। 13 से 26 मार्च तक निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में जुडे लोगों की जांच प्रशासन करना चाहता है कि उन्हे कोरोना बीमारी तो नहीं है। अगर इन्हें यह बीमारी है तो इनसे संक्रमित कितने लोग हुए, जितने भी संक्रमित हुए उनके संपर्क में आने वाले जितने भी लोग हैं उनके संक्रमित होने की आशंका है। इसी कारण एक व्यक्ति से असंख्य व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं। इसी को रोकने के लिए हर पीड़ित का उपचार करने व उसको दूसरों से दूर रखने का काम किया जा रहा है। यही काम पूरे विश्व में इस महामारी पर अंकुश लगाने के लिए किया जा रहा है।

इसके बाद दिल्ली सरकार ने दिल्ली जमात के प्रमुख मौलाना साद के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद वह गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत हो गये है। आरोप है कि  मौलाना साद ने कहा कि विधर्मी कह रहे हैं कि मस्जिदों में न जाओ ना वहां पर नमाज ना पढ़ो यह गलत है मुस्लिमों को मस्जिद में जाना चाहिए और नमाज पढ़ना चाहिए। मस्जिद में मरना सबसे बेहतर है।  इस प्रकार से मोहम्मद साहब ने देश में कीजिए संपूर्ण बंद का खुला आमना उल्लंघन किया अभी तक लोगों को भी इसके लिए उकसाने का काम किया शामली में जो पैतृक गांव मौलाना साद का है उनके गांव कांधला है।वर्तमान में तबलीगी जमात मुख्यालय के प्रमुख मौलाना साद, जमात के संस्थापक मौलाना मुहम्मद इल्यास कांधलवी के पड़पौते है। ऐसी खबर है मौलाना साद से देवबंद भी नाखुश है। इस प्रकरण के बाद ए-जमात के मरकज को पूरी तरह खाली करा लिया गया और और बाकियों को  एकांतवाश (क्वारंटाइन) रखा गया है। अब तक निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए लोगों में कोरोना विषाणु से पीड़ितों ं की संख्या 93 हो गई है।
मौलाना साद  द्वारा पूरे देश में समारोह न किये जाने के फरमान के बाबजूद बलात  यहां  सम्मेलन किया, उसके कारण कम से कम सैकड़ों जमाती जहां कोरोना से पीड़ित हैं । 2 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकडों के अनुसार मरकज में सम्मलित वहीं कम से कम 9000 ़ लोग को चिन्हित किया गया। इस समय एकांतवास कर इस बीमारी के प्रकोप से बचने का प्रयत्न कर रहे हैं । इनमें से 1300 विदेशी है। मरकज में सम्मलित लोगों में से अब तक 400 लोगों को कोरोना पीड़ित पाया गया। मौलाना की गलती से 19 राज्यों में कोरना का फैला हुआ है प्रकोप मचा हुआ है  मौलाना का एक विडियो भी उजागर हुए जिसमें वे कहते है कि तुम इस बीमारी से डरो नहीं। परन्तु इस प्रकरण के बाद शासन प्रशासन के दबीश के बाद जिस प्रकार से मौलाना फरार हो गया। उसके बाद जिस प्रकार ने अपनी खाल बचाने के लिए मौलाना ने अपना एक ऐसा विडियो जारी किया कि जिसमें वह कोरोना महामहामारी से बचने के लिए एकजूट न हो कर एक दूसरे से दूरी बनाते हुए शासन प्रशासन के मार्गदर्शन का अक्षरशः पालन करने की बात कर रहा है। ऐसी भी खबरे फैल रही है कि मौलाना शाद आज 2 मार्च को इस पूरे प्रकरण पर अपना पक्ष भी रखने की कोशिश करेगा। देखना है ेवह कब तक सामने आ कर फिर शासन प्रशान की आंखों में धूल झौंकता है।
दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम इलाके में एक से 15 मार्च के बीच तबलीग-ए-जमात के इज्तिमे (मजहबी मकसद से एक खास जगह जमा होना) में दो हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की थी।
सूत्रों के अनुसार 21 मार्च तक निजामुद्दीन स्थित इस केन्द्र में 16 देशों के 216 विदेशियों सहित 1746 लोग बताये गये। इनमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया , श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब, इंग्लैंड और चीन और मलेशिया के लोग भी शामिल थे। तो चलिए जानते हैं कि किन-किन राज्यों के लोग तबलीगी जमात के मरकज में आए थे और उनकी संख्या कितनी है। जबकि हकीकत में यह आंकडे भी संदिग्ध लगे। क्योंकि बाद में भी जो लोग देश के विभिन्न मस्जिदों में रहे उनकी संख्या स्तब्ध व चैंकान्ने वाली है।
इसके साथ देश के अनैक राज्यों के हजारों लोग भी जमात में सम्मलित हुए। जो इस प्रकार से है।
तेलंगाना से 1200
उप्र – 1330 में जुडे लोगों में से 258 विदेशी है। इनमें से 97 लोगों की अभी रिपोर्ट में कोरोना पीडित पाये गये  ।
हरियाणा से 125
पंजाब से 9
मध्य प्रदेश के 107  (इंदोर में इनकी धरपकड करने गयी चिकित्सा दल पर हमला करने वाले 7 हमलावरों को गिरफ्तार किया गया।
कर्नाटक से 300
पुडुचेरी से 2
बिहार से 86  (बिहार के मुंगैर में भी कोरोना विषाणु से पीड़ित जमात के लोगों की तलाश में गयी स्वास्थय कर्मियों पर पथराव कर हमला होने के बाद 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।  )
आंध्र-1085 में से 70 कोरोना पीड़ित पाये गये।
उत्तराखंड से 26
आंध्र-1085 में से 70 कोरोना पीड़ित पाये गये।
हिमाचल से 17
गुजरात से 76
छत्तीसगढ़ से 101
राजस्थान में 37
उत्तराखंड के 713 लोग हुए थे शामिल
दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में उत्तराखंड से  7ं13 लोगों के शामिल होने की खबर है। पहले केवल 26 लोग शामिल होने की बात बताया जाता। प्रदेश के अकेले हरिद्वार जिले में 303 लोग क्वारंटाइन किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक लोग हरिद्वार जिले के हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी व देहरादून और शेष अन्य जिलों से हैं।

दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश नारायण चिकित्सालय के मेडिकल डायरेक्टर किशोर सिंह ने बताया कि यहां तबलीगी जमात से भर्ती किये गये लोग इलाज में सहयोग नहीं कर रहे है।

अभी देश के कुल कितने लोग इस मरकज में सम्मलित हुए थे इसका सापफ आंकडा सामने नहीं आया।

तबलीगी जमात के इतिहास पर एक नजर दोडायें तो  साफ होता है कि तबलीगी में  मौलाना साद से पहले यहां अमीर का प्रचलन नहीं था। 2015 तक तबलीगी का प्रमुख व्यक्ति नहीं अपितु सूरा (वरिष्ठ लोगों का एक समुह)संभालती थी जमात का काम । 16 नवंबर 2015 को नए सुरों का गठन मौलाना साद को नए सूर्या का अमीर बनाया गया यानी प्रमुख बनाया गया। इससे जमात का एक धड्डा जुबैर के नेतृत्व में अलग ही तबलीगी का संचालन करता है।

सूत्रों के अनुसार वर्तमान में तबलीगी जमात के अनुयाई विश्व के 213 देशों  में 15 करोड़ के लगभग है। ऐसा माना जाता है कि 2010 में तबलीगी जमात के 150 देशों में 8 करोड़ अनुयाई थे। यह बडी तेजी से बढ़ने वाला विश्व का सबसे बडे संगठनों में एक है। यह एक वैश्विक सुन्नी इस्लामिक संगठन है, उप्र के कांधलवी गांव में जन्में मौलाना मुहम्मद इल्यास कांधलवी इस तबलीगी जमात 1926-27 में दिल्ली के निजामुद्दीन में किया गया। तबलीगी का अर्थ होता है अल्ला के उपदेशों का प्रचार करना और जमात का अर्थ होता है समुह।
दरअसल, मुगल काल में कई लोगों ने  तलबार के भय व लोग सहित  अन्य कारणों से जिसने भी इस्लाम धर्म  कबूल किया था उनमें से अधिकांश लोग अपनी हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज अपनाये हुए थे। मुगल सम्राज्य के पतन के बाद भारत में अंग्रेजों राज आने के बाद आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था,हजारों की संख्या में इस्लाम  धर्म अपनाने वाले लोगों ने पुन्न हिंदू धर्म अपनाने का कार्य किया। यह देख कर मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम शुरू किया. इसके लिए उन्होंने 1926-27 दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मस्जिद में कुछ लोगों के साथ तबलीगी जमात का गठन किया. इसे मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखना और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार और इसकी जानकारी देने के लिए शुरू किया.

भले ही तबलीगी जमात अपना मुख्य उदेश्य अल्ला के उपदेशों को जग में फैलाना है  परन्तु उसका असली उदेश्य पूरे विश्व में  इस्लाम का परचम लहराना है। हर जमाती अपने खर्चें में यह प्रचार प्रसार करते हुए  अल्ला के  वूसलों-कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग का व्यापक प्रचार प्रसार ंकरता है। हर जमाती 3 दिन से 4 महिने तक के लिए जमातों में सम्मलित होता है। उसके बाद वह तबलीगी जमात के केंद्र से जिसे मरकज कहते है ये दस तक के एक समुह में जिसे जमात कहते है जहां वे वहां की मस्जिद में  लोगों को  अल्ला के उपदेशों से अवगत कराते है। इस जमात पहले भारत तक सीमित था, देश के विभाजन के बाद यह पाकिस्तान व बंग्लादेश भी इससे जुड गये। जमात का जो हर साल बडा कार्यक्रम होता है जिसमें पूरी दुनिया के लोग सम्मलित होते है इसे इज्तेमा कहते है।
अब देखना यह है कि  सरकार  देश व विश्व के स्वास्थ्य से खतरनाक खिलवाड करने वाले  मोहम्मद साद व तबलीगी जमात पर कब तक अंकुश लगा पाती है।

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