उत्तराखंड

विरोधियों के सत्ताच्युत दाव को कूंद करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने यकायक संधान किया देवसिंह रावत द्वारा सुझाया गैरसैंण दाव

 गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की आड़ में देहरादून को राजधानी थोप कर  उतराखण्डियों की आशाओं पर बज्रपात कर गये त्रिवेंद्र

 
उतराखण्ड के परमार बनने से त्रिवेन्द्र रावत भी चूके

प्यारा उतराखण्ड डाट काम

#विरोधियों को मात देने के लिए #मुख्यमंत्री_त्रिवेंद्र_रावत ने प्रयोग किया #प्यारा_उत्तराखंड के संपादक देवसिंह रावत द्वारा द्वारा सुझाया गया #अमोध_अस्त्र #गैरसैण

परंतु #राजधानी बनाने के लिए के बजाय #ग्रीष्मकालीन करके त्रिवेंद्र रावत #ऐतिहासिक काम करने से चूक
गए ।भले ही खुद #मुख्यमंत्री,उनके #मंत्री व दलीय बंधुआ मजदूर उनके इस कार्य को ऐतिहासिक बता कर #नाच रहे हो। परंतु उत्तराखंड शहीद सहित देश के हितों पर ही #वज्रपात करने वाला कार्य है ।क्योंकि मूल राजधानी देहरादून में बनेगी। पूरा सचिवालय वही रहेगा।विकास वहीं होगा। जिससे गैरसैण में राजधानी बनने से जो विकास की संभावनाएं थी, जो पलायन रोकने की संभावनाएं थी, जो उत्तराखंड का चौमुखी विकास की संभावना थी, उन सब पर वज्रपात होगा ।अब देहरादून में राजधानी की निर्माण युद्धस्तर पर किया जाएगा। जो कार्य उत्तराखंड के 20 साल 19 साल की मुख्यमंत्री करने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे, वह कार्य त्रिवेंद्र रावत ने देहरादून को राजधानी बना लिया और केवल झुनझुना के रूप में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का काम किया ।आखिर ग्रीष्मकालीन राजधानी कौन मांग रहा था एक छोटे से प्रदेश में ग्रीष्मकालीन राजधानी का मतलब है केवल एक पर्यटन स्थल वह भी साल में जो केवल 1 सप्ताह तक आबाद रहने वाला। घर्षण ऐसी ग्रीष्मकालीन राजधानी होगी जिसके प्राण देहरादून में बसा होगा,केवल शव के रूप में गैरसैण होगा।

प्रदेश #भाजपा कार्यकारिणी की सदस्य गोपाल उपरेती सहित तमाम नेता हैरान थे कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने यकायक गैरसैण का दाव कैसे चला। इसकी #भनक #भाजपा के बड़े नेताओं को भी नहीं थी। कईयों को विश्वास है कि #गैरसैंण मुद्दे पर त्रिवेंद्र रावत ने #केंद्रीय नेतृत्व को भी विश्वास में नहीं लिया।
#गैरसैण राजधानी बनाना उत्तराखंड के लिए #परमार के की तरह का ही काम होता ।परंतु मुख्यमंत्री #देहरादून को राजधानी बनाने के मोह व दुराग्रह के कारण #उत्तराखंड में #परमार बनने से चूक गए।
त्रिवेंद्र की इस भूल की कीमत उत्तराखंड की पीडियों को भी चुकानी पडेगी। जिस प्रकार से #तिवारी#खंडूरी की #जनसंख्या पर आधारित #विधानसभा की #सीटों के #परिसीमन की भूल उत्तराखंड के वर्तमान व भविष्य पर #ताबूत की कील साबित हो रही है। उसी प्रकार त्रिवेंद्र रावत की यह भूल उत्तराखंड को भारी पड़ेगी ।

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