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गैरसैंण राजधानी की फरियाद मोदी दरवार पंहुचने से सकते में है त्रिवेन्द्र सरकार!

गैरसैंण राजधानी पर घिरी त्रिवेन्द्र सरकार शासन ने भेजा  प्रधानमंत्री कार्यालय व देवसिंह रावत को  जवाब
प्यारा उतराखण्ड डाट काम
उतराखण्ड की जनता की राज्य गठन आंदोलन के समय की सर्वसम्मत राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग को उतराखण्ड राज्य गठन के 19 साल बाद भी उतराखण्ड की सरकारों द्वारा बलात रौंदने  से आहत व आक्रोशित उतराखण्डियों की गुहार प्रधानमंत्री मोदी के दरवार में पंहुचने से उतराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार सकते में है।
इसी माह 13 दिसम्बर2019 को उतराखण्ड शासन के संयुक्त सचिव कवींद्र सिंह द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय के 14नवम्बर 2019 को भेजे पत्र संख्या PMOPG/D/2019/0425913का उतर दिया।इस पत्र में  उत्तराखण्ड शासन ने आश्वासन दिया कि  देवसिंह रावत द्वारा जो पत्र 9 नवम्बर 2019 को प्रधानमंत्री कोे उतराखण्ड प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण को बनाये जाने का जो अनुरोध किया था, उस पत्र के संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 14 नवम्बर 2019 को उतराखण्ड सरकार को जो पत्र प्रेषित किया था। उस संदर्भ में उत्तराखण्ड शासन ने अवगत कराया है कि स्थाई राजधानी का प्रकरण वर्तमान में विधानसभा के पटल पर पुन्नः स्थापित है
उल्लेखनीय है कि राज्य स्थापना दिवस को प्रदेश की जनांकांक्षाओं, चहुमुखी विकास, आंदोलनकारियों व शहीदों की आशाओं के साथ देश की सुरक्षा के प्रतीक राजधानी गैरसैण की मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा घोर उपेक्षा किये जाने से आहत उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारीे संगठनों की समन्वय समिति ने 9 नवम्बर 2019 को प्रधानमंत्री मोदी को एक मार्मिक ज्ञापन दिया था।

इसमें प्रधानमंत्री मोदी से एक स्वर में मांग की कि 2014,2017 व 2019 के चुनावों में उतराखण्डियों से किये वादे को निभाते हुए राजधानी गैरसैंण घोषित कराने की पुरजोर गुहार लगायी थी। उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारीे संगठनों की समन्वय समिति के संयोजक देवसिंह रावत की अध्यक्षता में  प्रधानमंत्री मोदी को दिये ज्ञापन में साफ शब्दों में कहा कि आपके उतराखण्डियों को अच्छे दिन लाने के वादे पर विश्वास कर जनता ने भाजपा को भारी बहुमत से केन्द्र व राज्य की सत्ता में आसीन किया था। परन्तु उतराखण्ड की आपकी सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों की तरह ही गैरसैंण को राजधानी बनाने के बजाय जनता की इस मांग को शर्मनाक ढंग से रौंद कर जनता से विश्वासघात कर रही है। प्रधानमंत्री से उतराखण्डी आंदोलनकारियों ने कहा कि उतराखण्डियों के लिए अच्छे दिनो का एक ही प्रतीक है राजधानी गैरसैंण घोषित होना। क्योंकि राजधानी गैरसैंण ही प्रदेश की जनांकांक्षाओं, चहुमुखी विकास, आंदोलनकारियों व शहीदों की आशाओं के साथ देश की सुरक्षा के प्रतीक है। प्रदेश की जनता चाहती है कि आपकी स्मार्ट सिटी सहित अन्य तमाम योजनायें, जो भी प्रदेश की बेहतरी के लिए है उन सबके प्रतीक गैरसैंण को राजधानी घोषित करने से ही प्रदेश की जनता सबको पूरा मान लेगी।  
प्रधानमंत्री मोदी को दिये ज्ञापन में इस बात की भी दो टूक शिकायत की कि उतराखण्ड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत व प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट उतराखण्ड की जनांकांक्षाओं व आपके वादे के प्रतीक राजधानी गैरसैंण को सत्तामद में चूर होकर निर्ममता से रौदने की धृष्ठता कर रहे है। इसी कारण प्रदेश के आंदोलनकारी प्रधानमंत्री से यह गुहार लगा रहे है। उतराखण्ड की स्थाई राजधानी गैरसैण को घोषित करने की मांग को फूटे आंख न देखने वाली प्रधानमंत्री मोदी के नाम से सत्तासीन हुई त्रिवेन्द्र सरकार ने प्रदेश गठन के बाद बनी एकमात्र विधानसभा भवन गैरसैंण की शर्मनाक उपेक्षा की। हालांकि गैरसैंण विधानसभा भवन को  विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र चलाने के लिए अयोग्य बता कर  राज्य आंदोलनकारियों की पुरजोर मांग कोें  रौंदने वाले त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने बाद में केन्द्रीय नेतृत्व के दवाब में शीतकालीन सत्र व उसके बाद बजट सत्र तक का आयोजन गैरसैंण में किया। 9 नवम्बर2019 को प्रधानमंत्री को दिये ज्ञापन का प्रमुख अंश निम्न लिखित हैं-
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र  व नोकरशाह देहरादून की पंचतारा सुविधाओं के मोह व दुराग्रह से गसित होकर  उतराखण्ड राज्य गठन की जनांकाक्षाओं ,लोकशाही,चहंमुखी विकास व देश की सुरक्षा के प्रतीक गैरसैण को राजधानी घोषित न करके  प्रदेश, देश व मोदी जी की मेहनत को रौंद रहे है

मान्यवर प्रधानमंत्री मोदी जी
जय हिंद! जय उतराखण्ड!
आज 9 नवम्बर को उतराखण्ड की राज्य स्थापना दिवस के ऐतिहासिक दिवस पर उतराखण्ड की सवा करोड़ जनता की तरफ से आपको हार्दिक शुभकामनाऐ।  आपको विदित ही है कि उतराखण्ड की देशभक्त जनता के दशकों के सतत् संघर्ष व बलिदान का सम्मान करते हुए 9 नवम्बर 2000 को तत्कालीन भाजपा नेतृत्व वाली राज्य की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने  उतराखण्ड राज्य के गठन करने का ऐतिहासिक कार्य किया। परन्तु बहुत दुख की बात है कि राज्य गठन के 19 साल बीत जाने के बाबजूद प्रदेश की अब तक की तमाम सरकारों ने राज्य गठन की जनांकाक्षाओं (राजधानी गैरसैंण बनाने,  मुजफ्फरनगर काण्ड-94 सहित उतराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन को अमानवीय दमन से रौंदने वाले हैवानों को सजा देने  के  लिए एक आयोग का गठन करने, हिमाचल सहित अन्य हिमालयी राज्यों की तरह उतराखण्ड में भी भू  कानून लागू करने, मूल निवास लागू करने व समग्र विकासोनुमुख सुशासन देने ) को तत्काल साकार करने के बजाय राव व मुलायम की तरह निर्ममता से रौंदने का अलोकतांत्रिक, अमानवीय व उतराखण्ड विरोधी कृत्य किया।
19 साल हो गये हैं परन्तु इन 19 सालों में प्रदेश की सरकारों ने राज्य गठन जनांदोलन की जनांकाक्षाओं को साकार करने के बजाय उसको निर्ममता से रौंदने का ही कृत्य किया।  इसका सबसे जीवंत उदाहरण है राज्य गठन के समय सर्वसम्मति से जनता व आंदोलनकारियों द्वारा एक मत से प्रदेश की राजधानी गैरसैण को बनाने में अब तक की सभी सरकारें असफल रही है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि लोकतंत्र में जनता की सर्वसम्मत मांग राजधानी गैरसैण को बलात नजरांदाज करके बलात देहरादून में राजधानी थोपी गयी। जबकि हकीकत यह है –
(1)-प्रदेश में एक मात्र, विधानसभा  भवन गैरसैंण के भराड़ी सैण में बना हुआ है।
(2)- गैरसैंण विधानसभा भवन में विधानसभा का शीतकालीन सत्र 2017 में सम्पन्न हो चूका है। गैरसैंण में ही विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र भी सम्पन्न हो चूका है।
(3) हरीश रावत सरकार के समय गैरसैंण में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में तत्कालीन भाजपा के नेता प्रतिपक्ष मदन कोशिक (हरिद्वार के विधायक व वर्तमान सरकार में कबीना मंत्री)ने सदन में गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने का विधेयक भी पेश किया।
(4) प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी कर्णप्रयाग विधानसभा चुनाव में ऐलान किया था कि अगर भाजपा विजयी होगी तो गैरसैंण में राजधानी बनायी जायेगी।
(5) 2019 में राज्य स्थापना दिवस के दिन 9 नवम्बर को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल (रिषिकेश के विधायक)ने गैरसैंण विधानसभा में ही विधानसभा सचिवालय में मनाया राज्य स्थापना दिवस।
 (6)-उत्तराखण्ड प्रदेश का बजट सत्र 2018 भी गैरसैंण में किया गया।   
(7) राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही  राज्य गठन आंदोलनकारियों ने  सर्व सम्मति से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने को एकमत थी।
(8)-उत्तराखण्ड राज्य व राजधानी गैरसैंण के लिए ही प्रदेश के सवा करोड़ जनता ने ऐतिहासिक जनांदोलन  किया और शहादत दी।  
(9)-राज्य गठन के बाद, राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर बाबा मोहन उत्तराखण्डी  व देवसिंह नेगी ने दी शहादत
(10)-राज्य गठन से पहले ही पूर्व उप्र सरकार द्वारा गठित रमां शंकर कौशिक आयोग द्वारा उत्तराखण्ड की राजधानी के लिएआंदोलनारियों, जनता व विशेषज्ञों से गहन चिंतन मंथन व निरीक्षण कर  गैरसैंण को जनांकांक्षाओं को साकार करने वाली राजधानी घोषित की।
(11)  -राज्य गठन के बाद जनभावनाओं, दीक्षित आयोग व हिमालयी राज्यों की तरह गैरसैंण बनाने के बजाय देहरादून में राजधानी बनाने के षडयंत्र के तहत ‘राजधानी चयन के लिए दीक्षित आयोग’ बनाया। इस आयोग ने जानबुझ कर करोड़ों रूपये बर्बाद कर  दस साल तक इसे उलझाये रखा। परन्तु इस दीक्षित आयोग ने भी दो तिहाई से अधिक लोगों ने राजधानी के लिए गैरसैंण बनाने के लिए अपना मत दिया।  
(12)-आजादी के संग्राम में ‘पेशावर क्रांति ’ के महानायक चंद्रसिंह गढवाली ने गैरसैंण क्षेत्र में ही इस पर्वतीय क्षेत्र का आदर्श शहर बसाने का संकल्प लिया।

  (13)   गैरसैंण उत्तराखण्ड प्रदेश के मध्य में स्थित है।
 (14) हिमालयी राज्यों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है।
                                                                        निवेदक -उतराखण्ड आदंोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति
उल्लेखनीय है कि उतराखण्ड की राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग  राज्य गठन आंदोलन के समय से ही आज तक निरंतर चली आ रही है। गैरसैंण, देहरादून व दिल्ली सहित हर उस शहर मेें पुरजोर ढंग से उठती है । देश की राजधानी दिल्ली में गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर सर्वदलीय गोष्ठी, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर अनैक प्रदर्शन-धरना आयोजित किये जा रहे है। गैरसैंण में अनैक धरना प्रदर्शन व गिरफ्तारियांें दी जाती रही। प्रदेश की थोपी गयी राजधानी देहरादून में जहां 17 सितम्बर 2017 से गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान निंरंतर धरना प्रदर्शन जारी रखे हुए अनैक प्रदर्शन आयोजित किये जा चूके हैं। इसी जनदवाब में आकर कांग्रेस की सरकार ने 2012 से 2017 के कार्यकाल में प्रदेश गठन के बाद एकमात्र विधानसभा का निर्माण गैरसैंण में किया गया और इसमें कई सत्र भी संचालित भी किये गये।  परन्तु राज्य गठन के बाद उतराखण्ड की 19 सालों की तमाम सरकारों ने देहरादून की पंचतारा सुविधाओं के मोेह में वशीभूत हो कर प्रदेश की जनांकांक्षाओं को बेशर्मी से निर्ममता से रौंद रहा है। इसी को भांप कर उतराखण्ड के आंदोलनकारी ताकतें अब उतराखण्ड के पदलोलुपु और निहित स्वार्थी नेताओं से निराश हो कर प्रधानमंत्री मोदी से ही गुहार लगाने की मुहिम तेज कर दी है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी से उतराखण्ड के आंदोलनकारी संगठनों द्वारा राज्य स्थापना दिवस पर राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग व प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत -प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट द्वारा इस जनांकांक्षाओं को रौंदे जाने की दो टूक शिकायत के उतर में उतराखण्ड शासन द्वारा  स्थाई राजधानी का प्रकरण वर्तमान में विधानसभा के पटल पर पुन्नः स्थापित है का आश्वासन देना एक प्रकार से प्रधानमंत्री व उतराखण्ड की जनता की आंखों में धूल झौंकने के समान ही है। इस प्रकार के तिकडमों को ध्वस्थ कर उतराखण्ड की राजधानी गैरसैंण हर हाल में स्थापित करेगी।श्री रावत ने आशा प्रकट किया कि प्रधानमंत्री मोदी उतराखण्ड की जनभावनाओं व देश की सुरक्षा क लिए प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए प्रदेश के पदलोलुपु नेताओं को लोकशाही का पाठ अवश्य पढ़ायेंगे।

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