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भारतीय सभ्यता की खासियत, परिवार व्‍यवस्‍था और मूल्य को मजबूत बनाना समय की मांग: उप राष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू

पाश्चात्य संस्कृति की नकल करके बुजुर्गों से दुर्व्यवहार कर वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर करने पर नाराज़गी व्यक्त

 

श्री नायडू ने बुजुर्गों के प्रति सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन का आह्वान किया;

मेडिकल कॉलेजों में कुछ और वृद्ध चिकित्सा विभागों की स्थापना का सुझाव;

बुजुर्गों के स्वास्थ्य और भलाई पर एक पुस्तक का विमोचन

21 दिसम्बर को नई दिल्ली से पसूकाभास 
 

उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने परिवार की व्यवस्था को बढ़ावा देने और उसके मूल्यों को स्कूली दिनों से ही लागू करने और बच्चों को बड़ों का आदर करने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने बुजुर्गों के परिवार के नजदीकी सदस्यों और समुदाय से बुजुर्गों की देखभाल और भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

एम्स के वृद्ध चिकित्‍सा विशेषज्ञ डा. प्रसून चटर्जी द्वारा लिखित पुस्तक “हेल्थ एंड वैल बीइंग इन लेट लाइफ: पर्सपेक्टिव्स एंड नरेटिव्स फ्रॉम इंडिया” के विमोचन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने भारतीय परिवार व्‍यवस्‍था और पारिवारिक मूल्यों को भारतीय सभ्यता की खासियत बताया।

पाश्चात्य संस्कृति की नकल करने की प्रवृत्ति की निंदा करते हुए, श्री नायडू ने सामाजिक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन करने का आग्रह किया और कहा कि हमें भारतीय परिवार व्‍यवस्‍था, मूल्यों, संस्कृति और परंपराओं की तरफ वापस जाना चाहिए। माता-पिता, गुरु और प्रकृति के प्रति सम्मान भारतीय दर्शन में गहराई तक समाया हुआ है।

बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और उन्‍हें छोड़ देने की खबरों पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा कि कई बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बच्चों का परम कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता और दादा-दादी की अच्छी तरह देखभाल करें।

यह कहते हुए कि भारत पहले की तुलना में बहुत तेजी से बूढ़ा हो रहा है और उम्‍मीद है कि 2050 तक दुनिया के 60 साल और उससे अधिक उम्र के लगभग 20 प्रतिशत बुजुर्गों की संख्‍या भारत में होगी, उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी को भी सभी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए और बड़ों को एक आनंदपूर्ण, स्वस्थ और खुशहाल जीवन देने के लिए तैयार रहना चाहिए।

यह कहते हुए कि उम्र बढ़ने से कई बीमारियों और स्थितियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि बुजुर्गों की बढ़ती आबादी को देखते हुए देश भर के मेडिकल कॉलेजों में वृद्धों की चिकित्सा के लिए कुछ और विभाग स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में सभी हितधारकों से बुजुर्गों की भलाई के लिए काम करने को कहा और इस बात पर जोर दिया कि अच्छा स्वास्थ्य सभी का अधिकार है, भले ही व्‍यक्ति की उम्र कुछ भी हो।

श्री नायडू ने बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) को लागू करने के लिए भारत सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार आयुष्मान भारत के जरिये जीवन शैली में संशोधन, गैर-संचारी रोग प्रबंधन, दृष्टि और श्रवण समस्या प्रबंधन और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल पर काम कर रही है।

बुजुर्ग लोगों की विशेषज्ञता प्राप्‍त देखरेख की मांग में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, उपराष्ट्रपति ने एम्स जैसे संस्थानों को स्‍वस्‍थ बुढ़ापे को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहने को कहा।

पुस्तक के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि यह बुजुर्ग हो रहे किसी व्यक्ति के साथ-साथ भारतीय संदर्भ में समाज की मुस्‍तैदी पर चर्चा करता है। डिप्रेशन और डिमेंशिया जैसे स्वास्थ्य के मुद्दों को उजागर करने के अलावा, श्री नायडू ने कहा कि पुस्तक उन समाधानों का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है जो कम संसाधन होने की स्थिति में व्यावहारिक हैं।

इस अवसर पर आईजीएनसीए के अध्यक्ष,  राम बहादुर राय, एम्‍स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, एम्‍स के जेरियाट्रिक (वृद्ध चिकित्‍सा) मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. ए. बी. डे, स्प्रिंगर नेचर के प्रबंध निदेशक श्री संजीव गोस्वामी और अन्य लोग उपस्थित थे।

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