देश

शरणार्थियों व घुसपैठियों में ठीक वही अंतर है जो अतिथि व डकैत के बीच में है

राष्ट्रांतरण के लिए की जा रही बलात घुसपैठ की तरह  ही‘अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी’ के कलंक से भी भारत को मुक्ति दिलाये मोदी सरकार

लोकसभा में 311 बनाम 80 के भारी मतों से पारित नागरिकता संशोधन विधेयक अब राज्यसभा में किया गया पेश

नई दिल्ली(प्याउ)।    जैसे अतिथि व डकैत में अंतर है वहीं अंतर है घुसपैठिया व शरणार्थी के बीच। 10 दिसम्बर को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह दो टूक बात कही है देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी के कलंक से भारत को मुक्त कराने के लिए 80 माह से सत्याग्रह कर रहे भारतीय भाषा आंदोलन ने। भारतीय भाषा आंदोलन ने मोदी सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को लोकसभा में पारित करने पर खुली बधाई देते हुए 10 दिसम्बर को भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत के नेतृत्व में राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक पदयात्रा करते हुए राष्ट्रांतरण के लिए की जा रही बलात घुसपैठ की तरह  ही‘अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी’ के कलंक से भी भारत को मुक्ति दिलाने की पुरजोर मांग की।
प्रधानमंत्री को सोंपे ज्ञापन में कहा गया है कि जहां पूरे देश में संसद से लेकर सड़क में मोदी सरकार द्वारा संसद में पारित कराये जा रहे नागरिकता संशोधन विधेयक पर भारी गहमा गहमी चल रही है। भारत सरकार देश में पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बंगलादेश से आये धार्मिक भेदभाव व उत्पीड़न के शिकार होकर भारत में 6 साल से बसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जायेगी। विपक्ष इसे मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव मान रही है। परन्तु सरकार ने साफ किया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बंगलादेश जैसे भारत के भू भाग रहे देशों ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया है, इसलिए इन तीनों देशों में मुस्लमानों के साथ कोई धार्मिक आधार पर उत्पीड़न नहीं किया जा रहा है। केवल इन तीनों मुस्लिम बने देशों में मुस्लिम छोड़कर हिंदू, ईसाई, सिख, बौध, पारसी आदि का घोर धार्मिक आधार पर किया जाता है।इन उत्पीड़ित शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए यह कानून सरकार बना रही है। भारतीय भाषा आंदोलन सदैव देश के नागरिकों के हक हकूकों की रक्षा के लिए उठाये जा रहे इस कदम का खुला समर्थन करती है। खासकर ेदेश में भारत के उन क्षेत्रों में बसे भारतीयों को जिनका जीवन वहों के मुस्लिम धर्मांध शासकों ने नरक बना दिया है।भारतीय भाषा आंदोलन की पुरजोर मांग है कि  राष्ट्रांतरण के लिए बलात की जा रही बलात घुसपैठ की तरह  ही‘अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी’ के कलंक से भी भारत को मुक्ति दिलाये मोदी सरकार।
जिस प्रकार से नागरिकता संशोधन विधेयक 9दिसम्बर की मध्यरात्रि को आपकी सरकार ने  लोकसभा में उस समय उपस्थित 391 सांसदों में से 311 बनाम 80 के भारी बहुमत से पारित कर दिया। आज यह  विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा। आशा है कि यह विधेयक राज्यसभा में पारित करके सरकार प्रताडित भारतीयों को नागरिकता प्रदान कर उनके जख्मों पर मरहम लगाने का सराहनीय कार्य करेंगे। मान्यवर हम जानते हैं कि  पूर्व में  विदेशी ताकतों ने षडयंत्र के तहत भारत के कुछ हिस्सों का अलग कर मुस्लिम देश बना दिया था। वहां के धर्मांध शासकों द्वारा प्रताड़ित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत कीं नागरिकता दिये जाने हेतु बनाये जा रहे नागरिकता संशोधन कानून का हर देशभक्त को स्वागत करना चाहिए।  पीड़ित शरणार्थियों व राष्ट्रांतरण करने की षड्यंत्र के तहत बलात् देश मेें घुसे घुसपैठियों में ठीक वही अंतर होता है जो अतिथि व डकैत के बीच में होता है।भारत को अंग्रेजी व इंडिया के कलंसे मुक्त करने के लिए सरकार को चाहिए कि वह देश में शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन सहित पूरी व्यवस्था से अंग्रेजी की अनिवार्यता हटा कर भारतीय भाषाओं में संचालित करे। इसके साथ देश का अपना गौरवशाली नाम से इंडिया हटाकर केवल भारत ही रखा जाय। भारत को अंग्रेजी व इंडिया से मुक्त करने के बाद ही  देश में स्थापित होगी लोकशाही व आजादी ।
मान्यवर, शर्मनाक बात यह है कि  अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होने के 73साल बाद भी भारत को उन्हीं अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी का गुलाम (शिक्षा,रोजगार,न्याय व शासन) बनाकर  देश के हुक्मरान,देश से विश्वासघात कर रहे हैं। आपातकाल की निंदा करने वाली  आपका दल व  सरकार के शासनकाल में भी जनहित व देशहित के लिए संघर्ष करने वाले राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर सतत् आंदोलन कर सकते है व न हीं देश की इस सबसे ज्वलंत राष्ट्रीय समस्या का समाधान आपकी सरकार कर रही है। आपकी सरकार भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह राष्ट्रघाती शर्मनाक मौन साधे हुए है। सैकडों ज्ञापन आपके नाम आपके कार्यालय तक पंहुचाये गये परन्तु न तो मांगों को स्वीकार किया गया व नहीं मुलाकात की मांग करने के बाबजूद मुलाकात के लिए ही समय दिया गया। यह किसी आपातकाल से कम नहीं है।
जिस प्रकार से नागरिकता संशोधन विधेयक 9दिसम्बर की मध्यरात्रि को आपकी सरकार ने  लोकसभा में उस समय उपस्थित 391 सांसदों में से 311 बनाम 80 के भारी बहुमत से पारित कर दिया। आज यह  विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा। आशा है कि यह विधेयक राज्यसभा में पारित करके सरकार प्रताडित भारतीयों को नागरिकता प्रदान कर उनके जख्मों पर मरहम लगाने का सराहनीय कार्य करेंगे। मान्यवर हम जानते हैं कि  पूर्व में  विदेशी ताकतों ने षडयंत्र के तहत भारत के कुछ हिस्सों का अलग कर मुस्लिम देश बना दिया था। वहां के धर्मांध शासकों द्वारा प्रताड़ित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत कीं नागरिकता दिये जाने हेतु बनाये जा रहे नागरिकता संशोधन कानून का हर देशभक्त को स्वागत करना चाहिए।  पीड़ित शरणार्थियों व राष्ट्रांतरण करने के षड्यंत्र के तहत बलात् देश मेें घुसे घुसपैठियों में ठीक वही अंतर होता है जो अतिथि व डकैत के बीच में होता है।

(आज प्रधानमंत्री कार्यालय तक की जाने वाली भारतीय भाषा आंदोलन की जंतर मंतर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक की जाने वाली पद यात्रा के शुभारंभ में ही मेरठ के सांसद राजेंद्र जी को भारतीय भाषा आंदोलन का ज्ञापन सौंपा गया
सांसद महोदय ने भाषा आंदोलन की मांग को अपना पूरा समर्थन दिया)

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