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दिल्ली की दामिनी के गुनाहगारों को यदि धर्म व लम्बी कानूनी चक्रव्यूह में फंसाने के बजाय एक साल में फांसी दी जाती तो हेदराबाद की दामिनी बच जाती

नई दिल्ली(प्याउ)।दिल्ली की दामिनी के गुनाहगारों को धर्म व लंबी कानूनी चक्रव्यूह में न फंसाकर सरकार ने यदि एक साल में फांसी पर चढ़ाने के साथ नशा,कुशिक्षा,सेंशर बोर्ड पर अंकुश लगाती तो हेदराबाद की दामिनी बच जाती। जिस प्रकार से 27 नवम्बर 2019 को तेलागना की राजधानी हेदराबाद में 27 वर्षीया पशु चिकित्सक के साथ हैवानियत की गयी, उससे पूरा देश स्तब्ध है। लोग इस कृत्य के गुनाहगारों को कड़ी सजा देने की मांग की। पुलिस दावा कर रही है कि उसने चारों गुनाहगार को दबोच लिया है। परन्तु इस बात से लोग हैरान है कि दिल्ली के दामिनी के गुनाहगारों को भी 7 साल बाद भी ेेफांसी की सजा नहीं हो पायी तो हेदराबाद की दामिनी के गुनाहगार भी वर्षों तक जिंदा रह कर देशवासियों के जख्मों को कुरेदते रहेंगे। तेलांगना की पुलिस के अनुसार 27 नवम्बर बुद्धवार की रात को पशु चिकित्सक युवती को सामुहिक बलात्कार के बाद जिंदा जला दिया गया।पुलिस ने 29 नवम्बर को एक ट्रक ड्राइवर और एक क्लीनर सहित चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार इन युवती की स्कूटी रात को पेंचर हो गयी थी, उसको ठीक करने का झांसा देकर  इन आरोपियों ने के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और बाद में गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और शव को जला दिया। पुलिस ने उसके शव को 25 किलोमीटर दूर ले जाकर रंगा रेड्डी जिले के चटनपल्ली पुल पर पेट्रोल छिड़ककर जला दिया गया। पुलिस ने जुल्म की शिकार हुई युवती की स्कूटी, कपड़े, जूतियां और शराब की बोतल टोल प्लाजा के पास से बरामद कीं। इस घटना से पूरा देश आक्रोशित है।
जानकारों का मानना है कि यदि दिल्ली की दामिनी के गुनाहगारों को अगर धर्म के आधार पर अवयस्क बता कर बचाया नहीं जाता और सभी गुनाहगारों को एक साल के अंदर फांसी पर लटकाया जाता तो हेदराबाद की दामिनी के गुनाहगारों ऐसा कुकृत्य करने से बाज आते और हेदराबाद की दामिनी की जान भी बच जाती। गौरतलब है कि दिल्ली की दामिनी के एक गुनाहगार को धर्म के आधार पर भेदभाव करके  अवयस्क मान कर बचाया गया। वहीं बाकी अन्य गुनाहगार को वर्षों बाद भी लंबी न्यायिक प्रक्रिया में उलझा कर अभी तक फांसी के फंदे पर नहीं चढ़ाया गया। इससे गुनाहगारों को बढ़ावा मिल रहा है।
16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली की दामिनी जब अपने मित्र के साथ एक बस में सवार हुई तो उस बस में बैठे 6 हैवानों ने उस दामिनी से हैवानियत करके उसकी आतें निकाल कर व उसके साथी को अधमरा कर सड़क पर मरने के लिए फैक दिया। पूरे देश को उद्देलित व आक्रोशित करने वाले इस काण्ड के 6 में से सबसे जघन्य अपराधी को छह माह कम के आधार पर अवयस्क मान कर बचाने का कृत्य किया गया। बस चालक ने जेल में आत्म हत्या कर ली। बाकी 4 गुनाहगारों की फांसी की सजा पर 5मई 2017 में सर्वोेच्च न्यायालय ने अपनी मुहर लगा दी। परन्तु इन हैेवानों को फांसी के फंदे पर चढ़ाते चढ़ाते कही माह गुजर जायेंगे। जब राष्ट्रपति इनकी दया करने की मांग को ठुकरायेंगे तब उसके बाद इनको सजा होगी। यानी इतना जघन्य काण्ड करने के बाबजूद ये हैवान को दण्डित देश की व्यवस्था अभी तक नहीं कर पायी। इसी प्रकार के गुनाहगारों को जिंदगी जीने का वक्त देने वालों कानूनों से ही अपराधियों को बढ़ावा मिलता है। उनके दिलों में इसी कारण कानून का भय नहीं है। इसी कारण वे बेखौप अपराध करते हैं, उन्हें मालूम है कि उनको धर्म के नाम पर बचाने वालेे राजनेताओं की देश में कमी नहीं। इसके साथ देश का कानून इतने कमजोर हैं कि देश के प्रधानमंत्री की हत्यारों को भी फांसी के फंदे पर चढ़ाने में वर्षों लग जाते है।
देश में तुष्टीकरण की राजनीति व कमजोर कानून के साथ के अलावा देश की सरकारें जिस प्रकार शराब का बढावा दे रही है उससे भी अपराध मनोवृति में इजाफा हो रहा है। देश में योेन अपराधों को बढावा देने के लिए सरकार को चाहिए कि जघन्य अपराधों में एक साल पर सजा दिलाने वाली त्वरित न्याय व्यवस्था को स्थापित करने के साथ यौन अपराधों को हवा देने वाली फिल्म व धारावाहिकों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को मजबूत तंत्र को लागू करना चाहिए। जो भारतीय जनमानस के दिलो दिमाग में चंगैजी लूटशाही के बजाय भारतीय संस्कारों पर कुठाराघात करने वाले फिल्मों, धारावाहिक व विज्ञापनों पर त्वरित अंकुश लगाया जाना चाहिए। जब तक भारतीय शिक्षा व्यवस्था में भारतीय भाषाओं में भारतीय मूल्यों वाली शिक्षा का अमृतपान नहीं कराया जायेगा तब तक नौनिहालों के दिलों दिमाग में लूटशाही मनोवृति ही छायी रहेगी। इसी कारण भोगवादी मनोवृति को बढावा मिलेगा। जिससे पूरे देश में इसी प्रकार के अपराधों का शिकंजा जकड़ा होगा।

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