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असंगठित क्षेत्र के व्यापारी की सहभागिता से ही संभव है $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की प्राप्ति

फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल की वार्षिक सम्मेलन एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फेडरेशन ने घरेलु कारोबारी सुगमता हेतु की मांग

नई दिल्ली से देव सिंह रावत

फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल की वार्षिक सम्मेलन एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिनाक 16 नवंबर 2019 को कंस्टीटूशन क्लब ,दिल्ली में आयोजित की गयी ।

फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल के संयोजक व प्रवक्ता राजेश्वर पैनूली सीए के अनुसार इस वर्ष का शीर्षक था असंगठित क्षेत्र के व्यापारी की $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में भूमिका।

लगभग 16 प्रदेशो के फेडरेशन के शीर्ष प्रतिनिधि कांफ्रेंस में उपस्थित रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता  जयेन्द्र तन्ना , राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने की और संचालन राष्ट्रीय महामंत्री  वी के बंसल ने किया , मुख्य वक्ता  सी एच कृष्णा ,अध्यक्ष फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ऑफ़ डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन रहे ।

कांफ्रेंस में उपस्थित सभी व्यापारी नेताओ ने एकमत भारत की अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र के व्यापारी की महत्वपूर्ण भागीदारी को स्वीकार किया और राष्ट्र निर्माण में व्यापारी वर्ग की सकारात्मक भूमिका पर संतोष व्यक्त किया । यधपि सुस्त पड़े व्यापार , कारोबार में कर एबं अन्य कानून का पेचीदा अनुपालन व्यापारी वर्ग की चिंता का विषय बना हुआ है ।

असंगठित क्षेत्र में भारतीय खुदरा व्यापार का योगदान एवं महत्त्व निम्न आंकड़ों के आधार पर परखा जा सकता है

ü राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 22% से अधिक का योगदान

ü राष्ट्रीय रोजगार में लगभग 45% का योगदान, जो लगभग 450 मिलियन लोगों के लिए है

ü भारत में खुदरा क्षेत्र आर्थिक मूल्य से दुनिया के शीर्ष पांच खुदरा बाजारों में से एक है

ü भारत का खुदरा बाजार 60 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद के साथ 2020 तक $ 1.1 ट्रिलियन तक पहुंचने के सम्भावना है

ü घरेलू व्यापार में वर्तमान में देश भर में 6.50 करोड़ से अधिक व्यापारी संलिप्त हैं

ü भारत में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 11 दुकानों के साथ दुनिया में सबसे अधिक दुकान घनत्व है जो यूरोपीय या एशियाई देशों की तुलना में बहुत अधिक है। असंगठित खुदरा विक्रेताओं के विस्थापन और आजीविका के नुकसान के संदर्भ में संगठित रिटेल के विकास और कंसोलिडेशन की संभावित सामाजिक लागत बहुत अधिक है।

विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करने के पश्चात सर्व सम्मति से उन बिन्दुओ को चिन्हित किया गया जिनका निदान व्यापारी वर्ग के लिए अति आवश्यक है और यदि सरकार इन बिन्दुओ पर कोई रूप रेखा बनती है तो निश्चित रूप से सं 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था $5 ट्रिलियन की होगी और जिसमे सबसे अहम भूमिका असंगठित क्षेत्र के व्यापारी वर्ग की होगी । चिन्हित बिंदु निम्न प्रकार है

1. सरकार एकल बिंदु जीएसटी व्यवस्था को लागु कर , व्यापारियों को जीएसटी के पेचीदा अनुपालन से मुक्ति दिलाये ।

2. ऑनलाइन के बढ़ते कदमो पर सरकार लगाम लगाए |भारत का खुदरा बाजार 60 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद के साथ 2020 तक यूएस $ 1।1 ट्रिलियन तक पहुंचने के सम्भावना है | ऑनलाइन खुदरा बिक्री प्रति वर्ष 31 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान के साथ सं 2021 तक $ 100 बिलियन पहुंचने की सम्भावना है | उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, भारतीय खुदरा व्यापार में अप्रैल 2000 से दिसंबर 2018 के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) द्वारा US $ 1।59 बिलियन इक्विटी द्वारा प्राप्त हुए , घरेलु पारम्परिक खुदरा हेतु यह बहुत बड़ा खतरा है

3. बड़े व्यवसाय समूहों द्वारा महानगरों और अन्य बड़े शहरों में हाइपरमार्केट, सुपरमार्केट और डिस्काउंट स्टोर जैसे संगठित खुदरा बिक्री के कई प्रारूप स्थापित किए जा रहे हैं। इसके देश भर के लाखों छोटे और असंगठित खुदरा विक्रेताओं की आजीविका के लिए गंभीर खतरा हैं। अगले तीन वर्षों में संगठित क्षेत्र की कुल घरेलू बिक्री में हिस्सेदारी वर्तमान में 5% से बढ़कर लगभग 10% से 15% तक पहुंचने की सम्भावना है । कई बड़े घरेलू व्यापार समूह आंतरिक व्यापार क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं और आक्रामक तरीके से अपने कार्यों का विस्तार कर रहे हैं जो घरेलु परंपरागत व्यापार हेतु भविष्य में बहुत बड़ा खतरा बनते जा रहे है ।

4. सरकार अर्थव्यवस्था के तीनो अंग जैसे व्यापारी , सेवा एवं उद्योग का एकीकरण करे और एंटरप्राइज शब्द के स्थान पर कारोबार शब्द का प्रयोग हो और साथ ही साथ लघु उद्योग मंत्रालय को लघु कारोबार मंत्रालय में परिवर्तित करे ।

5. जिस प्रकार भारत सरकार के कर्मचारी केंद्रीय सरकार स्वास्थ योजना के लाभार्थी है ठीक उसी प्रकार व्यापारी को भी केंद्रीय सरकार स्वास्थ योजना के स्व वित्त पोषित लाभार्थी माना जाय ताकि एक व्यापारी सस्ते दर पर स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर सके और सरकार पर कोई वित्तीय भार भी न पड़े । अगर व्यापारी स्वास्थ रहेगा तो अर्थव्यवस्था भी स्वास्थ रहेगी ।

6. देशी खुदरा व्यापारी के डिजिटलकरण में सरकार व्यावहारिक प्रक्रिया अपनाए और डिजिटल व्यापार के बढ़ावा देने हेतु सरकार व्यापारियों के लिए प्रोत्साहन की कुछ योजना लागु करे

7. मंडी समितियों (APMC ) को शनैः शनैः समाप्त करने की सरकार अपनी कोशिश समाप्त करे । किसान और व्यापारियों का सदियों पुराण भावात्मक रिश्ता है और दोने पक्ष एक दूसरे के दुःख सुख के साथी है ।

8. सरकार खुदरा की राष्ट्रीय नीति की शीघ्र घोषणा करे

9. राष्ट्रीय व्यापारी बोर्ड के गठन पर शीघ्र कार्यवाही हो और सरकार यह सुनिश्चित करे किं उक्त बोर्ड पूर्ण रूप से निष्पक्ष व्यापारी नेता ही मनोनीत हो ।

10. उद्योग आधार की तर्ज़ पर व्यापार आधार भी जारी किया जाय और स्थानीय निकाय द्वारा जारी किये जाने वाले ट्रेड लाइसेंस को समाप्त किया जाय ।

11. कुछ राज्य व्यापारियों से प्रोफेशनल टैक्स वसूल करते है , जो पूर्ण रूप से अनुचित है । व्यापार और प्रोफेशन एक सामान नहीं है , अतः केंद्र सरकार अपने हस्तक्षेप से व्यापारियों से प्रोफेशनल टैक्स की वसूली समाप्त करे ।

12. प्राकृतिक आपदाए व्यापारियों का बहुत नुक्सान करती है और इन्शुरन्स कंपनी पूरा क्लेम भी नहीं देती है । व्यापारिक संपत्ति राष्ट्रीय महत्त्व की संपत्ति है अतः इन सम्पत्तियो के किसी भी प्रकार के नुक्सान की भरपाई सरकार अपने विशेष कोष से करे ।

 

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