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ईरान से पहले विश्व में सबसे बडेे आतंकी देश पाकिस्तान पर हमला करे अमेरिका

ईरान नहीं पाकिस्तान है विश्व में आतंकबाद फैलाने वाले नम्बर एक देश ट्रम्प जी

 
पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कर प्रतिबंध लगाने के साथ  दुनिया से व्यापार न करने की अमेरिका की तरह कार्यवाही करे भारत

 
अमेरिका के दवाब में ईरान से तेल आयात बंद कर आर्थिक नुकसान के साथ न्याय का गला क्यों घोंट रहा है भारत

 
देवसिंह रावत
भले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस सप्ताह ईरान को दुनिया में आतंक फैलाने वाला नम्बर एक देश बता कर दो टूक चेतावनी दी कि ईरान की ओर से किसी भी तरह की उकसावे की कार्रवाई से ‘अमेरिका ‘पूरी ताकत’ से निपटेगा। इसके साथ राष्ट्रपति ने जोर दे कर कहा कि अमरीका, ईरान को परमाणु हथियार विकसित नहीं करने देगा।
पर सच्चाई इससे इतर है जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सहित विश्व के तमाम देशों को भी मालुम है कि पूरे विश्व में आतंक फैलाने वाला नम्बर वन देश ईरान नहीं अपितु अमेरिका का प्यादा रहा पाकिस्तान है। जिसने न केवल पूरे विश्व के अमन चैन पर ग्रहण लगाने वाले इस्लामी आतंकियों को प्रशिक्षण व संरक्षण दे रखा है। भारत में ही नहीं अमेरिका  सहित पूरे विश्व में आतंक से तबाही मचाने वाले आतंकियों के पीछे पाकिस्तानी हाथ रहता है। स्वयं अमेरिका में बल्र्ड ट्रेड़ सेंटर सहित कई स्थानों में तबाही मचाने वाले आसेमा बिन लादेन सहित तमाम आंतकियों को संरक्षण देने वाला ईरान नहीं अपितु पाकिस्तान ही है। खुद अमेरिका ने जिस खुंखार आतंकी लादेन पर करोड़ों डालर का पुरस्कार रखा था उस लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान में घुस कर मारा था। भारत की संसद से लेकर हर शहरों में आतंकी हमला कर खात्मा किया था। पाकिस्तान विश्व शांति व अमन चैन पर आज सबसे बडा ग्रहण बन गया है। जिस ईरान को परमाणु शक्ति का विस्तार करने का आरोप लगा कर अमेरिका आग बबुला हो रहा है उस परमाणु शक्ति को पाकिस्तान ने चोरी हुई तकनीकी से न खुद अर्जित किया अपितु उत्तरी कोरिया को भी परमाणु शक्ति सम्पन्न बनाने में सहयोग दे कर पूरे विश्व को ठेंगा दिखाया। इसके बाबजूद अमेरिका पाकिस्तान पर ऐसा कभी भी आगबबुला नहीं हुआ जैसा वह ईरान पर हो रहा है।
अमेरिका, ईरान से इस बात से खपा है कि ईरान ने 2015 के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को तोडकर  परमाणु हथियार बनाने का काम आने वाले यूरेनियम के उत्पादन को फिर से शुरू करने की धमकी दी। इससे खपा अमेरिका ने ईरान को सबक सिखाने का मन बना लिया। उसने ईरान पर अनैक आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद उसके तेल आदि व्यापारिक सम्बंधों पर प्रतिबंध लगा कर पूरे विश्व से ईरान से किसी प्रकार का व्यापार संबंध न रखने की चेतावनी दी। अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शुरू से ही ईरान के साथ 2015 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा द्वारा कराये गये अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझोता के खिलाफ थे। क्योंकि इस समझोते के कारण अमेरिका ने ईरान पर लगाये गये प्रतिबंधों को हटा दिया था। सत्तासीन होने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझोते से  अमेरिका से खुद को अलग करके ईरान पर समझौते का उलंघन करने का आरोप लगाते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिये। इतना ही नहीं अमेरिका ने न केवल ईरान पर प्रतिबंध लगाया अपितु उसने ईरान से व्यापार करने वाले व ईरान में काम कर रहे विश्व की तमाम देशों व बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भी एक तय समय सीमा के अंदर ईरान से संबंध तोड़ने की चेतावनी दी। अमेरिका ने धमकी भी दी है जो भी देश व कंपनियां उसके फरमान को नहीं मानेगा उसको काली सूचि में डाला जायेगा।
अमेरिका की इस कार्यवाही से जहां अमेरिका का सबसे करीबी मित्र सउदी अरब काफी प्रसन्न है। वहीं ईरान की हालत काफी खस्ती हो गयी है। ईरान से तेल आयात करने वाले भारत, चीन को धमकी दी है।

अमेरिका ही इस धमकी के बाद भारत ने भी ईरान से किये जाने वाले तेल का आयात को बंद कर दिया है। इस कारण भारत को भारी नुकसान उठाना पड रहा है। उसे अन्यत्र से भारी मंहगा तेल लेना पड रहा है। जिससे भारतीयों पर मंहगाई की मार पडेगी। उसकी भरपाई करने की कोशिश तक अमेरिका नहीं कर रहा है। भारतीय हुक्मरानों में इतना साहस तक नहीं है कि वे अमेरिका से दो टूक शब्दों में कहे कि अगर परमाणु शक्ति के दुरप्रयोग करने का सबसे अधिक खतरा ईरान से नहीं अपितु पाकिस्तान से है। अगर अमेरिका को हमला ही करना है तो ईरान के बजाय पाकिस्तान पर करना चाहिए। अगर विश्व में कहीं आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने की जरूरत है तो वह ईरान नहीं पाकिस्तान हैे। इसके साथ अमेरिका को अगर विश्व में आतंक पर अंकुश लगाना है तो पाकिस्तान पर लगना चाहिए। इसके साथ भारत को भी अमेरिका की तरह पाकिस्तान से सभी प्रकार के व्यापारिक सम्बंध तोड़ कर अमेरिका सहित पूरे विश्व से अमेरिका की ही तर्ज पर कहना चाहिए कि जो भी पाकिस्तान से व्यापार आदि जारी रखेगा उसको भारत काली सूचि में रख कर उससे भारत प्रतिबंध लगायेगा और उसे भारत में किसी प्रकार का व्यापार करने की इजाजत नहीं देगी। भारत के हुक्मरानों को समझना चाहिए कि देश की जनता ने उनको अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए भारत के हितों को दाव पर लगाने के लिए सत्तासीन नहीं किया है।
इसके साथ अमेरिका को इस बात का भान होना चाहिए कि पूरी दुनिया ने जिस प्रकार से इराक, मिश्र व लीबिया में अमेरिका की कार्यवाही को आतंक पर अंकुश लगाने के बजाय उन देशों पर अमेरिका का शिकंजा कसना के रूप में देखा। इस कार्यवाही को भी पूरी दुनिया अपना शिकंजा कसने व अपने मित्र  सउदी अरब को खुश करने के लिए कर रहा है। जबकि यह जगजाहिर तथ्य है कि विश्व आतंकबाद को फैलाने में पाकिस्तान के बाद अगर किसी का बडा हाथ है तो वह सउदी अरब ही है। जो करोड़ों डालर की सहायता देकर पूरे विश्व में आतंक का प्रसार करने वाले कटरपंथी ताकतों को मजबूत कर रहा है।

इस प्रकरण में सबसे बडा सवाल है संयुक्त राष्ट्र सहित पूरी दुनिया पर है कि वह इराक, मिश्र व लीबिया में किये गये अमेरिका के बलात हमले को नपुंसकों की तरह मूक बन कर देखते रहेगी या अमेरिका को ऐसे कृत्य करने से रोकने के लिए अपनी आवाज बुलंद करेगी? सवाल ईरान का भी हस्र इराक, मिश्र व लीबिया की तरह तबाह करने के अमेरिकी हटधर्मिता  के साथ  विश्व के स्वाभिमान व अमन शांति का भी है।

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