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प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया


प्रधानमंत्री ने याद-ए-जलियां संग्रहालय, 1957 की क्रांति पर संग्रहालय और दृश्यकला संग्रहालय देखा

सभी चार संग्रहालयों को क्रांति मंदिर नाम दिया गया

(नई दिल्ली से पसूकाभास)

स्वतंत्रता संग्राम के वीरों को याद करते हुए प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने 23 जनवरी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 122वीं जयंती के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की और लाल किले में नेताजी सुभाष संग्रहालय का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिंद फौज संग्रहालय देखने गए। प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। वह महान हस्ति थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का संकल्प किया और सम्मान के साथ जीवन जिए। हम उनके आदर्शों को पूरा करने और मजबूत भारत बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं।” उन्होंने कहा कि इन दीवारों से इतिहास गूंजता है। इसी भवन में भारत के बहादुर सपूत कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरुबख्श सिंह ढिल्लों और मेजर जनरल शाह नवाज खान पर औपनिवेशिक शासकों ने मुकदमा चलाया था। प्रधानमंत्री ने सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिन्द फौज के इतिहास की विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाली तस्वीरों को भी देखा। प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिन्द फौज से जुड़ी चीजें भी देखीं इनमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी, तलवार, पदक, बैच और आजाद हिन्द फौज की वर्दी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने याद-ए-जलियां संग्रहालय में जालियांवाला बाग नृशंस हत्याकांड को चित्रित करने वाली तस्वीरें, पेंटिंग तथा समाचारपत्र को देखा। यह संग्रहालय 1919 में हुए जालियांवाला बाग नृशंस हत्याकांड और प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के बलिदान को इतिहास के रूप में प्रस्तुत करता है।

प्रधानमंत्री भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 पर बने संग्रहालय भी गए और 1857 में भारतीय लोगों द्वारा दिखाए गए शौर्य और बलिदान की प्रदर्शनी को भी देखा। यह संग्रहालय हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को दिखाता है।

प्रधानमंत्री ने भारतीय कला पर प्रदर्शनी को दृश्यकला संग्रहालय में देखा। उन्होंने कहा दृश्यकला में गुरूदेव टैगोर की कृतियों के देखकर कला प्रेमी आनंदित होंगे। हम सभी जानते हैं कि गुरूदेव टैगोर बहुत बड़े लेखक थे लेकिन कला संसार से भी उनका काफी लगाव था। उन्होंने अनेक कृतियों में विविध विषयों के प्रस्तुत किया। उनकी कृतियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई गईं। प्रधानमंत्री ने ट्विट किया, “मैं कला प्रेमियों से विशेषकर आग्रह करुंगा कि वे दृश्यकला संग्रहालय जाएं जो भारतीय और कला संस्कृति के बेहतरीन पहलुओं की झलक दिखाता है। प्रदर्शनी में राजा रवि वर्मा, गुरूदेव टैगोर, अमृता शेरगिल, अबनिन्द्र नाथ टैगोर, नन्दलाल बोस, गगनेन्द्रनाथ टैगोर, सैलोज मुखर्जी तथा जामिनी रॉय जैसे कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित की गई हैं।”

संग्रहालयों का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति से जुड़े चार संग्रहालय का उद्घाटन करके अत्यधिक प्रसन्नता हुई। सभी चार संग्रहालयों को कला मंदिर का नाम दिया गया है। इस परिसर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिन्द फौज संग्रहालय, याद-ए-जालियां संग्रहालय (जालियांवाला बाग और प्रथम विश्व युद्ध), भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 पर संग्रहालय और तीन शताब्दियों की 450 से अधिक कलाकृतियों वाला दृश्यालय संग्रहालय शामिल है।

क्रांति मंदिर हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के क्रांतिकारी उत्साह और साहस के प्रति श्रद्धांजलि है। गणतंत्र दिवस से पहले ये संग्रहालय हमारे युवाओं को देश के गौरवशाली इतिहास से जोड़ेंगे और नागरिकों में देशभक्ति का भाव भरेंगे।

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