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भारत को अंग्रेजी व इंडिया का गुलाम बना कर लोकशाही का गला घोटने वालों को भारतीय भाषा आंदोलन ने धिक्कारा

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाबजूद राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर सतत्(प्रातः11 बजे से सांय 4 बजे तक ) की इजाजत नहीं ंदे रही दिल्ली पुलिस प्रशासन के अलौकतांत्रिक रवैये के विरोध में

भारतीय भाषा आंदोलन का राष्ट्रीय धरना स्थल पर धिक्कार दिवस

प्रधानमंत्री मोदी को दिया ‘देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करने व भारतीय भाषाओं को लागू करने के लिए ’रौष युक्त ज्ञापन

नई दिल्ली। 21 जनवरी 2019 को देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त कराने के लिए विगत 71 माह से संसद की चैInline image
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खट पर सत्याग्रह कर रहे भारतीय भाषा आंदोलन ने राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर धरना दे कर धिक्कार दिवस मनाया। भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने बताया कि अंग्रेजों के जाने के 72 साल बाद भी देश को अंग्रेजों की ही भाषा अंग्रेजी व अंग्रेजों द्वारा थोपे गये इंडिया नाम का गुलाम बनाये रखने वाले हुक्मरानों तथा सर्वोच्च न्यायालय की इजाजत के बाबजूद जंतर मंतर पर सतत्(11 बजे से सायं 5 बजे) तक शांतिपूर्ण धरना देने की अनुमति न देने वाले लोकशाही का गला घोटने वाले पुलिस प्रशासन को धिक्कारने के लिए यह धिक्कार दिवस मनाया।

भाषा आंदोलन में आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत, कोषाध्यक्ष सुनील कुमार, धरना प्रभारी रामजी शुक्ला, संरक्षक वीरेन्द्र नाथ वाजपेयी, डा श्याम रूदर पाठक, नागराज (कर्नाटक ), आलमदार अब्बास,मोहन सिंह रावत,महेन्द्र रावत,संजय सिंह, कमल किशोर नौटियाल, महेन्द्र पाल छावडा,, मनमोहन शाह, मोहन जोशी,मुरार कडारी, भुवन चंद्र जोशी,मोहन सिंह रावत,प्रेम सिंह रावत आदि ने भाग लिया।
इस अवसर पर भारतीय भाषा आंदोलन ने प्रधानमंत्री को इस आशय का कडा ज्ञापन दिया। गौरतलब है कि भारतीय भाषा आंदोलन 21 अप्रैल 2013 से सतत संघर्ष कर रहा है परन्तु सरकारों ने अपना दायित्व निभाने के बजाय दमन कर लोकशाही का गला घोंटने का अलौकतांत्रिक कृत्य किया।
इस ज्ञापन में भारतीय भाषा आंदोलन ने प्रधानमंत्री से कहा कि आज 21 जनवरी को जहां पूरा देश 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस को बडे हर्षोल्लास के साथ मनाने की तैयारी करने में जुटा है। वहीं भारतीय भाषा आंदोलन संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल, जंतर मंतर पर देश की सरकारों द्वारा अंग्रेजों के जाने के 72 साल बाद भी उन्हीं आक्रांता व लूटेरे अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी व उनके द्वारा थोपे गये नाम इंडिया से गुलाम बनाये रखना देश की लोकशाही, आजादी व मानवाधिकारों का घोर अपमान किये जाने तथा पुलिस प्रशासन द्वारा देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त करके भारतीय भाषायें लागू करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय धरना स्थल पर सतत्(प्रतिदिन प्रातः 11 बजे से सांय 4 बजे तक) शांतिपूर्ण आंदोलन करने की इजाजत न देने के विरोध में धिक्कार दिवस मना रहा है।
आपको विदित ही है कि अंग्रेजों के जाने के 72 साल बाद भी भारत आज भी अंग्रेजों की ही भाषा ‘अंग्रेजी’ व थोपे गये नाम ‘इंडिया’का बलात गुलाम बना हुआ है। इसी के विरोध में तथा गुलामी के कलंक से भारत को मुक्त करने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन, संसद की चैखट जंतर मंतर से आपके कार्यालय प्रधानमंत्री कार्यालय तक 28 दिसम्बर 2018 से हर कार्य दिवस पर पदयात्रा कर रहा है। पर आज भारतीय भाषा आंदोलन के आजादी के इस सत्याग्रहण को 21जनवरी 2019 को 71 माह में प्रवेश करने पर जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना देकर धिक्कार दिवस मना कर आपको ज्ञापन सौंप रहा है। इस दिवस पर भारतीय भाषा आंदोलन पुन्नः देश पर लगे इस कलंक को मिटाने और लोकशाही व आजादी का सूर्योदय से आलौकित करने का संकल्प भी ले रहा है।
भारतीय भाषा आंदोलन देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त करने के लिए 21 अप्रैल 2013 से यानी विगत 70 माह से पुलिस प्रशासन के दमन व असहयोग के बाबजूद संसद की चैखट (जंतर मंतर/रामलीला मंदिर/शहीद पार्क/संसद मार्ग) पर सतत् शांतिपूर्ण आंदोलन कर रही है। सरकार द्वारा अविलम्ब देशहित की मांग को स्वीकार करक देश के माथे से गुलामी का बदनुमा कलंक हटानेे की जगह देशभक्त आंदोलनकारियों का अलोकतांत्रिक दमन किया गया व आंदोलन को उजाडने का कृत्य किया गया। 30 अक्टूबर 2018 को हरित अधिकरण में सरकार द्वारा सही ढंग से पक्ष न रखे जाने से जंतर मंतर पर चल रहे धरना प्रदर्शन पर प्रतिबंद्ध लगाने का अलोकतांत्रिक कृत्य किया गया। इसके बाद आंदोलनकारियों व न्यायालय को गुमराह करके रामलीला मैदान भेजा गया। वहा ंपर भी कोई नियत स्थान धरने के लिए आवंटित नहीं किया गया। उसके बाद भारतीय भाषा आंदोलन शहीद पार्क में कुछ महिने आंदोलन जारी रखे रहा। इस अलोकतांत्रिक कृत्य को जब सर्वोच्च न्यायालय ने सिरे से नकारते हुए जंतर मंतर व वोट क्लब को आंदोलन के लिए स्वीकृत किया। परन्तु प्रशासन कई महिनों तक आदेश के बाबजूद जंतर मंतर पर आदंोलन शुरू नहीं कर पाया। बाद में जब भारतीय भाषा आंदोलन ने प्रधानमंत्री के टवीट्र पर इसकी इतला दी तो तब 28 नवम्बर से जंतर मंतर पर धरना शुरू किया गया। भारतीय भाषा आंदोलन ने भी 28 नवम्बर 2018 से जंतर मंतर पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार केवल प्रातः ं11 बजे से सांय4 बजे तक आंदोलन जारी रखा और इसकी सूचना पत्र दिल्ली पुलिस के एचएएक्स विभाग नई दिल्ली संसद मार्ग में शपथ पत्र के साथ दाखिल किया।

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