उत्तराखंड

सामुहिक नेतृत्व से जनांदोलन छेड़ने से ही राज्य गठन नजांदोलन की तरह सफल होगा गैरसैंण राजधानी

देहरादून व दिल्ली में चल रहे राजधानी गैरसैंण आंदोलन की तर्ज पर ही सामुहिक नेतृत्व से साकार होगा राजधानी गैरसैंण

10 मार्च को जहां राजधानी गैरसैंण निर्माण अभियान  जहां 18 मार्च को देहरादून में राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर विशाल जनचेतना रैली की तैयारी की बैठक गढभोज में कर रहे थे। वहीं 10 मार्च को देश की संसद पर गैरसैंण राजधानी निर्माण  अभियान दिल्ली के आवाहन पर उत्तराखण्ड के लिए समर्पित कवि, साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार व राज्य आंदोलनकारी संसद के समक्ष राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगा रहे थे। वहीं गैरसैंण, रूद्रप्रयाग सहित पूरे उत्तराखण्ड  व दिल्ली में समर्पित आंदोलनकारी गैरसैंण राजधानी के लिए सत्तासीनों व राजनैतिक दलों के तमाम षडयंत्रों को विफल कर अपने पद प्रतिष्ठता व हितों को दाव पर लगाकर निस्वार्थ भाव से राजधानी आंदोलन छेडे हुए है।

गैरसैंण आंदोलन किसी व्यक्ति या क्षेत्र या दल के निहित स्वार्थ की पूर्ति का आंदोलन नहीं अपितु उत्तराखण्ड के चंहुमुखी विकास, लोकशाही, राज्य गठन की जनांकांक्षाओं, उत्तराखण्ड हितों की रक्षा,,शहीदों के शहादत को साकार करने व देश की सुरक्षा के प्रतीक का व्यापक जनांदोलन है।  हमें इस आंदोलन को हर प्रकार के छल प्रपंच, तिकडमियों, दलीय कहारों, अंध महत्वाकांक्षा व धूर्तता से बचाकर उत्तराखण्ड के लिए समर्पित आंदोलनकारियों के सामुहिक नेतृत्व से ही आंदोलन को मुकाम तक पंहुचाना होगा। 

जिस प्रकार से उत्तराखण्ड के चहुमुंखी विकास, जनांकांक्षाओं व शहीदों के शहादत को साकार करने के प्रतीक देहरादून में राजधानी गैरसैंण आदंोलन सामुहिक नेतृत्व ‘(पंच परमेश्वर’) के रूप में संचालित हो रहा है। देहरादून में राजधानी  आंदोलन को पूरी ताकत से समर्पित रघुवीर बिष्ट,, अपने भविष्य को दाव पर लगाकर  प्रखर छात्र नेता सचिन थपलियाल, पूर्व सैनिक संगठनों से जुडे प्रकाश थपलियाल, राज्य आंदोलनकारी व भाजपा नेता रवींन्द्र जुगरान, अपना परिवार के पुरूषोतम भट्ट, जनांदोलनोें से जुडे जगदीप सकलानी,सत्तीस धौलाखण्डी, व लक्ष्मीप्रसाद  सहित अनैक समर्पित पत्रकार व सामाजिक संगठन जुडे हुए है। जो दलगत राजनीति से हट कर ईमानदारी से राजधानी गैरसैंण को साकार करने के लिए निरंतर आंदोलन छेडे हुए है।

दिल्ली में भी राज्य गठन जनांदोलन के समर्पित आंदोलनकारी निरंतर राजधानी गैरसैंण के लिए आंदोलन छेडे हुए है। इसमें पत्रकार, कवि, साहित्यकार, रंगकर्मी, सामाजिक संगठन निरंतर आंदोलन की अलख जगाये हुए है। सामुहिक नेतृत्व के तहत संचालित उत्तराखण्ड एकता मंच ने 29 सितम्बर 2016 से 2 अक्टूबर 2016 को गैरसैंण राजधानी बनाओं विशाल यात्रा का संचालन भी सामुहिक नेतृत्व में किया।
उत्तराखण्ड एकता मंच में ठहराव से ही नहीं उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन से साफ हो गया कि उत्तराखण्ड में प्राचीन भारतीय परंपरा की तरह सामुहिक नेतृत्व में ही राजधानी गैरसैंण आंदोलन भी साकार हो सकता है। हर शहर में स्थानीय लोग सक्रिय भूमिका निभाये तो यह आंदोलन सफल होंगे।
उत्तराखण्ड राज्य गठन की मांग को सबसे पहले मजबूती से स्वर भले उक्रांद  ने दिया परन्तु इसको जनांदोलन बनाने में उत्तराखण्ड व दिल्ली सहित देश विदेश के हर शहरों में छोटे छोटे संगठनों ने सामुहिक आंदोलन चलाया। परन्तु राज्य गठन आंदोलन व राज्य गठन के बाद निर्णायक क्षणों में उक्रांद नेतृत्व जनता को मजबूत नेतृत्व देने के बजाय अपने अहं व बर्चस्व की जंग में ही उलझा रहा। अगर राज्य गठन के लिए समर्पित दिल्ली व उत्तराखण्ड के विभिन्न संगठन निस्वार्थ रूप से राज्य गठन आंदोलन संचालित नहीं करते तो सत्तांध सरकारें व राजनैतिक दल कबके इस आंदोलन को कूंद कर देता।

परन्तु राज्य गठन आंदोलन के लिए समर्पित महिला, छात्र, पूर्व सैनिक, राज्य कर्मचारी संगठन, पत्रकारों, अधिवक्ताओं, युवाओं व राज्य गठन आंदोलन के संगठनों ने सतत आंदोलन जारी रखकर  राव मुलायम जैसे उत्तराखण्ड विरोधी सरकारों के कुचक्र को विफल कर तत्कालीन केन्द्र सरकार को राज्य गठन के लिए मजबूर किया।

हाॅ जो लोग मजबूती से उत्तराखण्ड में नया राजनैतिक विकल्प देना चाहते हैं, उनका स्वागत है। अगर वे राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को अपने दलीय विस्तार के यंत्र के रूप में सदप्रयोग करना चाहते हैं तो उनको मुखौटे पहन कर नहीं अपितु ईमानदारी से अपना अभियान चलाना चाहिए। हाॅ जनता को चाहिए कि इन तमाम दलों पर ऐसा निर्णायक जनदवाब बनाये जिससे राजनैतिक दल जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए विवश हो।

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