उत्तराखंड

देहरादून, भुवनेश्वरी मंदिर, चमोली सैण व मिर्चोडा का एक संदेश, विकास व गैरसैंण की तरफ बढ रहा उत्तराखण्ड

गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए पलायन एक चिंतन व महिला मंच ने फिर लिया मिरचैड़ा में संकल्प

 

देवसिंह रावत

17 फरवरी को देहरादून के गांधी मैदान से शहीद स्मारक तक विशाल मशाल जुलूस में भागेदारी निभाने के अगले दिन तडके 5  बजे मैं, अनिल पंत व सूरज रावत  अपने चोबटाखाल क्षेत्र के अग्रणी समाजसेवी दिगमोहन सिंह नेगी के साथ उनके गृहक्षेत्र नयार घाटी के चमोली सैण में पंहुचे। देवप्रयाग से होते हुए हम जैसे नयार घाटी के प्रसिद्ध  भुवनेश्वर देवी के मंदिर के प्रवेश द्वार पर पंहुचे तो मंदिर क्षेत्र को हरा भरा देख कर दिगमोहन नेगी ने कहा कि रावत जी बहुत सुखद आश्चर्य है कि मंदिर के समीप के लम्बे समय से बंजर पडे खेतों ने लोगों ने फिर से आबाद कर दिया। उसके बाद हम चमोलीसैण में हंस फाउंडेशन द्वारा निर्मित बडे अस्पताल को देखकर गदगद हुए। जो काम सरकार ने पर्वतीय क्षेत्र में नहीं किया वह जनहित का कार्य हंस फाउंडेशन के भोले जी महाराज व माता मंगला जी ने चमौलीसैंण में अत्याधुनिक अस्पताल बनाने का सराहनीय कार्य किया। इस अस्पताल को चमोलीसैण में खोलने के लिए अपनी जमीन को दान देने वाले दिगमोहन नेगी ने बताया कि इससे इस क्षेत्र के सैकडों परिवारों को जहां सीधा रोजगार मिला है वहीं सैकड़ों लोगों का हर दिन स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है। नेगी जी के माता पिता व छोटे भाई-बहु से मिलने के बाद हम यहां से कल्जीखाल विकासखण्ड के मिर्चैडा गांव पंहुचें वहां पर पलायन पर एक गोष्ठी होने की बात नेगी जी से मालुम हुआ। परन्तु वहां पंहुचने पर पता चला कि यह मिचैडा गांव उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी महेन्द्र असवाल का है। महेन्द्र असवाल के बडे भाई रतन सिंह असवाल कई वर्षो से पलायन पर प्रदेश भर में चिंतन शिविरों को आयोजन करते रहते है। जैसे ही हम वहां पर पंहुचे तो वहां के बैनर से ज्ञात हुआ कि यह आयोजन पलायन एक चिंतन व उत्तराखंड महिला मंच के संयुक्त तत्वावधान में पौड़ी जनपद के असवाल स्यूं के मिर्चोडा में 17 व 18 फरवरी को आयोजित किया। उस समय महिला मंच के प्रमुख कमला पंत अपना भाषण दे रही थी।  सम्मेलन में महिला मंच व पलायन एक चिंतन ने संयुक्त रूप से गैरसैंण को राजधानी बनाने का संकल्प लिया। वहां पर अनैक वक्ताओं ने अपने गांव व क्षेत्र में विकास के कार्य करने व गांव में जुडने के सुखद कार्यों पर प्रकाश डाला।

पलायन एक चिंतन के सचिव अजय अजेय रावत ने इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 17 फरवरी को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पलायन एक चिंतन ..! अभियान और उत्तराखंड महिला मंच के संयुक्त तत्वावधान में अभियान की चिंतन कुटीर मिर्चोडा में महिला सम्मेलन प्रारंभ हो गया है।
दो दिवसीय महिला सम्मेलन के पहले दिन पलायन एक चिन्तन…! अभियान के संयोजक रतन सिंह असवाल  के नेतृत्व मे ग्रामवासियो ने स्वागत किया।
महिला सम्मेलन मे प्रदेश भर से पहुँची महिलाओं का स्थानीय बाध्य यंत्र ढ़ोल दामाऊ के साथ स्वागत किया गया। इस अवसर पर स्थानीय गावों नागरिकों के अलावा देहरादून, पौड़ी, श्रीनगर, दिल्ली, टेहरी आदि स्थानों से महिलायें पहुँची हैं। महिला सम्मेलन के स्थानीय आयोजक रतन सिंह असवाल ने बताया कि यह आयोजन नगरों मे अनेक संघर्षो में लगी महिलाओं का गांवो की महिलाओ से मिलने का एक मंच बना है। आयोजन मे महिलाओं ने अपने सुख दुःख, खेती-किसानी, शिक्षा स्वास्थ्य आदि मुद्दों पर बात कर रही है। उन्होने बताया की इस आयोजन मे शामिल होने के लिये अनेक साहित्यकार व पत्रकार भी पहुँचे है। इस अवसर पर परम्परागत खाद्य पदार्थ अर्से, दाल की पकोड़ी आदि बनायी गई।
उत्तराखंड महिला मंच की संयोजक कमला पन्त ने कहा कि इस आयोजन के बहाने गांवो में रह रही महिलाओ और पलायन कर परिवार के साथ शहर में रह रही महिलाओं को आपस में मिलने और संवाद करने का मौका दिया है। उन्होने कहा कि इस सम्मेलन में महिलाओंऔर ग्रामीण छेत्रों की शिक्षा, स्वास्थय, कृषि और पलायन पर चर्चा होगी। आयोजन के पहले दिन सायं सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन हुआ। इस अवसर पर थडीया, चैफ्ला, तान्दी नृत्य हुए।
इस अवसर पर सुरेन्द्र पुण्डीर, गीता गैरोला, उत्तराखण्ड की पहली गढ़वाली फीचर फिल्म के निर्माता पारेशर गौड,ण् प्रगतिशील कृषक विद्यादत्त शर्मा, समय साय के प्रवीण भट्ट, अनिता , स्किल विकास पर सर्वे कर रहे श्रेया और पंकज सिंह, वरिष्ठ पत्रकार ग्राम प्रधान दिनेश असवाल, प्रीतम सिंह, वीरेंद्र सिंह,विजय सिंह, सोहन सिंह, लता गौड़, संगीता, नत्थी सिंह सहित आसपास के गांवो की महिलायें ने इस अनोखे समागम में शिरकत की। सचिव अजय अजेय रावत ने इस कार्यक्रम के निष्कर्ष बताते हुए कहा कि सरकारों के भरोसे नहीं, स्वयम ही समेकित प्रयास कर पलायन का न्यूनीकरण सम्भव है। हर प्रवासी अपने गांव के घर को चाक-चैबंद कर दे यही काफी है।
सम्मेलन के दूसरे दिवस हंस जरनल अस्पताल सतपूली की बुनियाद के पत्थर बड़े भाई दिगमोहन सिंह नेगी ने हर स्थायी व प्रवासी पहाड़ी का आह्वान किया कि वह पहाड़ व गांव की बेहतरी के लिए अपने सर्वोच्च प्रयास करें, वरिष्ठतम पत्रकार गणेश खुगशाल गनी ने पलायन एक चिंतन..! के संयोजक रतन सिंह असवाल का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि रतन जी द्वारा पहले अपने गांव की कूड़ी-पुंगड़ी को आबाद किया गया, फिर पलायन की बात की गई, इसलिए वह पलायन पर बात करने के हकदार हैं, जो दिल्ली-देहरादून में बैठकर पलायन पर सिर्फ भाषण दे रहे हैं, वह बेमानी है। बयोवृद्ध काश्तकार विद्यादत्त शर्मा ने अपने चिर-परिचित अंदाज में पलायन की भयंकर पीड़ा को साझा किया। महिला मंच की कमला पन्त, अधिकारी, गीता गैरोला, विमला रावत, श्रीमती अमोली आदि ने पलायन न्यूनीकरण में महिलाओं की भागीदारी के बाबत अपने विचार रखे। कार्यक्रम में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि अब इस बेहद संवेदनशील विषय पर कुछ भौतिक प्रयास किये जायें। आयोजन स्थल पर अनिल बहुगुणा अनिल, अजय कुकरेती, अद्धैत बहुगुणा, अरविंद मुदगिल, जगमोहन डांगी, सुरेश नौटियाल, अनुसुया प्रसाद ग्याल, पीएन चतुर्वेदी, मुकेश बछेती, लक्ष्मी रावत, महेन्द्र असवाल, जागेश्वर जोशी, देवसिंह रावत,दर्शन उनियाल, पारेश्वर गौड़ आदि के सुझाव व अनुभव साझा हुए। निचोड़ यह रहा कि जब तक हर व्यक्ति, विशेष रूप से प्रवासी स्वयम पलायन रोकने में नजीर नहीं बनेगा, तब तक इस जटिल समस्या के निदान हेतु चाहे कितने भी प्रयास व बहस-मुबाहिस क्यों न की जाय, वह कारगर नहीं होगी। आह्वान के साथ संकल्प व्यक्त किया गया कि कम से कम अपनी जड़ों के प्रतीक अपने गांव के घर को चाक चैबंद करें… फिर सरकारें भी मजबूर होंगी, गांव व पहाड़ की सुध लेने को। चिंतन शिविर के आयोजक रतन असवाल व महेन्द्र असवाल को सभी उपस्थित जनसमुदाय ने आभार प्रकट किया।
इस सम्मेलन में दूसरे दिन सम्मलित होने के बाद दिगमोहन सिंह नेगी के साथ हम तीनों साथी वहां से दिल्ली के लिए कूच किया। दिल्ली में रात 2 बजें पंहुचा। दिल्ली से देहरादून, भुवनेश्वरी मंदिर, चमोली सैण व मिर्चैडा की यात्रा का एक ही संदेश मेरे मन मस्तिष्क में क्रोंध रहा थ कि अब उत्तराखण्ड की जनता सरकार के भरोसे न तो राजधानी गैरसैंण, पलायन व विकास के मुद्दों को छोड़ना चाहती है। वह अब  विकास व गैरसैंण की तरफ खुद बढ़ने के लिए कमर कस चूकी है। लोग अपने घर-गांव, खेत खलिहानों को आबाद करने के साथ राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए कमर कस चूके हैं। महिला मंच की प्रमुख कमला पंत ने मुझे व मेरे साथियों को 2018 में देहरादून में होने वाले सम्मेलन में भाग लेने का आमंत्रण देते हुए गैरसैंण राजधानी अभियान को मजबूती से आगे बढाने का संकल्प लिया।

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