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जम्मू में सैन्य शिविर पर आतंकी हमले से देश आक्रोशित, मोदी सरकार तत्काल देे पाक को इंदिरा सा मुंहतोड़ जवाब

कडी निंदा नहीं अपितु इंदिरा जैसी आतंकी पाकिस्तान  को तबाह करने वाली कार्यवाही चाहता है देश मोदी जी

मोदी सरकार की ,कड़ी निंदा व छुटपुट हमला करने की आत्मघाती नीति ही भारत पर ताडबतोड़ हमला कर रहा है पाकिस्तान

 
किसके दवाब में भारत को तबाह करने में तुले आतंकी पाक को मित्र राष्ट्र का दर्जा हटा कर शत्रु राष्ट्र घोषित नहीं कर रही है मोदी सरकार

देवसिंह रावत

10 फरवरी की सुबह 4.50 बजे 3 से 5 पाकिस्तानी आतंकियों ने जम्म्ूा -पठानकोट राजमार्ग पर सेना के शिविर, सुजुवान कैंप के पीछे वाले दरवाजे से गोली चलाते हुए घुसें। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान द्वारा संरक्षित व पोषित जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है। सुरक्षा प्रहरियों द्वारा जवाबी गोली चलाने से आतंकी कैंप में जा छिपे। इसके बाद वहां पर सेना परिवार परिसर व बैंकर के समीप आतंकी हमला, एक सैनिक व उसकी बेटी  घायल  हो गयी। इस समय आतंकी सेना के एक कमरे में घुपे है। सेना ने आतंकियों को घेर लिया है। इस गोलीबारी में एक जवान शहीद हो गया और एक सेना अधिकारी सहित 8 लोग घायल हो चूके है।  आतंकियों की तलाश हेलीकप्टार व ड्रोन से की जा रही है। सेना ने पूरे इलाके को घेरा। आतंकियों के सफाये के लिए सरसावा से पेराकमांडो को बुला दिया गया। अब दो दलो में बंट कर गोलीवारी कर रहे आतंकियों पर निर्णायक हमला किसी भी समय किया जा सकता है। जम्मू में सजगता वरती जा रही है।

एक तरफ पाकिस्तान की सेना, भारत पर निरंतर हमला कर रही है। वहीं दूसरी तरफ उसके आतंकी कश्मीर संिहत भारतीय शहरों में आतंकी हमले कर देश के जांबाजों पर हमला कर रहे है। देश की वर्तमान मोदी सरकार पाक पर कडी कार्यवाही की बयानी चेतावनी दे रही है या छुटपुट हमला कर रही है। जिसके कारण पाक का दुशाहस निरंतर बढ़ रहा है। देश मोदी सरकार द्वारा आतंकी पाक की कड़ी निंदा, मुहतोड़ जवाब देने व छुटपुट हमला(सर्जिकल स्ट्राइक) की बातों को सुनते सुनते आक्रोशित है। क्योंकि मोदी सरकार की इन तमाम कार्यवाहियों के बाबजूद पाक का भारत पर ताडबतोड हमला व आतंकी हमला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसलिए देश की जनता चाहती है कि मोदी सरकार, भारत को तबाह करने को तुले आतंकीस्तान पाक पर इंदिरा गांधी की तर्ज पर पाक को बर्बाद करने वाला सबक सिखाये। पाकिस्तान से तुरंत सभी सम्बंध तोड़ कर उसे शत्रु राष्ट्र घोषित करे।  प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार को एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि देश अब मोदी सरकार की मात्र हवाई बयान बाजी नहीं अपितु इंदिरा गांधी की तरह पाकिस्तान को बर्बाद करने वाली कार्यवाही चाहती है।
देश की रक्षा में आतंकी पाक के हमले में भारतीय जांबाज सैनिक निरंतर अपनी शहादते दे रहे है।  6 फरवरी को दिन के साढे ग्यारह बजे पुलिस के जवान सेंट्रल जेल से छह कैदियों को जांच के लिए जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के महाराजा हरि सिंह अस्पताल जैसे ही अस्पताल में लाये । वहां पर पार्किंग क्षेत्र में घात लगा कर बेठे देा आतंकियों ने ताडबतोड हमला कर गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी आतंकी नवीद को छुडा कर फरार हो गये।
आतंकियों के इस हमले में पुलिस के दो जवान शहीद हो गए। पुलिस के हेड कांस्टेबल मुश्ताक अहमद की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे कांस्टेबल बाबर अहमद की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी। इस घटना से आतंकियों के मनोबल का पता चलता है। इस प्रकरण से सुरक्षा बलो पर भारी दवाब है। परन्तु देश के हुक्मरान इस घटना के बाबजूद पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ठोस कार्यवाही करते नहीं दिख रहे है।
वहीं देश को झकझोरने वाली एक अन्य घटना में 4 फरवरी को पाकिस्तान ने राजौरी जनपदों में टेंक अवरोधी मिसाइलों से हमला कर 23 वर्षीय कपिल कुंडू, हवलदार रोशन लाल, सिपाई राम अवतार व शुभम सिंह  शहीद हो गए थे।
4 जांबाजों की शहादत पर आगबबुला हुए देश की संसद में 5 फरवरी को भारत के गृहमंत्री आदि मोदी सरकार के सभी नेता पाकिस्तान को करारा सबक सिखाने के हुकार भर रहे थे। भारतीय नेताओं की धमकियों को नजरांदाज कर पाकिस्तान ने अपने आतंकी से जम्मू कश्मीर में पुलवामा में सेना के शिविर पर कराया आतंकी हमला करा दिया।

शहीदों के परिजन ही नहीं पूरा देश शोक से गमगीन है। परन्तु देश की मोदी सरकार पहले की तरह इस प्रकरण की कड़ी निंदा करने, पाक को कडी चेतावनी देने व छुटपुट हमला कर अपना कर्तव्य इति समझ रही है। मोदी सरकार न तो भारत को बर्बाद करने को तुले आतंकी पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित कर उससे सभी सम्बंध तोड़ने का पहला काम कर रही है। नहीं पाकिस्तान को करारा जबाज तक दे पा रही है। इससे पाकिस्तान का  दुशाहस निरंतर बढ़ गया है।
2018 में इन तीन दर्जन  दिनों में पाकिस्तान की ओर से 160 बार से ज्यादा संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया। भारत-पाक सीमा के अलावा नियंतण्ररेखा पर सीमांत लोगों के अलावा सेना व बीएसएफ के 12 जवानों व अफसरों को शहादत देनी पड़ी है।
पाकिस्तान व उसके आतंकियों का सफाया करने की मोदी सरकार की कार्यवाही की हकीकत इसी सप्ताह उस समय बेनकाब हो गयी जब जम्मू कश्मीर में सेना के एक दल पर आतंकियों ने घेर कर पथराव किया। इन आतंकियों से बचने के लिए सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोली चलायी तो इसमें 3 हमलावर मारे गये। इसी पर मोदी की भाजपा से समर्थन से चल रही जम्मू कश्मीर सरकार ने सेना पर हत्या का मामला दर्ज कर दिया। यही नहीं इन आतंकियों के पक्ष में जिस प्रकार सत्तारूढ़ पीडीपी की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ही नहीं विपक्ष में बेठे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला भी घडियाली आंसू बहा रहे थे। महबूबा मुफ्ती की सरकार ने इससे एक कदम आगे बढ़ कर देश की एकता अखण्डता व सुरक्षा को खतरा डालते हुए सुरक्षा बलों पर हमला करने वाले हजारों आतंकी पत्थरबाजों पर दर्ज मुकदमें वापस ले लिये।
राजौरी क्षेत्र में पाकिस्तानी हमलों से पांच किलोमीटर परिधि में पड़ने वाले 84 स्कूलों को तीन दिन के लिए बंद कर दिया गया है लोगों के सर पर हरपल मोत का साया मंडरा रहा है।
डेढ़ महिने पहले 23 दिसम्बर 2016 को भी पाकिस्तान के हमले में राजौरी जिले के कैरी सैक्टर में सेना के एक मेजर समेत चार जवानों को शहादत देनी पड़ी थी।
एक महिने पहले भी पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर प्रांत के पुलवामा  में केन्द्रीय सुरक्षा बल के कैंप पर आतंकी हमला किया। 31 दिसम्बर के तडके 2.10 बजे अंधेरे में हमला कर पाक के आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर ग्रिनेड से हमला कर कैंप में घुस गये। इस हमले में भी सेना को अपने जांबाजों की शहादत देनी पडी। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना ने रजोरी के नौशेरा सीमा पर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहा है। परन्तु भारत सरकार न जाने किसके दवाब में या अंध मोह में भारत को बर्बाद करने के लिए बार बार हमला कर रहे पाकिस्तान को मित्र राष्ट्र का दर्जा दिये हुए है।

आतंकी पाकिस्तान के प्रति भारत सरकार को तत्काल अपने रवैये को बदल कर पाकिस्तान को दिया गया मित्र राष्ट्र के दर्जे को छिन कर उसे शत्रु राष्ट्र घोषित कर उससे सभी प्रकार के सभी सम्बंध तोड़ कर उसको कड़ा सबक सिखाना चाहिए। सबसे हैरानी की बात है पाकिस्तान को सबक सिखाने के नाम पर मोदी सरकार द्वारा कराये गये पाकिस्तान के अंदर घुस कर किये गये आकस्मिक हमले के बाबजूद पाकिस्तान और निर्ममता से भारत पर आतंकी हमले व सीमा पर हमला करता ही रहा है।  इसलिए भारत सरकार को देश की रक्षा के लिए तत्काल पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित कर उसकी पूरी तरह कमर तोड़ देनी चाहिए। अन्यथा पाकिस्तान भारत के अंदर आतंकियों को निरंतर भेजते रहेगा और भारत आतंकी हमलों से छलनी होता रहेगा। वह मित्रता के आड़ में अपनी आतंकियों को भारत में घुसा रहा है और देश के अंदर धार्मिक उन्माद भड़का कर देश की शांति भंग रहा है। मोदी सरकार व उसके रणनीतिकारों को एक बात का भान रखना चाहिए कि देश के हर जांबाज का खून पानी नहीं है। देश को तबाह करने को तुले पाकिस्तान से एक पल के लिए मित्रता रखना देश के हितों पर कुठाराघात ही मानता है।

इसलिए देश की जनभावनाओं को समझते हुए देश की सरकार को पाकिस्तान से मित्र राष्ट्र का दर्जा छिन कर उसे शत्रु राष्ट्र की घोषित कर उसको ऐसा करारा सबक सिखाये जैसे इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो टूकडे कर सिखाया था। नहीं तो इन छुटपुट हमलों से आतंकी पाक मानने वाला नहीं है। नहीं इन छुटपुट हमलो से उसकी अकल ठिकाने लग सकती है।
भारत की कमजोर विदेश नीति के कारण आज कश्मीर का बडा हिस्सा जहां पाकिस्तान व चीन ने कब्जा कर रखा है। भारत सरकार इन दोनों भारत विरोधी देशों से मित्रता का जितना मजबूती से दामन थामती है उसका एकांश भी इन दोनों द्वारा कब्जाये कश्मीर पर बात तक नहीं करते। भारत सरकार को चाहिए कि वह पाक व चीन दोनों को दो टूक वार्ता करती कि भारतीय क्षेत्र के कश्मीर को लोटाये बिना उन से किसी प्रकार की मित्रता नहीं हो सकती। दुर्भाग्य यह है देश की अभी 71 सालों से न कोई राष्ट्र हितों की रक्षा की न आंतरिक नीति है व नहीं विदेश नीति। देश के हुक्मरान देश के हितों के प्रति निरंतर उदासीन रहते है। न भारत कश्मीर के हिस्सों पर काबिज हुए पाक व चीन दोनों को विश्व स्तर पर कटघरे पर तक खड़ा नहीं कर पाया। देश की स्थिति इतनी दयनीय है कि देश में जब अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद भी देश उन्हीं अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी व इंडिया का गुलाम बना हुआ है तो देशहितों के विचारों व स्वाभिमान को संचारित कहां से देश में होगा। गुलामी में जीने के लिए अभिशापित देश के हुक्मरानों को देश को फिरंगी भाषा से आजाद करने की होश तक नहीं है तो देश का नाम को कैसे हासिल करेंगे। देश के हिस्सों पर काबिज पाक व चीन के कब्जे से छुडाने की बात तो अभी दूर की कोड़ी है।

देश का दुर्भाग्य है कि अंग्रेजों के जाने के बाद 71 सालों से कोई ऐसी सरकार नहीं आसीन रही जिसे देश के नाम, भाषा, सम्मान व हक हकूकों का भान हो। ये पदलोलुपु व निहित स्वार्थी नेतृत्व के कारण विश्व गुरू व सोने की चिडिया रहा देश संसार का सबसे अधिक भ्रष्ट व असहाय देश बना हुआ है। देश के हुक्मरानों को अभी इतना भी भान नहीं है कि किसे शत्रु व किसे मित्र बनाया जाय। ऐसे में देश के सम्मान व हक हकूकों की रक्षा कैसे होगी यही यज्ञ प्रश्न है।

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