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देश के सबसे जनप्रिय व कुशल प्रशासक माणिक सरकार को हर हाल में हराने की मंशा देश व त्रिपुरा के लिए शुभ नहीं

18 फरवरी को त्रिपुरा और 27 फरवरी को मेघालय व नागालैण्ड में मतदान, तीनों राज्यों में 3 मार्च को होगी मतगणना

चुनाव आयोग ने त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड विधानसभा चुनावों का शंखनाद

मेघालय में कांग्रेस की सरकार है, त्रिपुरा में 1993 से माकपा की माणिक सरकार सत्ता में है और वहीं नगालैंड में नागा पीपुल्स फ्रंट की सरकार है और उसे भाजपा का समर्थन हासिल है। भाजपा पहली बार पूरे दमखम से पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में अपना परचम लहराना चाह रही है। असम के बाद भाजपा की नजर त्रिपुरा पर है वहां की सत्ता पर काबिज होने के लिए माणिक सरकार जैसे जनप्रिय व कुशल प्रशासक को कैसे पदच्युत करते है। माणिक सरकार न केवल त्रिपुरा के अपितु पूरे देश के शीर्ष जनप्रिय व कुशल प्रशासक है। परन्तु सत्ता की अंधी भूख देश की राजनीति को कहां ले जायेगी। त्रिपुरा में भाजपा के पास न कोई जननेता है व नहीं जनता में पकड़। त्रिपुरा में माणिक सरकार का हर हाल में हराना देश की राजनीति के लिए शुभ लक्षण नहीं है।

नई दिल्ली(प्याउ)। चुनाव आयोग ने आज 18 जनवरी को दोपहर 12 बजे  को त्रिपुरा, मेघायल और नगालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव की ऐलान कर दिया है। पहले चरण का मतदान त्रिपुरा में 18 फरवरी को होगा। और दूसरे चरण का मतदान मेघालय व नागालेण्ड में 27 फरवरी को होगा । तीनों राज्यों का चुनाव परिणाम 3 मार्च को किया जायेगा।
60-60 विधानसभाई सीटों वाले मेघालय, त्रिपुरा व नागालैण्ड में चुनाव की तारीख का ऐलान करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि तीनों राज्यों में मतदान मशीनों से होगा और संवेदनशील मतदान केन्द्रों में केमरे लगे होंगे। उम्मीदीवार का खर्च 20 लाख रूपये होगे इवीएम के साथ वीवीपैट का भी इस्तेमाल होगा।
गौरतलब है मेघालय विधानसभा का कार्यकाल 6 मार्च को, नगालैंड का 13 मार्च को और त्रिपुरा को 14 मार्च को खत्म हो रहा है.
पहले चरण में त्रिपुरा में 18 फरवरी को मतदान होगा। मेघालय व नागालैण्ड में दूसरे चरण में मतदान 27 फरवरी को होगा।

मेघालय में कांग्रेस की सरकार है, त्रिपुरा में 1993 से माकपा की माणिक सरकार सत्ता में है और वहीं नगालैंड में नागा पीपुल्स फ्रंट की सरकार है और उसे भाजपा का समर्थन हासिल है। भाजपा पहली बार पूरे दमखम से पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में अपना परचम लहराना चाह रही है। असम के बाद भाजपा की नजर त्रिपुरा पर है वहां की सत्ता पर काबिज होने के लिए माणिक सरकार जैसे जनप्रिय व कुशल प्रशासक को कैसे पदच्युत करते है। माणिक सरकार न केवल त्रिपुरा के अपितु पूरे देश के शीर्ष जनप्रिय व कुशल प्रशासक है। परन्तु सत्ता की अंधी भूख देश की राजनीति को कहां ले जायेगी। त्रिपुरा में भाजपा के पास न कोई जननेता है व नहीं जनता में पकड़। देश के सबसे जनप्रिय व कुशल प्रशासक माणिक सरकार को हर हाल में हराने की मंशा देश व त्रिपुरा के लिए शुभ नहीं है । 

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