उत्तराखंड

राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए चौतरफा तैयारी हो चूकी है अब केवल वर्तमान सरकार को ऐलान करना हैः हरीश रावत

छोटी बग्वाल के दिन राजधानी गैरसैंण पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से गंभीर मंथन

 
नई दिल्ली(प्याउ)। छोटी दीवाली के दिन जहां एक तरफ उप्र के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी कई दशकों से देश व प्रदेश की सरकारों द्वारा उपेक्षित की गयी भगवान राम की नगरी अयोध्या में ऐतिहासिक दीपावली का आयोजन कर भारतीय संस्कृति की ध्वज पताका को लहरा रहे थे। वहीं भारतीय संस्कृति की उदगमस्थली उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए गंभीर चिंतन मंथन उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नयी दिल्ली आवास 190 साउथ एवेन्यू में किया जा रहा था।
देश की राजधानी दिल्ली हो या उत्तराखण्ड के हुक्मरानों की पंचतारा नगरी देहरादून दोनों में 18 अक्टूबर की रात सात बजे जहां लोग दीपावली के दिये  जलाने व एक दूसरे को दीपावली की मिठाईयां बांटने में लगे हुए थे।

 

ऐसे व्यस्त उत्सव भरे माहौल में उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के दिल्ली आवास में दीपावली की बधाई देने गये समाजसेवी दिगमोहन के संग जंतर मंतर से अपने दिल्ली निवास जा रहे राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी संगठन ‘उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत व उत्तराखण्ड महासभा के अनिल पंत पंहुचे। वहां पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को दीपावली की बधाई देने के बाद प्यारा उत्तराखण्ड  के सम्पादक देवसिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री के केदारनाथ यात्रा के बारे पूछा। उसके बाद देवसिंह रावत ने हरीश रावत से प्रश्न किया कि रावत जी आपने फेसबुक में नये जनपद बनाने के निर्णय चाह कर भी न ले पाने की अपनी विवशता जाहिर की। अब भविष्य में आप इसी तरह से फेसबुक में कभी गैरसैंण राजधानी न बनाये जाने पर भी प्रकाश डालना।
यह सुनते ही मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक कागच पर विस्तारपूर्वक राजधानी गैरसैंण पर प्रगति व भविष्य की जरूरत पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने गैरसैंण राजधानी बनाने के दिशा में ऐतिहासिक कार्य किये। राज्य गठन के 14 साल तक की किसी भी सरकार ने राजधानी गैरसैंण बनाने की दिशा में काम करना तो रहा दूर इस दिशा में गैरसैंण का नाम तक लेने से कतराते रहे। उनकी सरकार ने पहली बार राजधानी गैरसैंण में भराड़ी सैंण में न केवल ऐलान किया अपितु वहां पर विधानसभा भवन, विधायक व कर्मचारी आवासों का निर्माण किया।
(1)पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुसार राजधानी का कार्य सुचारू रूप से संचालित करने के लिए किसी भी स्थान पर कम से कम दस हजार लोगों को रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उनकी सरकार ने 2000 लोगों की व्यवस्था की। इसके साथ 3 हजार अन्य लोगों को रहने की व्यवस्था पर कार्य शुरू कर दिया।
(2) गैरसैंण में 3000 लोगों के लिए पानी की भी व्यवस्था हो चूकी है। 7 हजार लोगों के लिए अभी व्यवस्था की जानी है।
(3)वहीं भराड़ीसैंण  में मार्केट के लिए भूमि अधिकृत कर दी गयी है।
-वहीं न्यूहुड्डा को टाउनशीप बनाने का काम सौंप दिया गया है।
(4-क) रामनगर, भिक्यिासैण, बछुआवाण, मेहलचैंरी  से मोटर मार्ग का जाल बिछाया जा रहा है।
(ख) मेदावन-नयार के किनारे दो टेनल का निर्माण किया जाना।
(ग) पौड़ी से दुधातोली मोटर मार्ग का निर्माण
(घ) ग्वालदम से भराड़ीसैण मोटर मार्ग का निर्माण
(ड) गरूड़-चैनाई-बछुवाबाण 7 किमी मोटर मार्ग का निर्माण
सरकार इन सम्पर्क मार्गो के बन जाने के बाद व उपरोक्त पानी -रहने की व्यवस्था हो जाने के बाद गैरसैंण राजधानी बनाये जाने पर किसी प्रकार की बहानेबाजी नहीं कर सकती।
इसके साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड की जनता से अनुरोध किया कि अपने पैतृक गांव व खेत खलिहान को आबाद करने के लिए आगे आयें। उन्होने खासकर दिल्ली सहित अन्य शहरों में बसे उत्तराखण्डियों से अनुरोध किया कि वे अपनी जन्मभूमि को आबाद करने से पीछे न हटे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आशा प्रकट की कि वर्तमान सरकार जनभावनाओं व शहीदों की शहादत का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण को बनाने का अपना प्रथम दायित्व का निर्वहन शीघा्रतीशीघ्र करेंगे।

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