दुनिया

अमेरिका को रूस,चीन, उत्तर कोरिया व इस्लामी आतंक से नहीं अपितु अमेरिकियों की हथियारों की अंधी सनक से है खतरा

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोन से अधिक खतरा है अमेरिका को अमेरिकियों की हथियारों की सनक से

देवसिंह रावत

1 अक्टूबर की रात को अमेरिका केें लास वेगास के एक कार्यक्रम को देख रहे सैकडों लोगों को स्टीफन पैडक नाम के एक बुजुर्ग अमीर अकाउंटेंट ने अंधाधुंध गोलीबारी कर खून की नदियां बहा दी। इस गोलीबारी में उसने 59 लोगों को मौत के घाट उतारा और 500 से अधिक लोगों को घायल कर दिया। हमलावर ने इस जघन्य काण्ड करने के बाद खुद भी आत्महत्या कर ली। उसके मरने के बाद हालांकि इस्लामी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
अमेरिका भी इस हमले के बारे में आतंकी हमला नहीं बता पा रहा है। यह भले ही एक आदमी की सनक मान कर दुनिया के लोग नजरांदाज कर सकते है। परन्तु हकीकत यह है कि इस घटना से साफ उजागर हो गया है कि भले ही अमेरिका पूरी दुनिया को उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग की परमाणु हथियारों की सनक का भय दिखा कर डरा रहा हो। आज के दिन अमेरिका को रूस, चीन, इस्लामी आतंकी व उत्तरी कोरिया से नहीं है, अपितु अमेरिका को सबसे बड़ा खतरा है अमेरिकियों की हथियारों की सनक से है।

हकीकत यह है कि  आज के दिन भी किम जोंग के उत्तर कोरिया के पास इतनी ताकत नहीं है कि वह अमेरिका का बाल भी बांका कर दे। अमेरिका इराक की तरह वर्तमान में उत्तरी कोरिया को बहाना बना कर विश्व में अपना शिकंजा और मजबूत करना चाहता है। कभी वह बिन लादेन व अलकायदा के सहारे मजबूत हुआ। कभी अमेरिका इस्लामी आतंकियों का भय दिखा कर अपनी मजबूती करता रहा। अब चीन पर अंकुश बनाये  रखने के लिए वह किम जोंग को उकसा रहा है। वह विश्व में ठीक सद्दाम हुसैन के नाम पर रसायन व खतरनाक हथियारों का खौप दिखाकर दुनिया को भ्रमित किया था। ठीक वेसे ही आज उत्तरी कोरिया के नाम पर अमेरिका अपना बर्चस्व को और मजबूत करना चाहता है।
परन्तु अमेरिका को वर्तमान में चीन व रूस के प्यादे के तौर पर उतरी कोरिया से मिल रही चुनौती एक कृर्तिम है। असली चुनौती अमेरिका को जो आये दिन झेलना पड रहा है। वह है उसके अपने खुद के नागरिकों में तेजी से पनप रही हथियारों के प्रति अंधी सनक है। अमेरिकियों के मध्य अंध हथियारों की सनक को उजागर और कोई नहीं खुद अमेरिका के आंकडे कर रहे है। सन
2014 में जब अमरीका की आबादी लगभग 32 करोड़ थी तब वहां पुलिस और नागरिकों के पास मौजूदा हथियारों की संख्या 37 करोड़ थी। यहां की आबादी से अधिक हथियार यहां विद्यमान है। अमेरिका में हथियार रखने पर कोई पाबंदी नहीं है। न हीं इनका कोई रिकार्ड सरकार के पास है।
इससे पहले  जून 2016 में फ्लोरिडा के एक नाइटक्लब में हुई शूटिंग में 49 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसी घटनाये अमेरिका में आम बात हो गयी। ताजा प्रकरण के खलनायक पैडक एक बडा जुआरी है। हाॅ वह खुद कोई अपराधी नही था पर उसके पिता एक बडे बैंक लूटेरे थे। अमेरिका खुफिया ऐजेन्सी एफबीआई मानना है कि  पैडक का विदेशी आतंकी समूहों से कोई संपर्क नहीं था। वहीं दूसरी तरफ इस्लामिक स्टेट ने दावा किया है कि पैडक उनका सिपाही था। सबसे हैरानी यह है कि  पैडक का पुलिस के कोई बडा अपराधिक रिकार्ड नहीं है। वह गरीब भी नहीं अपितु अमीर भी है। हो सकता है वह इस्लामी आतंकी संगठन से अपनी सनक के लिए जुड गया हो और जिसके तहत ही उसने ऐसा खौपनाक घटना को अंजाम दिया हो। अमेरिका को अपने ऐसे ही सनकी नागरिकों से खतरा ज्यादा है।

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