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अगर मेक्सिको जैसा विनाशकारी भूकंप भारत के दिल्ली जैसे शहरों में आये तो लाखों मारे जायेंगे

अनियोजित व असुरक्षित भवनों का शहर बसा कर देश को बर्बादी के गर्त में धकेल रहा है नेता, नौकरशाही व ठेकेदारो का गिरोह

देवसिंह रावत

मेक्सिकों में 20 सितम्बर को आये विनाशकारी भूकंप को टीबी आदि समाचार माध्यम से देख कर भारत सहित पूरे संसार में दहशत फैल गयी। लोग आशंकित है कि अगर ऐसा भूकंप उनके शहरों में आये तो यहां अनियोजित भवन निर्माण, भूकंप से बचाव के लिए मेक्सिकों की तरह पूर्व चेतावनी के हूटर आदि तैयारी न की हुई गैरजिम्मेदार शासन व्यवस्था के कारण अकल्पनीय तबाही हो सकती है।
भारत जैसे विकासशील देशों में पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार के शिकंजे में दम तोड़ रही है। यहां पर एक तरफ अनियोजित व आत्मघाती विकास एक प्रकार से विनाश को ही निमंत्रण दे रहा है। भूकंप के लिए संबसे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में सरकार बडे बडे बांध बना रही है। केदारनाथ त्रासदी के बाबजूद सरकारें तमाम सचेत करने वाली रिपोर्टो को रौंदकर बहती नदी में जल विद्युत परियोजनायें, छोटे बांध, सौर आदि माध्यमों से उर्जा अर्जित करने के बजाय मात्र भ्रष्टाचार के लिए बडे बांधों को बना कर प्रकृति के साथ लाखों जीव जन्तुओं के जीवन को खिलवाड करने को उतारू है। भूकंप से बचाव कैसे किये जाये, भवन इत्यादि निर्माण कैसे किये जांय इस विधि का अनुसरण करने के बजाय वहां पर केवल कंकरीट के जंगल खडे कर दिये है। बारूद, सुरंगों के विस्फोटों से पहाड़ खोखला कर दिया है।   वहां पर भी भवन इत्यादि निर्माण कहीं भी भूकंप व वहां की जलवायु की दृष्टि से बनाये जाने के बजाय केवल सुरक्षा मापदण्डों व प्राचीन सुरक्षित भवन निर्माण को नजरांदाज किया जा रहा है। धनपशु बने सरकारी कर्मचारी, नेता व ठेकेदारों का गिरोह बिना सुरक्षा मापण्डों  को नजरांदाज कर असुरक्षित भवन निर्माण करके लोगों के जीवन से लगातार खिलवाड़ कर रहे है।
मेक्सिको में 20 सितम्बर को आये 7.1 पेमाने के प्रलयंकारी भूकम्प से 250 से अधिक लोग मरे, 44 इमारतें ध्वस्थ, 250 लोग मारे गये, सेकडों लोगों के दबे होने की आशंका करीब 50 लाख लोग इस तबाही से प्रभावित। महज 5 सेकंड के इस भूकंप के बारे में  प्रशासन चेतावनी का हूटर भी नहीं बजा पायी। नदी का पानी समुद्र की तरह हिलौरे लेकर शहर को तबाह कर रहा था।
यह 12 दिन में दूसरी बार ऐसा विनाशकारी भूकंप आया था।  7 सितंबर को भले ही 20 सितम्बर से अधिक तीब्रता का यानी 8.0 तीव्रता के भूकंप आया था इसमें  90 से अधिक लोग मारे गए थे। उस दिन शासन भूकंप का हूटर बजा पायी थी इससे कम नुकसान हुआ । 1991 से ही मैक्सिको में भूकंप की पूर्व चेतावनी देना वाला हूटर लगा रखा है।
भारत में गुजरात, उतरकाशी सहित अनैक विनाशकारी भूकंप आ चूके है। परन्तु सरकारें हवाई बाते करके घोडे बेच कर सोई हुई है। यहां पर जापान व पश्चिमी देशों की तरह भूकंप से बचने की प्रणाली देने में अभी तक शासन असफल रही है। यहां पर सबसे हैरानी की बात यह है यहां पर ऐसी आपदा में बचाव व राहत कार्यो में प्रदान संसाधनों पर भी  नेता, सरकारी तंत्र व समाजसेवी संस्थायें  प्रायः सेंधमारी करते देखा गया है। लूटरी अंग्रेजी गुलामी के कारण देश में अंग्रेजों की लुटेरा प्रवृति से देश मर्माहित है। यहां पर देश को कलंकित व शर्मसार करने वाले ताबूत घोटाला, केदारनाथ त्रासदी घोटाला, उतरकाशी -चमोली भूकंप ही नहीं कुंभ घोटाला, कब्रिस्तान घोटाला सहित अनैक घोटाले देश की कुव्यवस्था को बेनकाब कर रहे है। अगर भारत के दिल्ली सहित महानगरों में मेक्सिकों जैसा विनाशकारी भूकंप आ जाये तो यहां पर कमजोर नींव वाली रेत से बने असुरक्षित लाखों मकान ढह कर लाखों लोगों का कब्रिस्तान बना देगा। सरकार को भूकंप से बचाव के कारगर उपाय युद्धस्तर पर करने चाहिए।

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