उत्तराखंड

भाजपा के नेताओं के बर्चस्व के महाभारत का कुरूक्षेत्र बना हरिद्वार

महाराज  बनाम मेयर व मदन कौशिक  के बाद चैम्पियन व निशंक समर्थकों में छिडी बर्चस्व की जंग
हरिद्वार(प्याउ)। उत्तराखण्ड में सत्तासीन भाजपा,  हरिद्वार में दिग्गज मंत्री सतपाल महाराज के आश्रम की दीवार को भाजपा के ही मेयर द्वारा तुडाये जाने के बाद हुई आश्रम वालों व मनोज गर्ग आदि के साथ हुए विवाद से उबर भी नहीं पायी कि तभी हरिद्वार जनपद में ही भाजपा नेताओं के बीच दूसरा विवाद ने भी भाजपा की ऐसी भद्द पिटाई की प्रदेश में ही नहीं देश में भाजपा की भारी किरकिरी हो रही है। भले ही हरिद्वार संसार भर के भारतीयों के लिए हरि व हर का पावन द्वार होने के साथ माॅं गंगा की अवतरण धरा हो। परन्तु भारतीय संस्कृति की ध्वज वाहक होने की दंभ भरने वाली भाजपा के लिए हरिद्वार अपने नेताओं की अहं की जंग यानी भाजपाई महाभारत का कुरूक्षेत्र ही साबित हो रहा है।
इस सप्ताह तिरंगा यात्रा में जिस प्रकार हरिद्वार जनपद के ही दंबंग विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैपियन व उनके समर्थकों के खिलाफ भाजपा के ही चंद्रपुरी से जिला पंचायत सदस्य रजनीश के समर्थकों के बीच मारपीट का मामला पुलिस में दर्ज कराया गया। सुत्रों के अनुसार रजनीश हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के करीबी है। इस प्रकार यह मामला भी कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन बनाम निशंक के बीच कहीं बर्चस्व की जंग के रूप में भी देखा जा रहा है।
पुलिस ने जिला पंचायत सदस्य रजनीश की शिकायत पर चैंपियन, जितेंद्र चैधरी निवासी अकोढ़ा, ओमकार चेयरमैन निवासी खानपुर, पदम सिंह, जंगी निवासी खानपुर, के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं दूसरी तरफ  पूर्व जिला पंचायत सदस्य पप्पू सिंह ने पुलिस को शिकायत की कि तिरंगा यात्रा के दौरान रजनीश निवासी मौहम्मदपुर मथाना और रफल सिंह निवासी तुगलपुर, मांगेराम और तीन अन्य लोगों ने उससे मारपीट व लूटपाट की। पुलिस दोनों पक्षों की शिकायत पर जांच करेगी। इस प्रकरण से भी सतपाल महाराज के आश्रम व मेयर विवाद से हुई प्रदेश भर में भाजपा की बदनामी से परेशान पार्टी अपने नेताओं की कारस्तानी के कारण नये विवाद में उलझ गयी है ।

प्रदेश सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज व मदन कौशिक भले ही हरिद्वार में पडोसी हों पर दोनों में आपसी सम्बंध सामान्य नहीं बताये जा रहे है। भाजपाई क्षेत्रों के साथ समाचार जगत में भी इस बात की चर्चा है कि सतपाल महाराज  के आश्रम की दीवार को तुडवाने वाला मेयर भी मदन कोशिक के करीबी है। मदन कोशिक के दम पर ही मेयर ने सतपाल महाराज से टकराने की हिम्मत की। एक दल के होने के नाते मेयर से यह आश नहीं की जा सकती कि वह अपने ही दल के वरिष्ठ नेता के आश्रम की दीवार को सरेआम खडे हो कर तुडवाये।
चाहे मेयर का तर्क यह है कि यह दीवान या निर्माण अवैध है। एक दलीय होने के नाते मेयर यह काम पार्टी को विश्वास में लेकर व सतपाल महाराज को विश्वास में लेकर खुद महाराज से हटवा सकते थे। परन्तु इस प्रकार महाराज के आश्रम की दीवार तुडवा कर मेयर ने न केवल भाजपा की जग हंसाई करायी अपितु महाराज को भी ठेस पंहुचायी। सतपाल महाराज आश्रम व मेयर प्रकरण की खबरें सुन कर केन्द्रीय नेतृत्व भी नाखुश है।यही नहीं हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक से भी हरिद्वार के विधायक व प्रदेश सरकार में कबीना मंत्री मदन कौशिक के बीच सम्बंध सामान्य नहीं है।

हरिद्वार जनपद की स्थिति को भले ही भाजपा सामान्य बताये पर यहां के हालत बयान कर रहे है कि अगर स्थिति सामान्य रहती तो एक दल के नेताओं में हुई आपसी संघर्ष कभी थाने में एक दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज करने तक नहीं पंहुचता। खासकर मोदी व शाह की भाजपा में पार्टी के अंदर के विवादों को थानों तक पंहुचना एक प्रकार से पार्टी की विस्फोटक स्थिति को ही बयान करती है। बर्चस्व की जंग कांग्रेस पार्टी में प्रदेश में जन्म के समय से पहले से विस्फोटक रही परन्तु कांग्रेसी क्षत्रपों में इतनी हिम्मत नहीं होती कि वे पार्टी नेतृत्व के अनुशासन के पाठ को ठेंगा दिखा कर आपसी विवाद को थानों में दर्ज कराकर पार्टी की जग हंसाई कराये। पर भाजपा में मोदी व शाह के राज में उत्तराखण्ड में जो कुछ भी भाजपा में घटित हो रहा है उसे देख कर भी लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि यह मोदी व शाह की भाजपा का अनुशासन है?

केन्द्रीय नेतृत्व को लग रहा है कि अगर इसी प्रकार बर्चस्व की इस आत्मघाती जंग में भाजपा के क्षत्रप उलझे रहे तो मोदी के 2019 के मिशन की बैतरणी कैसे पार लगेगी?

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