उत्तराखंड देश

अंधाधुंध बांध बनाने व मोटर मार्गों के कटान में बारूदी सुरंगों आदि के विस्फोटों से हो रहे है हाथी पहाड़ जैसे हादसे

बदरीनाथ (प्याउ)। 19 मई की दोपहर साढे तीन बजे दोपहरी को विष्णु प्रयाग के पास हाथी पहाड़ के दरकने की घटना से जहां 20 हजार के करीब तीर्थ यात्री फंस गये। वहीं हाथी पहाड़ की चट्टाने टूट कर सड़क पर गिरने की दिल दहलाने वाली घटना को खबरिया चैनलों व इंटरनेटी दुनिया के माध्यम से देख कर देश विदेश के करोड़ों लोग सहम गये। हालांकि इस त्रासदी से कोई जान माल का नुकसान हीं हुआ। दो दिन से यह हाथी पहाड़ कोे दरक रहा था। इसलिए प्रशासन पहले से ही सावधानी बरत रहा था। सुत्रों के अनुसार 18 मई की रात को इस इलाके में वर्षा होने के बाद 19 मई की दोपहरी को यह दुर्घटना होने से बदरीनाथ मार्ग को जोड़ने वाला 160 मीटर राष्ट्रीय राजमार्ग अवरूद्ध हो गया। इन चट्टानों को गिरते देख कर यात्री भयांक्रांत हो गये। सावधानी बरतते हुए प्रशासन ने यात्रियों को इस स्थान से पहले सुरक्षित मार्ग पर यात्रा रोक दी थी।
इस हाथी पहाड़ के नीचे मोटर मार्ग पर 2015 में भी भूस्खलन होने से एक सप्ताह के लिए यात्रा अवरूद्ध हुई थी। उस समय सरकार ने हेलीकप्टर की मदद से फंसे हजारों यात्रियों को यहां से सुरक्षित बाहर निकाला था। परन्तु इस समय सरकार यह प्रयोग नहीं कर पायी। सीमा सुरक्षा संगठन इस बार हाथी पहाड़ की चट्टाने ढहने से क्षतिग्रस्त सड़क की मरमत करके यात्रा संचालित करने में दो दिन लगने की बात कह रहे है।

हालांकि फंसे यात्रियों को जोशीमठ में ठहराया गया है। वहीं बदरी नाथ यात्रा के लिए उत्तराखण्ड में पंहुचे देश विदेश से आ रहे हजारों यात्रियों को भी मार्ग सुचारू होने तक रास्ते में रूकने का अनुरोध किया है।
इस दुर्घटना से लोगों के जेहन में सन् 2013 को केदारनाथ सहित उत्तराखण्ड में हुई त्रासदी की यादें ताजा कर लोगों को भयभीत कर दिया। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि देवभूमि से बढ़कर मोक्ष भूमि के रूप में पूरी सृष्टि  में वंदनीय उत्तराखण्ड में ऐसी त्रासदी क्यों हो रही है।

जानकारों का मानना है कि सरकार द्वारा इस मध्य हिमालयी संवेदनशील क्षेत्र में मोटे कमीशन के लालच में बिजली बनाने के नाम पर गंगा यमुना व उसकी सहायक नदियों पर अंधाधुंध बांध बना कर यहां के पर्यावरण व सुरक्षा के साथ लोगों के जीवन के साथ शर्मनाक खिलवाड किया गया। यहां बांध बनाने, सुरंगे बनाने व सड़क बनाने में पर्यावरण मानकों का खुला उलंघन करके बारूदी सुरंगों व विस्फोटों का सहारा लिया गया।

इससे इस नये पहाड़ जहां तहां दरकने लगे और यहां का प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ गया। बर्षा रितू में यहां जहां तहां बादल फटने की त्रासदी से पहाड़ी जीवन पूरी तरह से असुरक्षित हो गया। वहीं हर मौसम में दर्जनों लोगों की दर्दनाक मौत हो रही है। गांव के गांव तबाह हो रहे है।
इसके साथ मोटर मार्गो को चैड़ी करने के नाम पर पहाडियों का अंधाधुंध कटान किया जा रहा है। उसके बाद कटान किये जाने वाले स्थानों पर मजबूत दिवार का निर्माण तक नहीं किया जाता है। चट्टानों को तोड़ने के लिए बारूद का प्रयोग तक किया जा रहा है।

सब मानको का उलंघन करके किया जाता है। इस कार्य पर निगरानी रखने वाली सरकारी संस्था को कमीशन से मतलब है वह इसकी सावधानी पूर्वक उन स्थानों पर जाये बिना कार्य को पारित कर देती है। इसी कारण पहाड़ दरकने व असुरक्षित हो रहे है। राजनैतिक दलों पर ठेकेदारों का शिकंजा जकड़ा हुआ है। ये प्रदेश के दूरगामी हितों व पर्यावरण सुरक्षा से खिलवाड कर अंधाधुंध बांध बनाने व विस्फोटों से सड़क बनाने के काम पर अंकुश लगाने में असफल रहे। इसी कारण हाथी पहाड़ जैसी दुर्घटना हो रही है।

About the author

pyarauttarakhand5