उत्तराखंड

मतदान मशीनों मे छेड़छाड़ के आरोप प्रत्यारोप में उलझी देश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है नैनीताल उच्च न्यायालय

देव सिंह रावत 

मतदान मशीनों मे छेड़छाड़ के आरोप प्रत्यारोप में उलझी देश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है नैनीताल उच्च न्यायालय उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान मशीनों से हुई छेड़छाड़ के वाद में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नैनीताल उच्च न्यायालय ने दिया संबंधित विधानसभाओं की मतदान की मशीनों को स्ट़ाग रूम में सीन करने का आदेश। उच्च न्यायालय के इस फैसले से जहां उत्तराखंड की राजनीति में हड़कंप मच गया है।

उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों से 6 सप्ताह के अंदर जवाब दर्ज करने का निर्देश देते हुए छह विधानसभाओं की मतदान मशीनों को मजिस्ट्रेट के समक्ष सील कर के स्ट्राग रूम में रखने का भी आदेश दिया

वही उत्तर उत्तर प्रदेश गोवा दिल्ली के चुनाव में मतदान मशीनों से हुई छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस, लालू यादव वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित अन्य विपक्षी नेताओं को भी आशा की किरण नजर आने लगी है।

उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड वह दिल्ली के चुनाव मे भाजपा के हाथों बुरी तरह से पराजित होने वाले यह तमाम विपक्षी दलों के आरोपों को जहां चुनाव आयोग सिरे से खारिज कर रहा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी भी इन दलों पर नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगा रही है। लोगों की जेहन में एक सवाल फिर उमड़ रहा है कि क्या एक बार फिर अपने निर्णय से देश की सत्ता​ में आसीन मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने का ऐतिहासिक फैसला नैनीताल उच्च न्यायालय श्री ही सुनाई देगा?

गौरतलब है कि इससे पहले मोदी सरकार द्धारा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की कार्रवाई पर भी नैनीताल उच्च न्यायलय ने रोक लगाई थी। जिसके खिलाफ केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाने का काम किया परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले पर मोहर लगाते हुए विधानसभा के पटल पर ही निर्णय दिया था।

किसी ऐतिहासिक फैसले से केंद्र सरकार की देशव्यापी किरकिरी हुई थी। अब चुनाव में मशीन से हुई छेड़छाड़ के वाद में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जो कदम उठाए हैं, वह भी देश में एक नजीर बन सकता है। अंतिम फैसला सर्वोच्च न्यायालय में ही होगा पर इसके लिए मजबूत राह उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला भी बन सकता है।

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