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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने की उत्तराखण्ड को 4000 करोड़ रू.प्रति वर्ष हरित बोनस की मांग


प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता मे 23 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुई नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने रखा उत्तराखण्ड का पक्ष


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दिल्ली मे नीति आयोग की बैठक में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में जल्द ही एस.जी.एस.टी.(स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स) को राज्य विधानसभा से पास करवाया जाएगा। पंद्रह वर्षीय विजन के तहत राज्य के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए बागवानी/जैविक कृषि, पर्यटन, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, वानिकी व जड़ी-बूटी/आयुष कुल 6 ग्रोथ इंजन चिन्हित किए गए हैं। वर्ष 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जैविक कृषि, दलहनी खेती में आत्मनिर्भरता, बीज प्रतिस्थापन में वृद्धि, कृषि विपणन, वैज्ञानिक कृषि पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है।

रविवार को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में विभिन्न मुद्दों पर राज्य से संबंधित जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 337 से अधिक गांवों के पुनस्र्थापन के लिए विशेष पैकेज, पर्यावरणीय सेवाओं के लिए उत्तराखण्ड को 4 हजार करोड़ रूपए प्रतिवर्ष का ग्रीन बोनस, 14 वें विŸा आयोग की संस्तुतियों से हुई हानि की क्षतिपूर्ति के लिए स्पेशल प्रोजेक्ट के तहत प्रतिवर्ष 2 हजार करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाए जाने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने पर्वतीय राज्यों के लिए विकास रणनीति बनाने के लिए अलग मंत्रालय या नीति आयोग में ही प्रकोष्ठ बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने मोबाईल कनेक्टीवीटी से अछूते रह गए 3086 गांवों को मोबाईल कनेक्टीवीटी से जोड़े जाने के लिए दूरसंचार विभाग को निर्देशित किए जाने का भी अनुरोध किया ताकि ‘डिजिटल इंडिया’ के विजन को साकार किया जा सके। भागीरथी इको सेंसिटीव जोन में स्टीप स्लोप के लिए 20 डिग्री के क्राॅस स्लोप के स्थान पर 60 डिग्री का क्राॅस स्लोप करने के लिए आवश्यक संशोधन किया जाए।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य की भौगोलिक स्थिति, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा एवं संवेदनशीलता, सामरिक महत्व के दृष्टिगत अवस्थापना सुविधाओं का सृजन करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से पलायन की समस्या रोकी जा सके, सुदूरवर्ती इलाकों में रोजगार सृजन हेतु व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाया जा सके एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा भी प्रभावी रूप से की जा सके। अतः उपरोक्त उद्देश्य हेतु भूमि अर्जन अधिनियम के विभिन्न पहलुओं जैसे कि सामाजिक समाघात निर्धारण इत्यादि को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विगत 02 वर्षो में नीति आयोग द्वारा अनेकों पहल की गयी हैं। केन्द्र पोषित योजनाओं पर मुख्य मंत्रियों का उपसमूह, स्वच्छ भारत मिशन पर मुख्य मंत्रियों का उपसमूह तथा कौशल विकास पर मुख्यमंत्रियो का उपसमूह गठित किये गये। इसके अतिरिक्त गरीबी उन्मूलन, कृषि विकास एवं कृषि बीमा पर कार्यदलों (Task Force) का गठन एक सराहनीय प्रयास है। नीति आयोग द्वारा जो परामर्शी सुविधायें दी जा रही हैं वे विकास की रणनीति के प्रतिपादन हेतु अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होंगी। उत्तराखण्ड राज्य द्वारा पूरी सहभागिता की जा रही है। नीति आयोग के अन्तर्गत गठित केन्द्र पोषित योजनाओं पर मुख्य मंत्रियों के उपसमूह की अनुशंसा के आधार पर भारत सरकार ने उत्तराखण्ड राज्य सहित अन्य पर्वतीय एवं पूर्वोत्तर राज्यों के सीमित संसाधनों के दृष्टिगत सहायता दी है।

डिजिटल उत्तराखण्ड के संबंध में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड  राज्य में ई- गर्वनेंस के लिए देवभूमि जनसेवा केन्द्र (सीएससी) के माध्यम से राज्य के सभी 13 जनपदों में ई-डिस्ट्रक्ट सेवायें प्रदान की जा रही है। राज्य में 1 करोड़ 4 लाख 60 हजार आधार कार्ड बना दिये गये हंै एवं राज्य के समस्त नागरिकों के आधार कार्ड शीघ्र बना दिये जाएंगे। निर्वाचन विभाग द्वारा आॅनलाइन पंजीकरण, आवेदन और खोज विकल्प की सुविधा आरम्भ कर दी गयी है। सेवायोजन विभाग द्वारा आॅनलाइन पंजीकरण किया जा रहा है। वाणिज्य कर विभाग एवं कोषागार विभाग द्वारा ई-चालान की आॅनलाइन भुगतान शुरू की गई है। प्रत्येक तहसील में खतौनी का प्रावधान किया गया है। उत्तराखण्ड जल संस्थान व यू0पी0सी0एल0 द्वारा आॅनलाइन भुगतान की सुविधा आरम्भ कर दी गई है। उत्तराखण्ड परिवहन निगम द्वारा आॅनलाइन टिकट प्रणाली आरम्भ कर दी गयी है। रोड टैक्स आदि का आॅनलाइन भुगतान किया जा रहा है। पुलिस विभाग द्वारा सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट पर कार्य आरम्भ कर दिया गया है। आई0सी0डी0एस0 द्वारा माॅ व शिशु का ट्रैकिंग सिस्टम तैयार किया गया है। उत्तराखण्ड राज्य में कुल 16,793 गांवों के सापेक्ष 13,707 गांवों की मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध है, शेष गांवों में मोबाईल कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। प्रधानमंत्री जी के ‘‘विजन’’ को धरातल पर क्रियान्वयन करने हेतु यह अति आवश्यक है कि सम्पूर्ण गांवों में मोबाईल कनेक्टिविटी प्रदान की जाए। अतः दूरसंचार विभाग को निर्देश दिए जाएं कि अगले दो वर्षों में उत्तराखण्ड राज्य के समस्त गांवों में मोबाईल कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध करायें। राज्य में निकट भविष्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण, स्टेट डाटा सेंटर का निर्माण, स्टेट सर्विस डिलिवरी गेटवे का कार्य, राज्य के कार्यालयों में वीडियों कान्फ्रेसिंग सुविधा भी विकसित की जाएगी।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य द्वारा मुख्य रूप से 15 वर्षीय विजन प्राप्त करने के लिए वर्तमान उच्च आर्थिक विकास दर को बनाये रखने, अन्र्तक्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने, दीर्घकालीन आजीविका व्यवस्था को सुदृढ करने हेतु कृषि तथा औद्यानिक क्षेत्र को मुख्य रणनीति के रूप में रूपान्तरित करने, अर्धविकसित शहरों को स्थायी रूप से विकसित करने, पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों, रेलवे, वायुमार्ग तथा संचार कनेक्टीवीटी को प्रभावी बनाने, राज्य के मानव संसाधन को उचित शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके रोजगारपरक बनाने, सामाजिक तथा लैंगिक असमानताओं को दूर करने हेतु महिलाओं एवं समाज के पिछड़े वर्ग का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने तथा दीर्घ कालीन पर्यावरणीय व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु ऊर्जा के नवीनीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया है। राज्य के समाजार्थिक विकास हेतु  बागवानी/जैविक कृषि, पर्यटन, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, वानिकी तथा जड़ी-बूटी एवं आयुष/आयुर्वेदिक फार्मा के 06 गा्रेथ इंजन चिन्हित किये गये है।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जी0एस0टी0 काउंसिल से अनुमोदन के उपरान्त एस0जी0एस0टी0 ड्राफ्ट को राज्य विधान सभा से पास कराया जायेगा। जी0एस0टी0 में आई0टी0 की महत्वपूर्ण भूमिका व इन्टरनेट की आवश्यकता को देखते हुए विभाग के प्रत्येक कार्यालय में यू-स्वान के अतिरिक्त रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रणाली की स्थापना की गयी है। वर्तमान में पंजीकृत समस्त व्यापारियों को जी0एस0टी0 में नामांकित करने के लिए उनको डाटा माइग्रेशन हेतु प्रेरित किया गया है। परिणाम स्वरूप राज्य में वैट के अन्तर्गत पंजीकृत कुल 97,907 डीलर्स में से वर्तमान में लगभग 75,478 डीलर्स (अर्थात 78 प्रतिशत डीलर्स) द्वारा जी0एस0टी0 में नामांकन कराया जा चुका है। राज्य में स्थित सी0एस0सी0 में कार्यरत कार्मिकों को भी जी0एस0टी0 का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि उनके द्वारा करदाताओं की सहायता की जा सके।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि औद्यानिक विकास, पशुुपालन, डेरी विकास, मत्स्य पालन की योजनाओं को समेकित करते हुए वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुनी करने हेतु निम्नलिखित रणनीति अपनायी जायेगी। दलहन एवं तिलहन उत्पादन में आत्म निर्भरता, राज्य को बीज राज्य के रूप में स्थापित करना, स्थानीय फसलो को प्रोत्साहन, बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि, जैविक राज्य के रूप में विकास, स्थानीय एवं परम्परागत फसलों का व्यवसायीकरण के उद्देश्य से खेती को प्रोत्साहन, कृषि में महिला श्रमिकों की कष्ट साध्यता में कमी लाना, फसल सघनता बढ़ाना, खाद उर्वरक एवं रसायनों के न्याय पूर्ण एवं सन्तुलित प्रयोग को बढ़ावा देना, वर्षा आधारित क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं का विकास, समेकित कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहन, कृषि विविधीकरण, कृषि विपणन बाजारों का विकास, कटाई पश्चात के प्रबन्धन एवं उत्पादों का संग्रहण, वैज्ञानिक कृषि तकनीकों का प्रचार एवं प्रसार, कृषि में चकबन्दी, कृषि की विभिन्न योजनाओं का युगमीतिकरण, निजी क्षेत्रों गैर सरकारी संगठनों आदि का कृषि में सहभागिता को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के संस्तुतियों से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए मुख्यमत्री ने राज्य को स्पेशल प्रोजेक्ट हेतु प्रतिवर्ष करीब 2000 करोड़ रू0 की सहायता उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध किया। पर्वतीय एवं पूर्वोत्तर राज्यों हेतु एक मंत्रालय का गठन किया जाय जो इस क्षेत्र की विकास रणनीति हेतु कार्य करे। कम से कम नीति आयोग में इस प्रयोजन हेतु एक ‘‘प्रकोष्ठ’’ अवश्य स्थापित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार का मूल उद्देश्य 100 प्रतिशत ऊर्जीकरण, उपभोक्ताओं को 24×7 विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना एवं सस्ती बिजली उपलब्ध कराना है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा जल विद्युत, सौर ऊर्जा, गैस आधारित ऊर्जा एवं अन्य नवीकरणीय स्रोतों से विद्युत उत्पादन किये जाने हेतु नीतियां बनाई गई हैं। जल विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अनिश्चितता के कारण इस क्षेत्र में निवेश के माहौल पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण ने अनेक महत्वाकांक्षी विद्युत परियोजनाओं (यथा, 480 मे0वा0 की पाला मनेरी परियोजना, 381 मे0वा0 की भैरोघाटी परियोजना, 600 मे0वा0 की लोहारी नागपाला परियोजना) पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इनमें प्रयुक्त हमारे बहुमूल्य संसाधन बेकार ही गये हैं। इसके अतिरिक्त नन्द प्रयाग- लंगासू (100 मे0वा0), तमकलता (190 मे0वा0), बावला नन्द प्रयाग तथा कोटली भेल I & II सरीखी अनेक महत्वपूर्ण परियोजनायें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अनापत्ति न मिलने के कारण लम्बित हैं। इन प्रतिबन्धों से राज्य को होने वाले  नुकसान का मौद्रिक मूल्य रू0 1650 करोड़ प्रतिवर्ष से अधिक है। केन्द्र सरकार द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति की जानी चाहिये। पर्यावरण सुरक्षा हमारा दायित्व है और उत्तराखण्ड राज्य एवं इसकी जनता इसके प्रति पहले से जागरूक रही है।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन में रखे गये प्रावधान के अन्तर्गत 20 डिग्री से अधिक क्रास स्लोप को स्टीप स्लोप मानते हुए निर्माण कार्य प्रतिबन्धित किया गया है जो व्यवहारिक नही है क्योंकि तकनीकी रूप से 60 डिग्री से अधिक क्रास स्लोप को ही स्टीप स्लोप माना जाता है अतः इन पर संशोधन हेतु विचार किया जाना आवश्यक है अन्यथा इस क्षेत्र विशेष का विकास अवरूद्ध होगा। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

उत्तराखण्ड राज्य के वनों द्वारा दी जा रही पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्य कम से कम प्रति वर्ष रू0 40,000 करोड़ आंका गया है जिसका लाभ राष्ट्र एवं विश्व को मिल रहा है किन्तु राज्य को इसके मूल्य के रूप में कुछ भी प्राप्त नहीं हो रहा है। इसका कम से कम 10 प्रतिशत प्रति वर्ष राज्य सरकार को अनटाईड फंड के रूप में उपलब्ध कराया जाय। ग्रीन एकाउण्टिंग प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है ताकि इसे समायोजित करने के पश्चात् विकास की वास्तविक तस्वीर उभरे और पर्यावरण सेवायें, सृजित करने, वाले राज्यों को उनके द्वारा किये गये व्यय, आय सृजन के अवसरों का त्याग की प्रतिपूर्ति हो सके। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि जब तक ग्रीन एकाउण्टिंग प्रणाली अस्तित्व में नही आती तब तक बतौर ग्रीन बोनस रू0 4,000 करोड़ प्रति वर्ष उत्तराखण्ड को प्राप्त होना चाहिये।

भागीरथी इको सेंसिटीव जोन का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा भागीरथी जलग्रहण क्षेत्र (उत्तरकाशी) में 4179.59 वर्ग कि0मी0 क्षेत्र को पारिस्थितिकी रूप से संवदेनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। प्रारम्भिक अधिसूचना के अनुसार लगभग 40 कि0मी0 क्षेत्र को संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया था जब अन्तिम अधिसूचना जारी की गयी तो यह क्षेत्रफल लगभग 100 गुना बढ़ गया। इस अधिसूचना से सीमान्त क्षेत्र के निवासियों की आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं और दैनिक जीवन की कठिनाइयां बढ़ गई हैं। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों एवं अवस्थापना सुविधाओं के अभाव में सीमान्त क्षेत्रों से पलायन के कारण पहले से ही जनसंख्या शून्यता की स्थिति बन चुकी है वहां इस अधिसूचना के कारण अधिक बदतर स्थिति बनेगी। अतः इस मुद्दे की पुनर्समीक्षा कर इसे निरस्त करने का आग्रह है। दून घाटी क्षेत्र में विकास गतिविधियों को विनियमित करते हुए लाल श्रेणी के गतिविधियों को भी प्रतिबन्धित किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि 337 से अधिक संवेदनशील गांवों को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर बसाया जाना आवश्यक है। किन्तु इनके पुनसर््थापन हेतु उनकी कृषि भूमि के बराबर कृषि भूमि, सिंचाई सुविधा, विद्युत सुविधा, सम्पर्क मार्ग, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिये आवश्यकता पड़ने पर वन भूमि की अदला-बदली भी किया जाना होगा तथा सुरक्षित स्थलों को चिन्हित किया जाना होगा। इस पर काफी व्यय संभावित है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से इसके लिए एक विशेष पैकेज के रूप में सहायता दिये जाने का आग्रह किया ताकि स्मार्ट शहरों की तर्ज पर इन ग्रामों को स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित किया जा सके।

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