उत्तराखंड

उत्तराखण्ड में सैनिक विश्वविद्यालय व आपदा प्रबन्धन विश्वविद्यालय की नितांत जरूरतः डा रावत

 

नई दिल्ली (प्याउ)। उत्तराखण्ड सरकार ने प्रदेश में एक सैनिक विश्वविद्यालय व एक आपदा प्रबन्धन विश्वविद्यालय खोलने की पुरजोर मांग की। केन्द्र सरकार से यह गुहार दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के उच्च शिक्षा मंत्रियों के बैठक में उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डा. धनसिंह रावत ने यह लगायी। डाॅ0 रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड सैनिक बाहुल्य राज्य है, हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में कार्यरत है। इसलिये उत्तराखण्ड मंे सैनिक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये। इसके साथ डा रावत ने एक अन्य प्रमुख मांग करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुये उत्तराखण्ड राज्य में एक आपदा प्रबन्धन विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये।
केन्द्र सरकार दिल्ली स्थित सिल्वर ओक हाल इण्डिया हैबिटैट सेन्टर में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वाधान में 17 अप्रैल को आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर द्वारा की गयी।
डाॅ0 रावत ने बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को प्रत्येक तीन माह में सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के उच्च शिक्षा मंत्रियों की बैठक आहुत करनी चाहिये। जिससे राज्यों के शिक्षा स्तर की प्रगति का पता चल सकें।
डाॅ रावत ने कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय की तरह राज्यों के अन्य विश्वविद्यालय को भी वाई-फाई सेवा से युक्त किया जायें। इसमें केन्द्र सरकार राज्यों की मदद करें। उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ रावत ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA)के तहत नये खुले महाविद्यालयों को भी तत्काल केन्द्र सरकार मदद करें। इसके अतिरिक्त नेक(National Advisory Council) के मानकों को बदला जाये ताकि पहाड़ी राज्यों को इसका लाभ मिल सके एवं पर्वतीय राज्यों के लिये अनुदान राशि को बढ़ाया जाये। डाॅ0 रावत ने अनुरोध किया कि अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय व श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय बादशाही थौल, टिहरी गढ़वाल को शीघ्र केन्द्र द्वारा अनुदान दिया जाये।
उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में यू0जी0सी0 के मानकों के अनुसार शिक्षा सत्र को नियमित किया जाये इसके लिये शैक्षिक कैलण्डर लागू किया जाने चाहिये एवं विश्वविद्यालय में 180 दिन शिक्षण अनिवार्य होना चाहिये। डाॅ0 रावत ने कहा कि विश्वविद्यालयों को नशामुक्त बनाने के लिये कानून बनाने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री  प्रकाश जावेडकर ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की उच्च शिक्षा से सम्बन्धित सभी मुद्दों पर मानव संसाधन मंत्रालय हर संभव सहयोग देगी।

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