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उत्तराखण्ड के संभावित नये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, पूरी करेंगे राज्य गठन की जनांकांक्षायें और उबारेंगे प्रदेश को पतन के गर्त से

देहरादून(प्याउ)। मुख्यमंत्री के पद पर भले ही भाजपा नेतृत्व ने अभी डोईवाला से भाजपा के वरिश्ठ नेता त्रिवेन्द्र रावत का नाम पर ओपचारिक घोशणा न भी की हो पर प्रधानमंत्री व अमितशाह के विष्वासी त्रिवेन्द्र रावत के मुख्यमंत्री बनने का किसी को भी संदेह नहीं रह गया है। इसी कारण उनके देहरादून आवास में उनको बधाई देने वालों का तांता लगा है। उत्तराखण्ड के पौड़ी जनपद के मूल के स्व. प्रताप सिंह के घर में जन्में त्रिवेन्द्र सिंह रावत वर्तमान में देहरादून के डिफेन्स कालोनी के निवासी है।
संघ के अनुशासित स्वयंसेवक त्रिवेन्द्र सिंह संगठन के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। उनकी इसी प्रतिभा को देख कर मोदी की टीम के प्रमुख अमित शाह के साथ वे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सहप्रभारी थे। उनकी प्रतिभा से कायल हो कर अमित शाह ने उनको झारखण्ड का प्रभारी बनाया। उनके कुषल प्रभार में भाजपा ने जब झारखण्ड में विधानसभा चुनाव में परचम लहराया तो उसी समय राजनीति के विषेशज्ञों को विश्वास हो गया था कि देर सबेर जब भी उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव होगा या कोई अन्य चुनौती होगी उसके लिए मोदी षाह के विश्वासी त्रिवेन्द्र को जरूर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दें कर उनकी प्रतिभा का सम्मान करेंगे।
भाजपा के साफ छवि के इस नयी पीढ़ी के नये नेता त्रिवेन्द्र रावत पर मोदी व शाह के करीबी होते देख कर प्रदेश में भाजपा क ेसत्तालोलेुपु वरिष्ठ नेताओं ने इनकी राह पर अवरोध खडे करने के तमाम असफल प्रयास किये। जिससे डोई वाला उप चुनाव में भले ही त्रिवेन्द्र को आस्तीन के सांपों के कारण हार का मुंह देखना पड़ा परन्तु भाजपा नेतृत्व ने भाजपा के आस्तीन के सांपों को उसी दिन से किनारे लगाने का ऐसा निर्णय लिया। जिसके दंष से आज भी ये सत्तालोलुपु आज भी नहीं उबर पाये है।
श्रीनगर गढवाल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर व पत्रकारिता में उपाधी ग्रहण करने वाले त्रिवेन्दर रावत स्पष्टवक्ता होने के साथ साधा जीवन व जनसेवा में विश्वास करते है।
अब देखना यह है कि त्रिवेन्द्र रावत इस नयी चुनौती को स्वीकार करके राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को केसे स्वीकार करते है। प्रदेश की जनता को विश्वास है कि त्रिवेन्दर 17 सालो में प्रदेष की सत्ता में आसीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह प्रदेश की जनांकांक्षाओं व विकास को रौंदने के बजाय राजधानी गैरसैंण, मुजफ्फरनगर काण्ड के गुनाहगारों को दण्डित कराने, प्रदेष में हिमाचल की तरह भू कानून बना कर भू माफिया व बग्लादेशी घुसपेटियों से रक्षा करेंगे, जातिवाद-क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार में आंकठ मृतप्राय पडे प्रदेश की नौकरशाही को जीवंत करेंने का काम करेंगे। अब तक प्रदेश की राजनीति में दिल्ली दरवारियों के अपने प्यादों को मुख्यमंत्री के रूप में थोपने के मोह में प्रदेश को जातिवाद-क्षेत्रवाद की अंधी खाई में घकेल कर बर्बाद कर रखा था जिसे मोदी व अमित शाह ने त्रिवेन्द्र रावत को मुख्यमंत्री बना कर एक प्रकार से उबार दिया है। हालांकि इस समय भाजपा के पास सतपाल महाराज जैसे अनुभवी व क्षमतावान विकल्प भी मौजूद है पर लगता है कि भाजपा संगठन के ही व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने के मोह में भाजपा ने त्रिवेन्द्र रावत को वरियता दी। लगता है त्रिवेन्दर को जनता के लिए अधिक सुलभ होने के कारण भी उनको वरियता दी गयी हों।

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