उत्तर प्रदेश उत्तराखंड

न्याय के प्रतीक है उत्तराखंड के गोलू देवता। जाने उनके बारे में दिलचस्प कहानी…

गोलू देवता के मंदिर मे आने का सौभाग्य सभी को प्राप्त नही होता है जब गोलू देवता की अनुमति हो तो कैसे करके भी वह गोलू देवता के मंदिर पहुँच ही जाता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में स्थित गोलू देवता के मंदिर में केवल चिट्ठी भेजने से ही मुराद पूरी हो जाती है।वही दूसरी और चमोली में गोलू देवता को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। चमोली में नौ दिन के लिए गोलू देवता की विशेष पूजा की जाती है। इन्हें गौरील देवता के रूप में भी जाना जाता है।

पहाड़ मे गोलू देवता के मंदिर और गोलू देवता के लिए काफ़ी आस्था है. लोग यहां अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए देश विदेश से लोगों का आना लगा रहता है इसी वजह से इसकी प्रसिद्धि बढ़ती ही जा रही है.
गोलू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. परन्तु क्या आप इसके पीछे की वजह जानते है ?
गोलू देवता जी के बारे में प्रसिद्ध व चर्चित कहानी
बताया जाता है की कत्युरि वंश के राजा झल राय की सात रानियाँ थी. सातों रानियों मे किसी की भी संतान नही थी. राजा को यह बात काफ़ी परेशान करती थी. एक दिन वे जंगल मे शिकार करने के लिए गये। जहाँ उनकी मुलाक़ात रानी कलिंका से हुई। रानी कलिंका को देवी का रूप माना जाता है। राजा, रानी को देखकर सम्मोहित हो गये और बाद में उन्होने रानी से शादी कर ली।

कुछ समय बीतने के बाद जब रानी कलिंका ने बच्चे को जन्म दिया तो यह देख सातों रानियों को ईर्ष्या होने लगी. सभी रानियों ने दाई माँ के साथ मिलकर एक साजिश रची। तब उन्होंने बच्चे को हटा कर उसकी जगह एक सिलबट्‍टे का पत्थर को रख दिया और बच्चे को उन्होने एक टोकरे मे रख कर नदी मे बहा दिया।

बच्चा बहता हुआ एक मछुआरे के पास आ पहुंचा. मछुआरे ने उसे पाल कर बड़ा किया। और वह आठ साल का हुआ तो उसने पिता से राजधानी चंपावत जाने की ज़िद की। और उसने कहा की आप मुझे बस एक घोड़ा दे दीजिए। पिता ने इसे मज़ाक समझकर उसे एक लकड़ी का घोड़ा लाकर दे दिया। वो उसी घोड़े को लेकर चंपावत आ पहुंचे। वहाँ तालाब मे राजा की सात रानियाँ स्नान कर रही थी. बालक वहाँ अपने घोड़े को पानी पिलाने लगा। यह देख सारी रानियाँ उसपर हस्ने लगीं और बोलीं- “मूर्ख बालक लकड़ी का घोड़ा भी कभी पानी पीता है?”, बालक ने तुरंत जवाब दिया की अगर रानी कलिंका एक पत्थर को जन्म दे सकतीं हैं तो क्या लकड़ी का घोड़ा पानी नही पी सकता… यह सुन सारी रानियाँ हक़ दक रह गयीं. इसके बाद यह बात पूरे राज्य में फैल गयी। राजा की खुशियाँ लौट आईं. उन्होने सातों रानियों को दंड दिया और नन्हे गोलू को राजा घोषित कर दिया.

तब से ही कुमाऊं में उन्हे न्याय का देवता माना जाने लगा. जब भी किसी के साथ कोई अन्याय होता तो वह एक चिट्ठी लिखके उनके मंदिर मे टाँग देता और शीघ्र ही उन्हे न्याय मिल जाता.

                                                  _/\_जय गोलू देवता _/\_

About the author

pyarauttarakhand5