उत्तर प्रदेश उत्तराखंड

प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक माँ नयना देवी विराजती है नैनीताल में जानिये माँ के बारे में रोचक बातें

धर्म विशेष –
देवभूमि उत्तराखंड, देवताओ की भूमि जहा हर जगह देवी – देवताओ का निवास और मंदिर है पुरे देश विदेश से लोग यहाँ भगवान के दर्शन करने आते है स्वर्ग जैसा वातावरण और प्रकति की गोद में बसा उत्तराखंड बहुत ही खूबसूरत धर्म विशेष –
देवभूमि उत्तराखंड, देवताओ की भूमि जहा हर जगह देवी – देवताओ का निवास और मंदिर है पुरे देश विदेश से लोग यहाँ भगवान के दर्शन करने आते है स्वर्ग जैसा वातावरण और प्रकति की गोद में बसा उत्तराखंड बहुत ही खूबसूरत है, आज धर्म में दोस्तों हम आपको ऐसे ही प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक माँ नयना देवी के बारे में बता रहे है तो आये और जानते है माँ नयना देवी के बारे में रोचक बातें-
नैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नयना देवी मंदिर स्थित है. 1880 में भूस्‍खलन से यह मंदिर नष्‍ट हो गया था. बाद में इसे दोबारा बनाया गया. यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. मंदिर में दो नेत्र हैं जो नयना देवी को दर्शाते हैं.

मंदिर की पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार दक्ष ने यज्ञ करवाया जिसमें शिव-सती को नहीं बुलाया गया जिसके बाद सती अपने पिता के घर आई। और शिव का अपमान देख यज्ञ में शिव की आहुति न दिये जाने से अपमानित देवी ने आत्मदाह कर लिय जिसके बाद भगवान शिव ने तांडव करते हुए दक्ष की यज्ञशाला नष्ट कर दी और सती का शव लेकर कैलास पर्वत की ओर जाने लगे। अनहोनी की आशंका से विष्णु ने सती के शव पर चक्र चला दिया। इससे उनके शरीर के अंग कटकर 51 स्थानों पर जा गिरे। उमा की बांयी आंख नैनीताल के नैनीझील में गिरी जो बाद में प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक माँ नयना देवी नैनीताल में मंदिर के रूप में पूजे जाने लगी, धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ की पूजा करने पर माँ सभी दुखो से दूर करती है।

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