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नहीं रहे गोवा के मुख्यमंत्री व देश के पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर

गोवा के मुख्यमंत्री व देश के सबसे ईमानदार नेताओं में अग्रणी मनोहर पार्रिकर का अभी अभी निधन हो गया। 13 दिसम्बर 1955 में जन्में श्री पार्रिकर आज 17 मार्च की सायंकाल 8 बजे पणजी में निधन हो गया। उनके निधन पर राष्ट्रपति ने टवीट् कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मनोहर पार्रिकर लम्बे समय से कैंसर जैसे असाध्य बीमारी से पीड़ित थे पर इसके बाबजूद वे अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे थे। उनके निधन से पूरे देश में मातम छा गया। चुनावी माहोल में घिरे देश में उनका निधन स्तब्धकारी है। वे बेहद लोकप्रिय राजनेता थे। दिल्ली की तिकडमी राजनीति से उब कर वे रक्षामंत्री के पद त्याग कर अपने प्रदेश गोवा के शांत वातावरण को प्राथमिकता देते थे।
सादगी भरा जीवन जीने वाले श्री पार्रिकर वर्तमान में गोवा के मुख्यमंत्री है तथा भारत के रक्षा मंत्री रह चुके है। वे उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद थे। उन्होंने सन १९७८ मे आई.आई.टी. मुम्बई से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करी. भारत के किसी राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले वह पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने आई.आई.टी. से स्नातक किया। उन्हें सन 2001 में आई.आई.टी. मुम्बई द्वारा विशिष्ट भूतपूर्व छात्र की उपाधि भी प्रदान की गयी।
भारतीय जनता पार्टी से गोआ के मुख्यमंत्री बनने वाले वह पहले नेता हैं। १९९४ में उन्हें गोआ की द्वितीय व्यवस्थापिका के लिये चयनित किया गया था। जून १९९९ से नवम्बर १९९९ तक वह विरोधी पार्टी के नेता रहे। २४ अक्टूर्ब २००० को वह गोआ के मुख्यमन्त्री बने किंतु उनकी सरकार २७ फरवरी २००२ तक ही चल पाई। जून २००२ में वह पुनः सभा के सदस्य बने तथा जून ५, २००२ को पुनः गोआ के मुख्यमन्त्री पद के लिये चयनित हुए।

१३ मार्च २०१७ को भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली,राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।ख्1,पर्रिकर ने गोवा में छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है और चैथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

बी.जे.पी. को गोआ की सत्ता में लाने का श्रेय उनको ही जाता है। इसके अतिरिक्त भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव को अकेले गोआ लाने का तथा किसी भी अन्य सरकार से कम समय मे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मूलभूत संरचना खड़ी करने का श्रेय भी उन्ही को जाता है। कई समाज सुधार योजनाओं जैसे दयानन्द सामाजिक सुरक्षा योजना जो कि वृद्ध नागरिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, साइबरएज योजना, सी.एम. रोजगार योजना इत्यादि में भी उनका प्रमुख योगदान रहा है। उन्हें कई प्रतिष्ठित प्रतिभाओं जैसे डॉ॰ अनुपम सराफ तथा आर. सी. सिन्हा इत्यादि को सरकार में सलाहकार के तौर पर शामिल करने का श्रेयख्1, भी जाता है। प्लानिंग कमीशन ऑफ इन्डिया तथा इंडिया टुडे के द्वारा किय गए सर्वेघ्क्षण के अनुसार उनके कार्यकाल में गोआ लगातार तीन साल तक भारत का सर्वश्रेष्ठ शासित प्रदेश रहा। कार्यशील तथा सिद्धांतवादी श्री पारिकर को गोआ में मि. क्लीन के नाम से जाना जाता है।

जनवरी २९, २००५ को ४ बी.जे.पी. नेताओं के इस्तीफा देने के कारण उनकी सरकार अल्पमत में आ गयी। श्री पारिकर ने दावा किया कि वह अपना बहुमत साबित करेंगे तथा फरवरी २००५ में ऐसा हुआ भी. किंतु बाद मे किसी कारणवश उन्हें अपना पद खोना पड़ा। लगातार विवादों के पश्चात मार्च २००५ में गोआ में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया किंतु जून २००५ में विरोधी नेता प्रताप सिंह राणे गोआ के मुख्यमंत्री बना दिये गये। उनके निधन से देश ने एक राष्ट्रभक्त ईमानदार नेता खो दिया।

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