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बाल बाल बची त्रिवेन्द्र सरकार, भाजपा छोड कर कांग्रेस में सम्मलित होने को लालायित दलबदलुओं के मंसूबों पर हरीश रावत ने फेरा पानी

 सरकारों को अस्थिर करने वाले विद्रोहियों से लिया हरीश रावत ने बदला , भाजपा सांसद भुवनचंद खण्डूडी के बेटे मनीष को कांग्रेसी पाले में ला कर

गढवाल लोकसभा सीट पर होगी भाजपा के दो नेताओं (अजित डोभाल व भुवनचंद खण्डूडी ) के पैराशूट से उतरने वाले बेटों  शौर्य डोभाल  व मनीष खंडूडी के बीच होगी चुनावी जंग

उक्रांद चाहे तो महाराज या हरक सिंह रावत को गढवाल लोकसभा से उतार कर छुडा सकता है भाजपा व कांग्रेस के पसीने

नई दिल्ली(प्याउ)। उतराखण्ड में 2019 के चुनाव की रणभेरी बजते ही उतराखण्ड की राजनीति में एक बडा भूचाल आते आते तब बच गया जब कांग्रेस में सम्मलित होने के लिए लालायित भाजपा के दो दर्जन से अधिक विधायकों व उनके आकाओं ंके मंसूबों पर कांग्रेस ने पानी फेर दिया। इस प्रकरण से जहां विरोधी दल से अधिक अपनों की आंखों ंमें किरकिरी बनी हुई प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार को जीवन दान मिल गया। वहीं उतराखण्ड अपने स्थापना के समय से ही प्रदेश की त्रिवेन्द्र रावत की सरकार छोड़ कर अधिकाश सभी सरकारें अपने ही क्षत्रपों के शिकंजे में जकडी हुई थी। इससे प्रदेश में क्षत्रप अपनी मनमानी करते रहते। पहली बार पूर्ण बहुमत की त्रिवेन्द्र रावत की सरकार के मुखिया त्रिवेन्द्र रावत ने इन क्षत्रपों पर नकेल कसी। कांग्रेस के विश्वसनीय सुत्रों के अनुसार इसी छटपटाहट के कारण भाजपा से ये तमाम क्षत्रप अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में सम्मलित होना चाहते थे। इन्होने कांग्रेस के एक बडे दक्षिण भारतीय दिग्गज नेता से मिल कर इसकी पटकथा भी पूरी तैयार कर ली थी। जैसे ही दक्षिण भारतीय दिग्गज नेता ने यह प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष रखा तो राहुल गांधी ने दो टूक शब्दों में कहा कि उतराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान कांग्रेस के महामंत्री हरीश रावत से सलाह करने के बाद इस पर निर्णय लेंगे। जब  कांग्रेस नेतृत्व ने हरीश रावत से इस प्रस्ताव के बारे में राय मांगी तो हरीश रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि कांग्रेस की सरकार को गिराने के लिए भाजपा सम्मलित हुए इन नेताओं ने प्रदेश सरकार को अस्थिर करके प्रदेश के विकास को अवरूद्ध किया। इन्होने अपने निहित स्वार्थ के लिए कांग्रेस से विश्वासघात करने के साथ कांग्रेस अध्यक्ष को भी अपशब्द कहे। इनसे न कांग्रेस का भला होगा व नहीं उतराखण्ड का। इनसे बेहतर विकल्प के रूप में कांग्रेस के महासचिव हरीश रावत ने भाजपा के दिग्गज नेता व वर्तमान सांसद भुवनचंद खण्डूडी के बेटे मनीष को कांग्रेसी प्रत्याशी गढवाल संसदीय क्षेत्र से बनाने की सलाह दी। कांग्रेस नेतृत्व भी हरीश रावत की सलाह से सहमत हुए और उन्होने कांग्रेसी सरकार को गिराने वाले विद्रोहियों को भाजपा छोड कर पुन्न कांग्रेस में सम्मलित होने के मंसूबों पर पानी फेरने का निर्णय लिया।
कांग्रेस नेतृत्व द्वारा विद्रोहियों के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद किये जाने से विद्रोहियों की जहां आशाओं पर पानी फिर गया। वहीं उनको समझ में आ  गया कि हरीश रावत अब कांग्रेस में बहुत मजबूत हो गये है। इस प्रकरण से साफ हो गया कि हरीश रावत ने अपनी सरकार गिराने वाले विद्रोहियों को ऐसा करारा सबक सिखाया कि दलबदलुओं के लिए अब कहीं दूर दूर तक कोई आशा ही नजर नहीं आ रही है।
इस प्रकरण से साफ हो गया कि अब उतराखण्ड की सबसे प्रतिष्ठित लोकसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस दोनों  अपने समर्पित कार्यकत्र्ताओं व वरिष्ठ नेताओं को दरकिनारे छोड कर भाजपा के बडे नेताओं के बेटों को ही पैराशूट से यहां पर चुनावी दंगल में उतारेंगे। यहां भाजपा से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल व पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी के बेटों के बीच चुनावी दंगल होगा। यह दिगर बात है कि भाजपा व कांग्रेस का नेतृत्व उतराखण्ड के बडे क्षत्रपों  के मंसूबों पर पानी फेरते हुए यहा ंपर भाजपा के ही दिग्गज नेताओं के बेटों को पैराशूट से उतार करने का निर्णय लिया। अब गढवाल लोकसभा में 2019 का चुनाव में
भाजपा के प्रत्याशी होगे अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल व कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे 16 मार्च को कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी की देहरादून रैली में सम्मलित होने वाले भाजपा सांसद भुवनचंद खंडूडी के बेटे मनीष खंडूडी। हो सकता है भाजपा नेतृत्व चाहे तो खंडूडी को अपने बेटे को कांग्रेस में सम्मलित होने से रोंकने के लिए कदम उठा सकते है। परन्तु लग नहीं रहा है भाजपा ऐसा कार्य करेगी। क्योंकि खंडूडी भाजपा के लिए अब उपयोगी नहीं रह गये।  मनीष खंडूडी, भाजपा नेता खण्डूरी के पुत्र होने के साथ साथ प्रतिभावान हैं। आई आई टी में दीक्षित होने के साथ मनीष खंडूडी, मास कांमन्यूनिकेशन और भारत मे फेसबूक के प्रबंधकों  मे एक थे।
जनरल खंडूडी के करीबी समर्थक के अनुसार मोदी  सरकार ने संसद की रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से भुवनचंद खंडूडी को   सैनिकों की दुर्दशा पर सरकार की खिंचाई करने के कारण हटा दिया था। इससे खंडूडी खुद को अपमानित व उपेक्षित महसूस कर रहे थे। कई महिनों से मनीष खंडूडी कांग्रेस में सम्मलित होना चाहते थे। परन्तु कांग्रेसी रणनीतिकारों ने उचित समय पर इसका ऐलान करने का आश्वासन दिया था। सुत्रों के अनुसार मनीष खंडूडी की राहुल गांधी से मुलाकात भी कर ली। वहीं भाजपा में कभी खंडूडी के समर्थक खंडूडी के इस कदम से आहत है। भाजपा नेताओं व कार्यकत्र्ताओं का कहना है कि खंडूडी को लोग भाजपा के कारण समर्थन कर रहे थे। भाजपाईयों का कहना है कि लोग ऊगते सूर्य को नमन करते है डूबते सूर्य को नहीं। इन चुनावों से खंडूडी जी का भ्रम दूर हो जायेगा। बाकी खंडूडी के बारे में सारी अटकलें 16 मार्च को राहुल गांधी की रैली के बाद साफ हो जायेगी। इस खबर से गढवाल लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों के प्रत्याशी बनने के लिए लालायित प्रत्याशियों की आशाओं में पानी फिर जायेगा। इसके साथ भाजपा व कांग्रेस दोनों में से किसी की टिकट पद चुनावी दंगल में उतरने की मंशा रखने वाले कर्नल कोठियाल सहित अन्य नेताओं की आशाओं पर जरूर बज्रपात होगा। ऐसे पैराशूटी प्रत्याशियों, धन व संगठन बल वाले प्रत्याशियों का उतराखण्ड की राजनीति में मुकाबला करने में प्रदेश में कोई दल वर्तमान में सक्षम नजर नहीं आते। केवल दो ही नेता जो मुकाबला कर सकते है वह है हरक सिंह रावत व सतपाल महाराज ।

हाॅ उक्रांद सतपाल महाराज या हरक सिंह रावत को यहां ंसे उतार कर मुकाबले में इनके पसीने छुडवा सकता है। परन्तु इतनी सुझबुझ उक्रांद में दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रही है।अगर उक्रांद ऐसा कदम उठाता तो राजधानी गैरसैंण सहित सभी जनांकांक्षाओं को साकार करने के आसार नजर आती। परन्तु उक्रांद के पदलोलुपु नेताओं ने ऐसे निर्णायक अवसरों को गंवाने के लिए कुख्यात रहे। 
परन्तु भाजपा द्वारा सभी क्षत्रपों पर कसी नकेल के कारण कोई भी ऐसा प्रत्याशी वर्तमान समय में इनके खिलाफ उतर कर मजबूत मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। हरीश रावत भी ऐसे में मुकाबला कर सकते पर दोनों ही प्रत्याशी उनके आशीर्वाद से चुनावी दंगल से उतरे है।

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