उत्तराखंड देश

27 जनवरी को आहुत उतराखण्डी महाकुम्भ दिल्ली को सफल बनाये उतराखण्डी

गैरसैंण राजधानी आंदोलन व दिल्ली को उतरैणी/मकरैणी के रंग रंगने में सफल हुई उतराखण्ड एकता मंच
दिल्ली से लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा, कांग्रेस व आप से मजबूत दावेदारी करें उतराखण्डी नेता
नई दिल्ली (प्याउ)। एक तरफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रहने वाले लाखों उतराखण्डी कल 27 जनवरी को उतराखण्डियों के गढ़ समझे जाने वाले विनोद नगर में आहुत उतराखण्डी महाकुम्भ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वहीं दिल्ली के राजनीति के चाणाक्य भी लोकसभा चुनाव 2019 के उषाकाल में आयोजित हो रहे इस उतराखण्डी महाकुंभ पर नजर गढाये हुए है।
27 जनवरी 2019 उत्तराखण्डी महाकुम्भ रास विहार वेस्ट विनोद नगर मण्डावली मैट्रो स्टेशन के सामने विशाल मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहा है। वेसे दिल्ली के कोने कोने में आये दिन उतराखण्डी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता। इन आयोजनों का उद्देश्य प्रायः मात्र मनोरंजन व अपनी संस्था की उपस्थिति दर्ज कराने तक सीमित रहता। पर अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हट कर यह कार्यक्रम का आयोजन लोकसभा चुनाव से पहले किया जा रहा है। इस उतराखण्डी महाकुम्भ के आयोजक दिल्ली के उतराखण्डी समाज के सबसे चर्चित समाजसेवियों में अग्रणी डा विनोद बछेती है। डा विनोद बछेती, उतराखण्ड एकता मंच दिल्ली के आधा दर्जन अग्रणी ध्वजवाहकों में जाने जाते है। अब लम्बे समय पर भले 27 जनवरी को आयोजन भले ही उतराखण्ड एकता मंच दिल्ली के बेनर तले न हो रहा हो परन्तु इसका सहयोगी संस्था के नाम पर इसका नाम जरूर पोस्टर बैनरों में देखने में आ रहा है।

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने से चंद महीने पहले जिस प्रकार से मकर संक्रांति के अवसर पर उतरैणी/मकरैणी के नाम पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दर्जन से अधिक स्थान पर इसके आयोजन में सहयोग कर दिल्ली की राजनीति में अपने प्रतिद्धंदी भाजपा व कांग्रेस के कान खडे करा दिये। दोनों दलों के मठाधीश आशंकित हो गये कि कहीं विशाल उतराखण्डी समाज पर केजरीवाल ने शिकंजा कस लिया तो उनका क्या होगा। हालांकि दिल्ली की राजनीति में लोकसभा के चुनावों की दृष्टि से भी दिल्ली की राजनीति के मठाधीश बने भाजपा, कांग्रेस व आप तीनों की उतराखण्डी समाज को अछूत समझते है। कोई भी दल उतराखण्डियों को लोकसभा में ंप्रतिनिधित्व नहीं देता। जबकि दिल्ली की जनसंख्या की दृष्टि से 2 सीटों पर उतराखण्डी समाज की हिस्सेदारी बनती है। पर हालत यह है लोकसभा सीटों में प्रतिनिधित्व देना तो रहा दूर तीनों दल, उतराखण्डियों विधानसभा व नगर निगम में भी सही प्रतिनिधित्व नहीं दिया। भाजपा, कांग्रेस व आप जैसे तीनों दल उतराखण्डी समाज को केवल अपनी दरी बिछाने, झण्डा उठाने व नारे लगाने वाले बंधुआ मजदूर तक मानते रहे। पर अब उतराखण्ड राज्य गठन के बाद उतराखण्डियों में राजनैतिक चेतना जागृत होने के बाद दिल्ली में भी अपना उचित प्रतिनिधित्व दलों में मांगने के लिए निरंतर दवाब बनाये हुए है।
अब वर्तमान समय में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सातों लोकसभाई प्रत्याशियों की घोषणा संयोजक के नाम से महीनों पहले संसदीय क्षेत्रों में उतार चूका है। इस प्रकार आम आदमी पार्टी में लोकसभा चुनाव में दिल्ली में उतराखण्डियों को कोई प्रतिनिधित्व तो मिलने से रहा। हालांकि आप में उतराखण्डी समाज के वरिष्ठ समाजसेवी बृजमोहन उप्रेती कुछ माह पहले कांग्रेस छोड कर अपने साथियों के साथ केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में सम्मलित हो गये हैं। आम आदमी पार्टी ने बृजमोहन उप्रेती को दिल्ली प्रदेश में उतराखण्डी प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया हुआ है। वेसे आप में हरीश अवस्थी, बचन सिंह धनोला, रौथान, दीवान सिंह नयाल, पूजा बडोला, पंकज पैनुली आदि अनैक नेता है। सभी उतराखण्डी समाज को आम आदमी पार्टी से जोडने में उतरैणी/मकरैणी सहित अन्य आयोजनों के सहारे लगे है।
वहीं अभी भाजपा व कांग्रेस ने भले ही अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किया। वैसे दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपाई सांसद आसीन है। ऐसी अटकलें लगायी जा रही है कि भाजपा दिल्ली में 2-3 नये चेहरों को उतार सकती है। ऐसे में पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर जहां उतराखण्डी मतदाताओं ंकी संख्या लाखों में है वहां से उतराखण्डी समाज के भाजपाई नेताओं की नजर लगी है। दिल्ली के वरिष्ठ भाजपाई नेताओं में 5 बार के विधायक रहे पूर्व विधायक व वर्तमान भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक मुरारी सिंह पंवार, पूर्व दिल्ली नगर निगम के स्थाई समिति के उपाध्यक्ष जगदीश मंमगांई, डा विनोद बछेती, श्याम लाल मझेडा सहित आधा दर्जन नेता है। ऐसी अटकलें है कि पूर्वी दिल्ली से भी नये चेहरे को भाजपा चुनाव में उतारेगी। इस सीट से दिल्ली भाजपा में सबसे प्रबल दावेदार पूर्वी दिल्ली के लिए डा विनोद बछेती को माना जा रहा है। सरल व्यवहार के विनोद बछेती का न केवल उतराखण्डी समाज व अन्य सभी समाज में भी अच्छी पकड़ के साथ उन्हें संघ व वरिष्ठ भाजपा नेताओं का भी आशीर्वाद भी है। इसके साथ डा विनोद बछेती की गिनती देश के अग्रणी पेरामेडिकल के युवा व्यवसायी के रूप में भी होती है।
वहीं कांग्रेस में भले ही दिल्ली की राजनीति में लक्ष्मण सिंह रावत, हरिपाल रावत, उमा जोशी, राजेश पाण्डे, लीलाधर भट्ट,विनोद नौटियाल सहित एक दर्जन से अधिक नेता है। परन्तु कांग्रेस का रूख भी भाजपा व कांग्रेस की तरह उतराखण्डी समाज को अछूत समझने का है। खासकर सांसद प्रत्याशी बनाने के लिए। हालांकि दिल्ली में पूर्व सचिव रहे हरिपाल रावत को कांग्रेस ने राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बनाया है। परन्तु आप की तरह कांग्रेस में भी कोई ऐसा नेता नहीं है जो डा विनोद बछेती की तरह दिल्ली में अपने दल से लोकसभा प्रत्याशी के लिए दावेदारी कर रहा हो।
वेसे दिल्ली में उतराखण्डी समाज में सक्रिय समाजसेवी व राजनैतिक सुझबुझ रहने वाले देवसिंह रावत, विक्रम रावत,अनिल पंत, भूपेन्द्र रावत, विनोद बिष्ट, चारू तिवारी, एमएस रावत, सुनील नेगी,  अवतार नेगी,सुरेश नौटियाल, व्योमेश जुगरान, रोशनी चमोली, दिगमोहन नेगी , सुरेन्द्र हालसी, सूर्य प्रकाश सेमवाल, नंदन रावत आदि दर्जनों समाजसेवी है। परन्तु ये सब से निकट भविष्य में भी दावेदारी करने की कोई आश नजर नहीं आती। ऐसे में उतराखण्ड समाज को चाहिए कि समाज के उत्थान के लिए समर्पित लोगों में से जो भी अपने दलों ंमें मजबूत दावेदारी करे उसको मजबूती प्रदान करने का काम करना समाज का पहला धर्म है।
उतराखण्ड एकता मंच की इस पहल के बारे में प्रकाश डालते हुए उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने बताया कि दिल्ली की जनसंख्या के सातवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले उपेक्षित उतराखण्डी समाज को सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करने के साथ उतराखण्ड राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए राजधानी गैरसैंण व मुजफ्फरनगर काण्ड-94 आदि ज्वलंत मुद्दों पर व्यापक जनांदोलन छेडने के लिए गठित किया गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हर कालोनी तक पंहुच बना कर उतराखण्ड एकता मंच दिल्ली ने किरण नेगी को न्याय दो, राजधानी गैरसैंण, मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को दण्डित कराने, दिल्ली में उतराखण्डी सांस्कृतिक पर्व उतरैणी/मकरैणी को बडे स्तर पर मनाते हुए सरकार की मान्यता दिलाने के साथ, उतराखण्ड बोली भाषा को मान्यता दिलाने आदि पर व्यापक जनजागरूकता का सराहनीय कार्य किया। इसके साथ दिल्ली की राजनीति में उपेक्षित उतराखण्डी समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए भी चिंतन मंथन करके राजनैतिक दलों पर दवाव बनाने का काम किया गया। इन्हीं मुद्दों पर साकार करने के लिए एकता मंच ने जंतर मंतर पर उतराखण्डी महा पंचायत व रामलीला मैदान में विराट उतराखण्डी समागम का भी सफल आयोजन किया गया। रामलीला मैदान में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने जहां उतरैणी/मकरैणी को दिल्ली सरकार की तरफ से मान्यता देने के साथ व्यापाक स्तर पर मनाने का ऐलान किया। वहीं उतराखण्डी बोली भाषा को मजबूती देने के लिए दिल्ली सरकार के तहत उतराखण्डी बोली भाषा की अकादमी के गठन का भी ऐलान किया। इस आयोजन में उतराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी दूरभाष से सभा को संबोधित करके जनांकांक्षाओं को साकार करने का आश्वासन दिया था।
27 जनवरी को दोपहर एक बजे से शुरू होने वाले इस महाकुम्भ का आयोजन सांस्कृतिक , साहित्यिक, सामाजिक एकता का संगम के नाम पर किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के सूत्रधार डा विनोद बछेती व अनिल पंत के अनुसार इस समारोह में नरेन्द्र सिंह नेगी व हीरा सिंह राणा जैसे उतराखण्ड के शीर्ष लोक गायकों को विशेष रूप से बुलाया गया। इस कार्यक्रम में जिन बच्चों ने ग्रीष्मकाल में गढ़वाली , कुमाऊँनी , जोनसारी भाषा की पढ़ाई की है और अपनी बोली भाषा को जीवित रख कर अपनी भाषा को 8वीं अनुसूची में दर्ज करने की माँग की उन बच्चों को भी सम्मानित किया जायेगा। इस कार्यक्रम में उत्तराखंडी समाज में जागरूकता व दिल्ली की राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व की भी मजबूत दस्तक दी जायेगी।

ऐसे सही समय में डा विनोद बछेती ने अपने दल भाजपा में पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट पर अपनी दावेदारी की मजबूत दस्तक देने के लिए जो उतराखण्डी महाकुम्भ का आयोजन 27 जनवरी को इसी संसदीय क्षेत्र में कर रहे है। वह बहुत ही सराहनीय है। समाज के तमाम जागरूक लोगों को दिल्ली के काने कोने से इस आयोजन में भाग लेना चाहिए। हा समाज में कुछ निहित स्वार्थी तत्व होते हैं जो अपने दलीय बंधुआ मजदूर बन कर या जातिवादी, क्षेत्रवादी व अधर्मी मनोवृति से ग्रसित हो कर इससे लोगों को दूर रखने का नापाक कृत्य कर रहे है। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि समाज के लिए समर्पित लोग ही जब राजनीति में सांसद/विधायक व पार्षद आदि जनप्रतिनिधी बनेगे तभी समाज के हक हकूकों की रक्षा होगी। समाज में ऐसे चंद केकडा प्रवृति के लोगों से दूर रहना चाहिए जो सही प्रयासों का विरोध करने का कृत्य करके समाज के हितों का गला घोंटने का काम करते है। समारोह के आयोजकों व जनप्रतिनिधियों को भी चाहिए कि वे हर कार्यक्रमों में उतराखण्ड के चहुमुखी विकास के लिए गैरसैंण राजधानी निर्माण, भू कानून, मुजफ्फरनगर काण्ड-94, जनसंख्या पर आधारित विस परिसीमन,घुसपेट, शराब आदि गंभीर विषयों पर जागृत करना चाहिए। इस प्रकार के सभी आयोजकों को भी सम्मलित लोगों को उतराखण्डी समाज से शराब, जातिवाद व क्षेत्रवादी आदि जहर से बचने का सामुहिक संकल्प भी अवश्य लेना चाहिए। केवल धनपशुओं को माल्यार्पण करने से समाज की स्थिति नहीं सुधरने वाली समाज तभी आगे बढ़ेगा जब समाज में सही सोच के समाजसेवियों व प्रतिभाओं का सम्मान करते हुए उनका मार्ग दर्शन लेने की स्वस्थ्य परंपरा की शुरूवात हो।

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