उत्तराखंड

बिना राजधानी गैरसैंण बनाये नहीं हो सकता उतराखण्ड का भविष्य उज्जवल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र जी

2018 के बुलंद फैसलों से उज्जवल होगा 2019-मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने नव वर्ष 2019 के आगमन पर  प्रदेश के वासियों की खुशहाली की कामना करते हुए लिखा कि उन्हें विश्वास है कि  अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना,उत्तराखंड में व्यापक निवेश की योजना, पर्यटन की विशेष योजना व साफ सुथरा शासन देने के  जो चार प्रमुख कार्य उनकी सरकार ने 2018 में किये उससे 2019 में उज्जवल होगा।
इस पर तीखी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए उतराखण्ड आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को इस बात का भान रखना चाहिए कि उनके एक साल 2018 के इन 4 कार्यो से ही नहीं अपितु राज्य गठन के 18 सालों की सरकारों के तमाम कार्यों के बाबजूद प्रदेश का भविष्य उज्जवल नहीं हुआ। इसका एक मात्र कारण है कि कि प्रदेश के हुक्मरानों (नेताओं व नौकरशाही ) ने देहरादून की पंचतारा सुविधाओं के मोह में उतराखण्ड प्रदेश की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य गठन की जनांकांक्षाओं, लोकशाही, प्रदेश की चहुमुखी विकास व देश की सुरक्षा का प्रतीक राजधानी गैरसैंण को जानबुझ कर न बनने देकर प्रदेश को पतन के गर्त में धकेला। इसके कारण प्रदेश गठन की मांगों के लिए राव-मुलायम सरकारों के अमानवीय दमन को दर किनारे करके वर्षों तक प्रचण्ड प्रदर्शन करने वाले सीमान्त व पर्वतीय जनपदों से शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन दूर हो कर देहरादून व उसके आसपास के 2-3 मैदानी जनपदों में सीमट कर रह गया। प्रदेश के राजनेता, नौकरशाही सब देहरादून में कुण्डली मार कर बैठ गये। जिसके कारण इन जनपदों से शिक्षा, चिकित्सा व रोजगार आदि पटरी से उतर गयी। इसके लिए प्रदेश के पर्वतीय व सीमान्त जनपदों से करीब 3000 से अधिक गांव उजड़ गये। खुद प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत सहित तीन मुख्यमत्रियों के मूल जनपद पौडी से पलायन की भयंकर त्रासदी झेल रहा है। प्रदेश गठन होने से पहले ही प्रदेश की प्रबुद्ध राज्य आंदोलनकारियों ने इन्हीं लखनवी बीमारी से विकास से वंचित उतराखण्ड का कैसा चहुमुखी विकास हो, कैसे प्रदेश की नौकरशाही को उप्र की तरह पर्वत विरोधी मानसिकता पर अंकुश लगा कर उसे हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर विकासोनुमुख बनाया जाय। कैसे प्रदेश के हितों व संसाधनों की रक्षा हिमाचल सहित हिमालयी राज्यों की तरह किया जाय? कैसे उतराखण्ड राज्य को विश्व लोकशाही व भारत की संस्कृति का आदर्श अनुकरणीय राज्य बनाया जाता ? कैसे उतराखण्ड को आत्मसम्मान व हितों की रक्षा करते हुए प्रदेश में नशा मुक्त व भ्रष्टाचार मुक्त विकासोनुमुख सुशासन स्थापित किया जाय। इन सबका एक समाधान राज्य गठन आंदोलनकारियों ने पहले ही गहन मंथन करके प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने का सर्वसम्मत से संकल्प लिया। क्योंकि आंदोलनकारी जानते थे कि प्रदेश में देहरादून जैसे मैदानी क्षेत्र में बनने से नेताओं व नौकरशाही का पहाड विरोधी अविभाजित पूर्व उप्र की लखनवी मानसिकता से ग्रसित ही हो कर प्रदेश को बर्बादी के गर्त में धकेलेगे। इसीलिए प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने का संकल्प लिया था। आंदोलनकारी जानते हैं थे राजधानी गैरसैंण बनने से नेताओं व नौकरशाही की पर्वत विरोधी मानसिकता से उबर कर प्रदेश के हितों व सम्मान की रक्षा के लिए हिमाचल की तरह भू कानून बनाने, मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा देने, शराब, जंगल, जल, भू माफियाओं व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा कर देश में रोजगार युक्त राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने वाला सुशासन स्थापित होगा।
परन्तु प्रदेश की तमाम सरकारें अभी तक जनांकांक्षाओं को नजरांदाज कर अपनी देहरादून की पंचतारा मानसिकता से रौदने का जो कृत्य किया,  उससे देश का सीमान्त प्रांत उतराखण्ड का पर्वतीय क्षेत्र पलायन की सुनामी से ढह सा गया है। प्रदेश में घुसपेटियों, भ्रष्टाचारियों, अपराधियों व भयदोहन करने वालों का अभ्यारण सा बन गया है। इसलिए प्रदेश की सरकारों को चाहिए कि वह लोकशाही के प्रथम पाठ जनभावनाओं व जनहितों का सम्मान करने के अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रदेश की राजधानी तत्काल गैरसैंण में स्थापित करे। प्रदेश का उज्जवल भविष्य पलायन आयोग जैसे जुमलों से नहीं सुधरेगी। इसके लिए पंचतारा मानसिकता को छोड कर लोकशाही को आत्मसात करते हुए जनसेवक बन गैरसैंण में आसीन होना होगा। तभी प्रदेश के साथ देश का भविष्य उज्जवल होगा।
गौरतलब है कि उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने नये साल 2019 की शुभकामनाऐ 31 दिसम्बर को अपने ब्लोग में प्रकट करते हुए लिखा कि

मेरे प्यारे उत्तराखंड वासियों,
नूतन वर्ष 2019 आप सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव लेकर आए और ये प्रदेश समृद्धि की ओर अग्रसर रहे, ऐसी मैं बाबा केदारनाथ जी से प्रार्थना करता हूं।

मेरे प्यारे प्रदेशवासियों,
जिस दिन से आपने मुझे इस राज्य की सेवा का मौका दिया है मैं इसे एक पावन व्रत समझकर मन वचन कर्म से इस धर्म को निभाने की कोशिश कर पा रहा हूं। वर्ष 2018 विकास की दृष्टि से उत्तराखंड के लिए बेहद सफल रहा है। वर्ष 2018 में समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए प्रयास किए गए हैं। साल 2018 में हमने उत्तराखंड के उत्थान और आम आदमी के कल्याण के लिए कई संकल्प लिए और उन्हें धरातल पर उतारने की सफल कोशिश भी की है। लेकिन चार प्रमुख कार्य ऐसे हैं जो मैं मानता हूं कि 2018 में हमारी सरकार के सबसे बड़े फैसले थे।

1. अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं गरीब से गरीब और अमीर से अमीर व्यक्ति तक सहजता से पहुंच सकें। कोई भी व्यक्ति धन के अभाव में उचित उपचार का मोहताज न रहे, इलाज के लिए किसी महिला को अपने गहने या जमीन गिरवी न रखनी पड़े। इसके लिए हमने एक अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की। इस योजना से उत्तराखंड को भी बड़ा फायदा मिला और राज्य के 5.37 लाख गरीब परिवार इसके दायरे में आए। लेकिन उत्तराखंड में लाखों परिवार ऐसे हैं, जो न तो गरीबी रेखा से नीचे हैं और न ही धनाड्य वर्ग में आते हैं। झुग्गी झोपड़ी और मलिन बस्तियों में रहने वाले कई परिवार ऐसे हैं, जो सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इस तरह से उत्तराखंड की आबादी का बड़ा हिस्सा आयुष्मान भारत जैसी योजना का लाभ नहीं ले पा रहा था। इसलिए हमने मोदी जी की प्रेरणा से प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को सालाना पांच लाख रुपए तक की निशुल्क स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की है। अटल आयुष्मान योजना के जरिए प्रदेश का कोई भी परिवार सूचीबद्ध अस्पतालों में साल में पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करवा सकेगा। गरीब से गरीब लोगों को वर्ल्ड क्लास प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलेगी। मैं मानता हूं कि सर्वे भवंतु सुखिनरू की हमारी सोच, इस योजना से काफी हद तक पूरी हो सकेगी।

2. निवेश का पसंदीदा डेस्टिनेशन उत्तराखंड
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में व्यापक निवेश आकर्षित करने के लिए उद्योगों के लिए सरल पॉलिसी बनाई गई है। निवेश के प्रस्तावों को सिंगल विंडो क्लीयरेंस दी जा रही है। हम रेड टेपिज्म से रेड कार्पेट की ओर जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि हमने 7-8 अक्टूबर 2018 को उत्तराखंड में पहली बार इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन करवाया। इस समिट के दौरान 1 लाख 24 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू साइन किए गए। आम तौर पर निवेश के प्रस्तावों को धरातल पर उतरने में देर लगती है लेकिन हमने इस पर मिशन मोड में काम किया, बागेश्वर में एक प्रोजेक्ट की शुभ शुरुआत हो चुकी है। इसका नतीजा ये है कि मार्च 2019 तक करीब 30 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट धरातल पर उतर जाएंगे। निवेश के जरिए पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की खाई को पाटने की भरसक कोशिश हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों में लघु उद्योगों के लिए 40 हजार करोड़ के एमओयू साइन हुए हैं। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन उद्योगों को दी जा रही है। हमने लोगों की खाली जमीन पर उद्योग स्थापित करने की कोशिश जरूर की है,लेकिन जमीन का मालिकाना हक लोगों के पास ही रहेगा। यानि खाली जमीन पर उद्योगों से पहाड़ में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और उनकी जमीन का सदुपयोग भी हो सकेगा। इस तरह से इन्वेस्टर्स समिट आने वाले समय में उत्तराखंड के लिए गेमचेंजर साबित होगी।

3. साकार होता पर्यटन प्रदेश का सपना
पर्यटन ऐसा क्षेत्र है जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को भारी उछाल मिल सकता है।  पर्यटन के जरिए हमने इस प्रदेश की तस्वीर बदलने की कोशिश की है। हम पहली बार 13 जिलों में 13 नए पर्यटन स्थल विकसित करने पर मजबूती के साथ आगे बढ़े हैं, इसके लिए बजटीय प्रावधान किया जा चुका है। पर्यटन की गतिविधियों को उद्योग का दर्जा देकर एडवेंचर टूरिज्म के स्कोप को मजबूत किया है। टिहरी झील में सी प्लेन उतारने का सपना इसी सोच का नतीजा है जो जल्द साकार होने वाला है। आज उत्तराखंड नेचर, एडवेंचर, योग आध्यात्म और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म का कंप्लीट पैकेज बन चुका है। चार धाम यात्रा मार्गों पर व्यवस्थाएं सुचारू की गई, जिसके चलते आपदा के बाद रिकॉर्ड मात्रा में करीब 28 लाख श्रद्धालु इस बार चार धाम यात्रा पर आए। हमने ग्रामीण पर्यटन को संवारने के लिए होमस्टे योजना को मजबूती दी है। आनेवाले समय में 5000 नए होमस्टे बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन सभी गतिविधियों को स्थानीय युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि पर्यटन से अधिक से अधिक रोजगार सृजित हो सकें।

4. साफ सुथरा शासन
2018 में प्रदेश में ऐसे कई मामले आए जहां पिछली सरकारों के दौरान घोटालों की बात सामने आई। सड़क निर्माण से लेकर शिक्षा, गरीबों के राशन वितरण में गड़बड़ी, कई बड़े प्रोजेक्ट में घोटालों की आशंका। लेकिन हमने इन सबके खिलाफ डंके की चोट पर पूरी ईमानदारी से काम किया। भ्रष्टाचारियों पर सख्त से सख्त कारवाही की। सिस्टम में पारदर्शिता लाने की पहल की। आज आर्थिक अनुशासन के चलते खनन, ऊर्जा, परिवहन जैसे हमारे कई विभाग घाटे से उबर रहे हैं। यह पारदर्शी शासन में ही संभव है कि देहरादून में मोहकमपुर फ्लाईओवर और डाटकाली टनल का निर्माण न सिर्फ समय से पहले पूरा किया गया बल्कि इसमें धन की बचत भी की गई। हमने इन विभागों के राजस्व में बढ़ोतरी की है। ट्रांसफर पोस्टिंग इस प्रदेश में एक धंधा बनकर रह गया था, हमने इस पर चोट की और पारदर्शी ट्रांसफर एक्ट लागू किया। अब पारदर्शी तरीके से ट्रांसफर हो रहे हैं। इसमे बिचैलियों की भूमिका को खत्म कर दिया है। मेरा मानना है कि ये राज्य पावन देवभूमि है, यहां भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसलिए हम भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अभी भी सख्ती से कायम हैं। मैं प्रदेश की जनता से भी अपील करता हूं कि इस मुहिम में सहयोग करें।

मेरे प्रदेशवासियों,
मैं मानता हूं कि अभी भी इस राज्य के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। लेकिन हमारी नीयत साफ है और सोच ईमानदार है। हमने प्रधानमंत्री जी के ऑर्गैनिक स्टेट के संकल्प पर बारीकी से काम किया है। हम किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। सस्ता ऋण, सस्ते कृषि उपकरण, खाद पर सब्सिडी, समर्थन मूल्य में वृद्धि और उत्पादों के लिए बेहतर मार्केट उपलब्ध करवाकर हमने किसानों के लिए बीज से लेकर बाजार तक आदर्श व्यवस्था दी है। प्रदेश की नारीशक्ति के सशक्तीकरण के लिए हमने देवभोग प्रसाद योजना शुरू की। हर न्यायपंचायत पर ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। इससे न केवल महिलाओं में कौशल विकास हो रहा है बल्कि वे आर्थिक रूप से सशक्त भी हो रही हैं। उच्च शिक्षा के लिए नए नए कोर्स और संस्थान हमने उत्तराखंड में खोले हैं। स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करके पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।

मुझे विश्वास है धीरे धीरे यह राज्य विकास की नई ऊंचाइयों तक अवश्य पहुंचेगा।  मैं माँ नंदा से प्रार्थना करता हूं कि नए वर्ष 2019 में उत्तराखंड का चहुमुखी विकास हो, राज्य में हर ओर खुशहाली हो, समृद्धि हो और प्रत्येक नागरिक का कल्याण हो।
इन्हीं भावनाओं के साथ एक बार फिर से आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद।

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