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भाजपा को रोकने के लिए नहीं अपितु बसपा को बचाने के लिए मायावती ने दिया कांग्रेस सरकार को समर्थन

कांग्रेस की कमजोरी से मजबूत होते है बसपा, सपा, जद परिवार सहित अन्य दल

नई दिल्ली (प्याउ)। 5 राज्यों की विधानसभा चुनाव में राजस्थान व मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया।  12 दिसम्बर को  मायावती ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए बसपा कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन दे रही है।
मायावती ने कहा कि पांचों राज्यों में आए परिणाम दिखाते हैं कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में लोग भाजपा और इसकी नीतियों के पूरी तरह से खिलाफ थे और नतीजतन अन्य प्रमुख विकल्पों की कमी के कारण उन्होंने कांग्रेस का चयन किया है। भले ही हम कांग्रेस की कई नीतियों से सहमत नहीं हैं लेकिन हमारी पार्टी मध्य प्रदेश में उनका समर्थन करने के लिए सहमत हुई है और जरूरत पड़ी तो राजस्थान में भी समर्थन करेंगे।
हकीकत यह है कि बसपा आलाकमान ने यह कदम भाजपा को रोकने के लिए नहीं अपितु बसपा को बचाने के लिए कांग्रेस का समर्थन किया। क्योंकि पूर्व में भी कई राज्यों में जीते बसपा विधायकों ंको अन्य दलों ने दलबदल कराकर या पूरा ही विलय कराकर बसपा आला नेतृत्व की मेहनत पर पानी फेर दिया। राजस्थान व मध्य प्रदेश में जिस प्रकार से कांग्रेस व भाजपा अन्यों पर डोरा डालने का काम कर रहे है। ऐसे में मायावती सहित तमाम छोटे दलों व स्वतंत्र प्रत्याशियों को अपने समर्थकों को बनाये रखना बेहद कठिन कार्य है। देर सबेर प्रायः सत्तारूढ व सत्ता के लिए संघर्ष कर रहा दल छोटे दलों व स्वतंत्र विधायकों को अपने अपने दलों में मिला ही देंगे। इसलिए इसी आशंका से भयभीत हो कर मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने का दाव चला। क्योंकि देर करने पर भाजपा या कांग्रेस कोई भी उसके विधायकों का विलय अपने दल में करा देता।
वेसे भी मायावती का भाजपा से दूरी बनाये रखने का दावा भी खोखला है क्योंकि भाजपा की मदद से वह उप्र की मुख्यमंत्री के पद पर आसीन रही थी। वहीं जहां तक कांग्रेस का समर्थन का सवाल है तो बसपा जब मतदान के बाद तमाम विपक्षी दल दिल्ली में एकजूट हुए थे परन्तु इसमें बसपा सम्मलित नहीं हुई। हकीकत है बसपा का अस्तित्व ही कांग्रेस की कमजोरी एक प्रकार से प्राण है। कांग्रेस की मजबूती से बसपा ही कमजोर होगी। इसी सत्यता का भान होने के कारण बसपा, सपा सहित जद परिवार के तमाम दल जान कर सभी कांग्रेस को कमजोर करने में लगे रहते है। इसीलिए कोई भी दल सहजता से कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार नहीं करता।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश व राजस्थान में कांग्रेस सबसे बडी पार्टी है परन्तु वह बहुमत से दो चार मत कम है। 230 सदस्यी मध्य प्रदेश विधानसभा में ंकांग्रेस के पास 114 विधायक व भाजपा के पास 109 विधायक है। यहां पर 7 अन्य विधायक हैं जिसमें 2 बसपा के विधायक है। कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के लिए 116 सदस्यों की जरूरत है। वहीं राजस्थान की 199 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 99 विधायकों के साथ सबसे बडी पार्टी है। वहीं भाजपा 73 सदस्य है। इसके अलावा 27 अन्य है। 27 अन्यों में 6 बसपा के सदस्य है। कांग्रेस के लिए स्पष्ट बहुमत के लिए 2 विधायकों का समर्थन चाहिए।
वहीं बसपा ने छत्तीसगढ में भी कांग्रेस से अलग हो कर चुनाव लडा था। 90 सदस्यीय छत्तीसगढ विधानसभा में कांग्रेस को अभूतपूर्व बहुमत (68 सदस्य) मिला। यहां से 15 सालों से सत्ता पर काबिज भाजपा का सुफडा ही साफ हो गया। भाजपा को यहां केवल  15 विधायक जीते। वहां भी बसपा के 2 विधायक विधानसभा पंहुचे। यहां कांग्रेस को किसी के समर्थन की जरूरत नहीं है।

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