उत्तराखंड

विधानसभा सत्र से पहले अजय भट्ट के आत्मघाती बयान से गैरसैंण राजधानी के भंवर में फंसी त्रिवेन्द्र सरकार हुई भारी किरकिरी

गैरसैंण राजधानी के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व भगत सिंह कोश्यारी, भाजपा के कई विधायक सामने आये

4 से 6  दिसम्बर को होगा विधानसभा सत्र,  उत्तराखंड शासन मे फेरबदल व नैनीताल में बनाया मुख्यमंत्री का कुमायू मण्डल का सचिवालय

देहरादून (प्याउ)।  प्रदेश में 4 से 6 दिसम्बर को विधानसभा सत्र होने का विधिवत ऐलान कर दिया है। परन्तु सत्र से पहले ही प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार राजधानी गैरसैंण के मुद्दे पर अपनी पार्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के अलोकतांत्रिक बयान से बुरी तरह फंस गयी है। इस भंवर से उबरने के लिए त्रिवेन्द्र सरकार ने नैनीताल में मुख्यमंत्री एक मण्डल स्तरीय सचिवालय बनाने का ऐलान किया और शासन प्रशासन में हल्का फेरबदल किया।  
उल्लेखनीय है कि जहां प्रदेश की जनता निरंतर प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग कर रही है। राज्य गठन आंदोलनकारी निरंतर गैरसैंण की मांग कर रहे है। देहरादून में 17 सितम्बर 2018 से निरंतर राजधानी गैरसैंण के लिए परेड़ मैदान में धरना चल रहा है। वहीं जनांकांक्षाओं ंको साकार करने का काम करने के बजाय प्रदेश में सत्तासीन भाजपा की त्रिवेन्द्र रावत की सरकार गैरसैंण मामले में पूर्ववर्ती सरकारों की तरह उतराखण्ड के हितों पर कुठाराघात करने की कुनीति पर चलते हुए राजधानी गैरसैंण घोषित न करके केवल जनता के आक्रोश पर मरहम लगाने का नाटक करके आंखों में धूल झोंकते हुए गैरसैंण में विधानसभा सत्र का आयोजित कर रहे है। ऐसी सरकार को राजधानी गैरसैंण बनाने की नसीहत देने के बजाय सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने के खिलाफ ही ऐसा आत्मघाती बयान दिया कि पूरे प्रदेश में भाजपा की भारी किरकिरी हुई। इसको भांपते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को खुद मोर्चा संभालते हुए अजय भट्ट जैसे बयानवीरों को उनकी सीमाओं का भान कराया। इससे अजय भट्ट की पूरे प्रदेश में जहां जगहंसाई हुई वहीं राज्य गठन के आंदोलनकारियों ने भाजपा अध्यक्ष से तुरंत ऐसे जनविरोधी मानसिकता के व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग की।
अजय  भट्ट की बयानबाजी से प्रदेश की जनता का गहरा आघात लगा। राज्य गठन आंदोलनकारियों व प्रबुद्धजनों के निरंतर दवाब के बदोलत प्रदेश के अनैक बडे नेता अब खुल कर राजधानी गैरसैंण के समर्थन में बोल रहे है। हाॅ कुछ ऐसे निहित स्वार्थी नेता है जो किंतु परंतु लगा कर वहां पर सुविधा न होने का हवाला देते है। परन्तु अजय भट्ट जैसे नेता यह भूल गये कि गैरसैंण में पानी व रहने खाने की सुविधायें उनकी सरकारों को जुटानी चाहिए न की जनता इन तथाकथित जनसेवकों को ऐसी सुविधा उपलब्ध करायेगी।  हालांकि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपना पक्ष एक खबरिया चैनल में विचार प्रकट करके कहा कि प्रदेश की राजधानी देर सबेर गैरसैंण में ही बनेगी। ऐसी ही बात भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने राजधानी गैरसैंण का समर्थन तब कहा जब उतराखण्ड के शीर्ष आंदोलनकारी देवसिंह रावत, कांग्रेसी नेता धीरेन्द्र प्रताप, रालोद नेता मनमोहन शाह व नंदन रावत स्वास्थ्य लाभ ले रहे पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की कुशल क्षेम लेने इसी सप्ताह उनके निवास में पंहुचे। गैरसैंण के समर्थन में भाजपा के अनैक विधायक, राष्ट्रीय सचिव तीरथ रावत सहित कई नेता खडे हो गये।

सरकार ने अजय भट्ट द्वारा बेवजह भाजपा को भंवर में फंसाने वाले बयान से उबारने का काम करते हुए कुमायूं ंमण्डल के लिए नैनीताल में मुख्यमंत्री का एक मण्डल स्तरीय सचिवालय बनाने के साथ शासन में अधिकारियों की जिम्मेदारियों में हुआ बदलाव भी किया। इसके तहत एसीएस ओमप्रकाश को नागरिक उड्डयन विभाग की जिम्मेदारी से किया गया अवमुक्त कर ओम प्रकाश को खनन विभाग की दी गई जिम्मेदारी। प्रमुख सचिव आनंद वर्धन को गृह, कारागार, खनन विभाग की जिम्मेदारी से अवमुक्त कर उनको  आबकारी विभाग की दी गयी जिम्मेदारी।  राधा रतूड़ी को ंबे मुख्यमंत्री और नियोजन की दी गयी जिम्मेदारी दी गयी।
।बे रणवीर सिंह से आबकारी विभाग की जिम्मेदारी वापस ली गयी। सचिव आरके सुधांशु को बायोटेक्नोलॉजी की दी गयी जिम्मेदारी। सचिव डी सेंथिल पांडियन को पंचायतीराज विभाग, सचिव नितेश झा को गृह, कारागार ,सचिव रंजीत कुमार सिन्हा को बायोटेक्नोलॉजी से हटाकर पुनर्गठन एवं जनगणना की जिम्मेदारी दी गयी। अपर सचिव वी षणमुगम से आयुक्त आबकारी के पदभार हटाया गया। अपर सचिव संबिन बंसल को निदेशक खनन के पद से हटाया गया। सचिव दिलीप जावलकर को नागरिक उड्डयन विभाग की जिम्मेदारी दी गयीं कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेल को सचिव मुख्यमंत्री का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।दीपेंद्र चैधरी को आयुक्त आबकारी के पद पर तैनाती दी गयी।
इसके साथ पीसीएस अधिकारियों की जिम्मेदारी में भी किया गया बदलाव। पीसीएस अधिकारी उमेश नारायण पांडेय को अपर सचिव उद्योग, निदेशक राजकीय मुद्रणलय की दी गयी जिम्मेदारी।
मेहरबान बिष्ट को अपर सचिव राजस्व विबजग और निदेशक खनन के पद पर तैनात किया गया। देव कृष्ण तिवारी को अपर सचिव गृह विभाग की दी गयी जिम्मेदारी।
पर प्रदेश सरकार व नेताओं को इस बात का भान होना चाहिए कि  इन सबके बाबजूद बिना राजधानी गैरसैंण बनाये न प्रदेश का चहुमुखी विकास होगा व नहीं ंप्रदेश को उजड़ने से बचाया जा सकता। इसलिए सरकार को अविलम्ब राजधानी गैरसैंण बनानी चाहिये।

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