उत्तराखंड

नगर पंचायत पोखरी के अध्यक्ष पद पर भी निर्दलीय प्रत्याशी ने चटाई राजनैतिक दलों को धूल

 गैरसैंण राजधानी सहित राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को रौंदने से उतराखण्ड की जनता का हुआ राजनैतिक दलों से मोह भंग

देहरादून (प्याउ)। 22 नवम्बर को प्रदेश के 84 निकाय चुनाव का अंतिम परिणाम के रूप में पोखरी नगर पंचायत के अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी लक्ष्मी प्रसाद पंत के जीतने से साफ हो गया है कि प्रदेश की जनता का स्थापित राजनैतिक दलों से मोह भंग हो गया है। उतराखण्ड में 18 नवम्बर को हुए 84 निकायों के चुनाव की मतगणना, नगर पंचायत पोखरी को छोडकर  20 नवम्बर को घोषित कर दिये गये थे। 22 नवम्बर की सांयकाल को नगर पंचायत पोखरी के अध्यक्ष पद की मतगणना पूरी करने के बाद इसके परिणाम घोषित किये गये। यहां पर भी प्रदेश के रूझान की तरह निर्दलीय प्रत्याशी ने ही बाजी मारी। यहा ंपर निर्दलीय प्रत्याशी लक्ष्मी प्रसाद पंत ने अपने निकटत्तम विरोधी कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश प्रसाद भट्ट को 176 मतों से परास्त किया।  यहां पर भाजपा का प्रत्याशी विजयपाल रावत तीसरे स्थान पर रहे।
उल्लेखनीय है कि 20 नवम्बर को घोषित किये उतराखण्ड के निकाय चुनाव में निर्दलीयों को मिली आधे से अधिक स्थानों पर भारी विजय से साफ संकेत है कि प्रदेश की जनता का प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस सहित स्थापित राजनैतिक दलों से मोह भंग हो चूका है। प्रदेश में 1064 वार्डों सदस्यों में 551 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। वहीं भाजपा व कांग्रेस दोनों ंको जितनी सीटें जीती उससे अधिक निर्दलीयों ने जीत ली।
जनता का मोह भोग होना स्वाभाविक है। 18 साल राज्य गठन हुए हो गये। परन्तु प्रदेश की सरकारों ने अभी तक राज्य गठन की जनांकांक्षाओं (राजधानी गैरसैंण, मुजफ्फरनगर काण्ड-94, भू कानून, मूल निवास, जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई क्षेत्रों का परिसीमन) को साकार करने नितांत असफल रही। प्रदेश में विकास के तथाकथित दावों की हवा प्रदेश में 3 हजार से अधिक गांवों का पलायन निकाल रहा है। प्रदेश सरकारों ने जिस बेशर्मी से जनांकांक्षाओं को रौंदा उससे जनता का प्रदेश के राजनेताओं से मोह भंग होना स्वाभाविक है। जिस प्रकार से सुशासन की आश लगाये लोग प्रदेश सरकारों के संरक्षण में फल फूल रहे शासन प्रशासन में भ्रष्टाचार, प्रदेश में भारी घुसपेट, अपराधियों का अभ्यारण बन चूका है। बेरोजगारी से युवा निराश है। ऐसे में जनता का राजनैतिक दलों से मोह भंग होना स्वाभाविक है।
उतराखण्ड प्रदेश के निकाय चुनाव 20 नवम्बर को उतराखण्ड में शहरी निकायों की मतगणना हुई। इन 84 निकायों के चुनाव परिणाम आ गये है। प्रदेश के 8 नगर निगमों में से जिन 7 पर चुनाव हुआ उसमें भाजपा ने 5 नगर निगमों में विजय पताका लहरा कर मुख्यमंत्री की लाज रख ली। वहीं कांग्रेस ने एक दशक के बाद प्रदेश के निगम में खाता खोल कर 2 निगमों पर अपना कब्जा जमाया।
वहीं 39 नगर पालिका अध्यक्ष में से 12 नगर पालिका पर भाजपा, कांग्रेस 15 व निर्दलीयों ने 11 स्थानों पर अपना परचम लहराया। वहीं 38 नगर पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भाजपा ने 17, कांग्रेस ने 8 व निर्दलीयों ने 12 पंचायतों पर सिक्का जमाया।
वहीं 1064 वार्ड सदस्यों में से 1063 वार्डों के परिणाम के अनुसार, निर्दलीय ने 551, भाजपा ने 323, कांग्रेस ने 181, बसपा को 4, आप ने 2, उक्रांद ने 1 व सपा ने 1 स्थान पर विजय दर्ज की।
प्रदेश निकाय चुनाव के अधिकांश सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों का दबदबा रहने से स्थापित राजनैतिक दलों से जनता के मोह भंग के स्पष्ट संकेत मिल रहे है।
20 नवम्बर को उतराखण्ड में शहरी निकायों की मतगणना प्रातः आठ बजे से सभी मतगणना केन्द्रों पर हुई। उतराखण्ड प्रदेश के शहरी निकायों के लिए  23,53,923 मतदाता( 11,33,368 महिला और 12,20,555 पुरुष) 84 निकायों के 1148 पदों ( 7 नगर निगम महापौर -380 नगर निगम सदस्यो, 38 नगर पंचायत अध्यक्ष- 244नगर पंचायत सदस्य व  39 नगर पालिका अध्यक्ष -440नगर पालिका सदस्य) के लिए हो रहे  चुनावीं दंगल में उतरे 4,978 प्रत्याशियों में से अपने  जनप्रतिनिधी के चयन के लिए 18 नवम्बर को भारी मतदान किया।
गौरतलब है कि 37 पदों सभासद पर निर्दलीय निर्विरोध जीत चूके थे। इसमें कांग्रेस के एक और भाजपा के 7 निर्विरोध विजयी रहे। प्रदेश में 92 निकायों में से 8 निकायों के चुनाव नहीं हो पाये।  प्रदेश में रूड़की नगर निगम, अल्मोड़ा के भत्रोंजखान, श्रीनगर,हिमनद क्षेत्र, केदारनाथ, यमुनोत्री, सहित 8 निकायों में चुनाव नहीं कराये गये।  मतगणना का प्रारम्भ पोस्टल मतपत्रों की गणना की गयी। मतगणना कई चरणों में सम्पन्न हो रही है।

About the author

pyarauttarakhand5