उत्तराखंड

उतराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों सहित सभी राजनैतिक दलों से जुडे समर्पित राजनेताओं व समर्पित उतराखण्डियों ने उतराखण्ड सदन दिल्ली में मनाया गया उतराखण्ड राज्य स्थापना दिवस

उतराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों सहित सभी राजनैतिक दलों से जुडे समर्पित राजनेताओं व समर्पित उतराखण्डियों ने उतराखण्ड सदन दिल्ली में मनाया गया उतराखण्ड राज्य स्थापना दिवस

  • उतराखण्ड राज्य स्थापना दिवस पर #राजधानी_गैरसैंण सहित राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए दिया #प्रधानमंत्री_मोदी को ज्ञापन

  • उतराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों सहित सभी राजनैतिक दलों से जुडे समर्पित राजनेताओं व समर्पित उतराखण्डियों ने #उतराखण्ड_सदन_दिल्ली में मनाया #उतराखण्ड_राज्य_स्थापना_दिवस

  • उतराखण्ड की भ्रष्ट राजनीति पर अंकुश लगाने व प्रदेश को समृद्ध बनाने के लिए सभी प्रवासी अपने गांव में बनायेंगे अपना #मतदाता_कार्ड व लगायेंगे #फलों_के_बृक्ष

  • शहीदों व आंदोलनकारियों को नमन करते हुए, किया #गहन_चिंतन_मंथन, लिया उतराखण्ड को संवारने का संकल्प, राज्य स्थापना दिवस की खुशी में #मिष्टान वितरण के साथ परोसा गया #उतराखण्डी_भोज

  • उतराखण्डियों ने प्रधानमंत्री मोदी से लगाये गुहार -अच्छे दिन लाने का वादा निभाओं, प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाओं

  • उत्तराखण्ड राज्य गठन की जनांकांक्षाओं ,लोकशाही,चहंुमुखी विकास व देश की सुरक्षा के प्रतीक ‘गैरसैंण’को अविलम्ब उत्तराखण्ड की राजधानी बनायी जाय

नई दिल्ली(प्याउ)। उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर 2018 को उतराखण्ड राज्य गठन आदंोलनकारी संगठनों ने प्रदेश की 18 सालों की तमाम सरकारों पर राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को निर्ममता से रौंदने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन देकर प्रदेश की राजधानी गैरसैंण सहित राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को तत्काल साकार करने की गुहार लगायी। इस उतराखण्ड राज्य स्थापना दिवस समारोह के आयोजक राज्य आंदोलन के वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत व अनिल पंत ने बताया कि उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन मेें ऐतिहासिक संघर्ष करने वाले आांदोलनकारियों ने 9 नवम्बर की सांय 5 बजे दिल्ली के चाणाक्यपुरी में स्थित उतराखण्ड सदन में राज्य स्थापना दिवस का आयोजन किया।

राज्य गठन आदंोलन के समर्पित आंदोलनकारियों व शहीदों को नमन करते हुए राज्य गठन के 18 सालों पर गहन चिंतन मंथन किया गया। ंबैठक में राज्य गठन के बाद उतराखण्ड की तमाम सरकारों को राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार न करने लिए कडी भत्र्सना करते हुए उन्हें राव व मुलायम से बदतर बताते हुए धिक्कारा। इसके लिए प्रदेश में नये सिरे से मजबूत राज्य नव निर्माण दवाब संघ बनाने के साथ मजबूत विकल्प बना कर राज्य गठन की जनांकांक्षाओं (राजधानी गैरसैंण , मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा दिलाने, भू कानून लागू करने व विकासोनुमुख सुशासन देने) का भी संकल्प लिया गया। इस समारोह का संचालन देवसिंह रावत ने किया और अध्यक्षता उतराखण्ड राज्य आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी नेता व सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने की।बैठक में संकल्प लिया गया कि प्रदेश में राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए राज्य से बाहर सेवारत उतराखण्डी अपना मतदाता कार्ड अपने गांव में बनायेंगे औरे प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना मत अपने गांव में फलों के वृक्ष लगायेंगे। राज्य गठन स्थापना दिवस पर सभी समर्पित आंदोलनकारियों व समाजसेवियों को हार्दिक बधाई देते हुए मिष्ठान का वितरण व उतराखण्डी खाद्यान्नों को बढावा देने के लिए उतराखण्डी भोज परोसा गया ।
उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत व उतराखण्ड महासभा के अनिल पंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय जा कर राज्य स्थापना दिवस पर उतराखण्ड की राजधानी गैरसैंण सहित सभी जनांकांक्षाओं को साकार करके चहुमुखी विकास करने की मांग करने वाला ज्ञापन सौंपा।

प्रधानमंत्री को दिये गये ज्ञापन में व बैठक में ंप्रधानमंत्री से दो टूक शब्दों में मांग की गयी कि प्रधानमंत्री जी प्रदेश की तमाम सरकारों के उतराखण्ड विरोधी कृत्यों से निराश उतराखण्ड की जनता ने आपके अच्छे दिन लाने व जनहितों को साकार करने वाला सुशासन लाने के आश्वासन पर विश्वास करके 2014 के लोकसभा चुनाव व उसके बाद 2017 में हुए उतराखण्ड विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व बहुमत दिलानेे का काम किया। इन चुनावों में उतराखण्डियों ने आपके पक्ष में राष्ट्रव्यापी माहौल बनाने व अभूतपूर्व बहुमत से सत्तासीन कराने में उतराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करने की आश से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परन्तु प्रदेश की वर्तमान त्रिवेन्द्र सरकार सत्तासीन होने के लम्बे समय बाद भी जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। जनता निराश हो कर आपसे गुहार लगा रही है कि उतराखण्ड में अच्छे दिन तभी आ सकते है जब प्रदेश की जनांकांक्षायें साकार होगी। इसके लिए आप उतराखण्ड की जनभावनाओं को साकार करने के लिए निम्न लिखित जनांकांक्षाओं को साकार करने का महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए अपनी उतराखण्ड सरकार को दो टूक निर्देश देंगे। मान्यवर उतराखण्ड के अच्छे दिन लाने के लिए जरूरी है –
(क)- अविलम्ब उतराखण्ड की राजधानी गैरसैंण तुरंत घोषित करायें।
(ख)-मुजफ्फरनगर काण्ड-94 सहित उतराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन को अमानवीय दमन से रौंदने वाले हैवानों को सजा देने के लिए एक आयोग का गठन किया जाय।
(ग)- हिमाचल सहित अन्य हिमालयी राज्यों की तरह उतराखण्ड में भी भू कानून लागू किया।
(घ)-उतराखण्ड में मूल निवास 1960 से लागू किया जाय।
(ड)-बडे बांध, बाघ, शराब, घुसपेटियों, भ्रष्टाचारियों व अपराधियों पर अंकुश लगा कर उतराखण्ड का चहुमुखी विकास किया जाय।
(च)-राज्य गठन के बाद प्रदेश की जमीन, जंगल, जल व अन्य प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट पर तत्काल अंकुश लगायी जाय।
इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए आयोजक वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत, व अनिल पंत ने बताया कि 9 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस पर समर्पित आदंोलनकारियों व उतराखण्ड के लिए समर्पित समाजसेवियों की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन करके राज्य स्थापना के लिए राज्य के संघर्षशील आंदोलनकारियों व शहीदों के साथ राज्य गठन करने वाले तत्कालीन राजनैतिक दलों को शत शत नमन किया।
दलगत राजनीति से उपर उठ कर समर्पित उत्तराखण्डियों ने इस आयोजन में भाग लिया। इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को राज्य गठन की जनांकांक्षाओं, लोकशाही, प्रदेश के चहंुमुखी विकास व देश की सुरक्षा का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री से राजधानी गैरसैंण बनाना नितांत आवश्यक है। राजधानी गैरसैण के बिना प्रदेश का न तो समग्र विकास होगा व नहीं जनांकांक्षायें ही साकार होगी। प्रदेश की जनता को आशा है कि प्रधानमंत्री जनता के विश्वास व शहीदों की शहादत का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग करेंगे।
प्रधान मंत्री को दिये ज्ञापन में विस्तार पूर्वक बताया गया कि क्यों प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बननी चाहिए
(1)-प्रदेश में एक मात्र विधानसभा भवन गैरसैंण के भराड़ी सैण में बना हुआ है।
(2)- गैरसैंण विधानसभा भवन में विधानसभा का शीतकालीन सत्र 2017 में सम्पन्न हो चूका है। गैरसैंण में ही विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र भी सम्पन्न हो चूका है।
(3)-उत्तराखण्ड प्रदेश का बजट सत्र2018 भी गैरसैंण में किया जा रहा है।
(4) राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही राज्य गठन आंदोलनकारियों ने सर्व सम्मति से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने को एकमत थी।
(5)-उत्तराखण्ड राज्य व राजधानी गैरसैंण के लिए ही प्रदेश के सवा करोड़ जनता ने ऐतिहासिक जनांदोलन किया और शहादत दी।
(6)-राज्य गठन के बाद, राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने दी शहादत।
(7)-राज्य गठन से पहले ही पूर्व उप्र सरकार द्वारा गठित रमांशंकर कौशिक आयोग द्वारा उत्तराखण्ड की राजधानी के लिए आंदोलनारियों, जनता व विशेषज्ञों से गहन चिंतन मंथन व निरीक्षण कर गैरसैंण को जनांकांक्षाओं को साकार करने वाली राजधानी घोषित की।
(8) -राज्य गठन के बाद जनभावनाओं, दीक्षित आयोग व हिमालयी राज्यों की तरह गैरसैंण बनाने के बजाय देहरादून में राजधानी बनाने के षडयंत्र के तहत ‘राजधानी चयन के लिए दीक्षित आयोग’ बनाया। इस आयोग ने जानबुझ कर करोड़ों रूपये बर्बाद कर दस साल तक इसे उलझाये रखा। परन्तु इस दीक्षित आयोग ने भी दो तिहाई से अधिक लोगों ने राजधानी के लिए गैरसैंण बनाने के लिए अपना मत दिया।
(9)-आजादी के संग्राम में ‘पेशावर क्रांति ’ के महानायक चंद्रसिंह गढवाली ने गैरसैंण क्षेत्र में ही इस पर्वतीय क्षेत्र का आदर्श शहर बसाने का संकल्प लिया। (10) गैरसैंण उत्तराखण्ड प्रदेश के मध्य में स्थित है।
(11) हिमालयी राज्यों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है।
(12) -प्रदेश गठन के बाद पंचतारा सुविधाओं भोगी नेताओं व नौकरशाहों ने गैरसैंण में राजधानी बनाकर शासन चलाने के बजाय जनांकाक्षाओं, शहीदों की शहादत,प्रदेश के चहुंमुखी विकास, देश की सुरक्षा को नजरांदाज करते हुए प्रदेश गठन की मूल अवधारणा का गला घोटने का काम करते हुए बलात देहरादून में ही कुण्डली मारे हुए है। इससे प्रदेश गठन की मांग के लिए जिन पर्वतीय व सीमान्त जनपदों ने दशकों लम्बा संघर्ष व शहादते दी वहां से शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा व शासन से उपेक्षित होने के कारण विनाशकारी पलायन हो गया।क्योंकि देहरादून में काबिज हुक्मरान के साथ सीमान्त जनपदों के शिक्षक, चिकित्सक, कर्मचारी तमाम देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में अपना तबादला करने में लगे है। इससे चीन सीमा से लगे इस सीमान्त प्रदेश की यह स्थिति देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गयी है।
इस गहन चिंतन मंथन में अपने बहुमूल्य विचार रखने वालों में #उतराखण्ड_जनता_संघर्ष_मोर्चा के संयोजक अवतार रावत व अध्यक्ष देवसिंह रावत, #उतराखण्ड_जनमोर्चा के महासचिव डा एस एन बसलियाल व अधिवक्ता बी एस बोरा, #उतराखण्ड_राज्य_लोकमंच के वरिष्ठ पदाधिकारी एम नवनी,#उतराखण्ड_मानवाधिकार_संगठन के अध्यक्ष एस के शर्मा, #उतराखण्ड_एकता_मंच के दिगमोहन नेगी, राज्य गठन आंदोलन में समर्पित रहे राजनैतिक दलों से जुडे #भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदीश मंमगांई, #कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजपाल बिष्ट, #आम_आदमी_पार्टी के वरिष्ठ नेता बचन सिंह धनोला, उतराखण्ड में फलोद्यान के लिए समर्पित उद्यमी गोपाल उप्रेती, उतराखण्ड कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सदस्य महेश चंद्रा, आवाज सुना पहाडों की के प्रणेता के सी पाण्डे, पत्रकार चारू तिवारी आदि प्रमुख थे।
इस राज्य स्थापना दिवस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान व युवा कवि द्वारिका प्रसाद चमोली ने राज्य आदंोलन के लिए समर्पित मार्मिक कविता का पाठ किया। वहीं उतराखण्ड के लोकप्रिय गायक शिवदत्त पंत, सतीश कालेश्वरी व सतेन्द्र रावत ने सकारात्मक संदेश देने वाले मार्मिक गीतों का गायन करके लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस बैठक में राज्य गठन संघर्ष के अग्रणी वरिष्ठ आंदोलनकारी राजेन्द्र रतूडी, उतराखण्ड एकता मंच के डा विनोद बछेती, समर्पित समाजसेवी उद्यमी भवान सिंह भण्डारी,राज्य गठन आंदोलन में घायल हुए आंदोलनकारी उमेश रावत, महिला आंदोलनकारी नेत्री ऊषा नेगी,प्रमुख समर्पित संगठनों के ‘उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के जगमोहन रावत,कमल किशोर नौटियाल व श्याम प्रसाद खंतवाल , उतराखण्ड जनमोर्चा के पुरूषोत्तम चैनियाल, उतराखण्ड महासभा के वरिष्ठ पदाधिकारी अनिल पंत, उतराखण्ड राज्य लोकमंच के वरिष्ठ पदाधिकारी एम नवनी, राज्य गठन आंदोलन में समर्पित रहे राजनैतिक दलों से जुडे भाजपा के वरिष्ठ नेता श्याम लाल मंझेडा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमदत्त तिवारी, आम आदमी पार्टी के उतराखण्ड प्रकोष्ठ के वरिष्ठ पदाधिकारी पंकज पैनूली, राष्ट्रीय लोक दल के दिल्ली प्रदेश महासचिव मनमोहन शाह, पूर्व दर्जाधारी इंजीनियर गणेश चंद्रा, राज्य आंदोलनकारी वरिष्ठ पत्रकार कुशाल जीना,योगेश भट्ट, विनोद ढोंडियाल व दीप सिलोडी, राज्य सभा सचिवालय के संयुक्त निदेशक जे सुन्दरियाल, समाजसेवी नंदन रावत, किशोर रावत, भाजपा के युवा नेता उदय मंमगाई राठी व लक्ष्मण आर्य, गुमशुदा बच्चों की खोज के लिए समर्पित समाजसेवी जगमोहन जेयडा, उतराखण्ड शिल्पकार चेतना मंच के हरीश प्रकाश आर्य, भाजपा नेता रमन मधवाल, रवींन्द्र सिंह चैहान, प्रेम सिंह रावत लक्ष्मण सिंह कडाकोटी, भारतीय भाषा आंदोलन के धरना प्रभारी रामजी शुक्ला व मेजर एस के ठाकुर, संजय चैहान, केशव सिंह रावत, सर्वेश्वर रावत,मनोज कोठारी, डीएस नेगी, परमानंद केडियाल, सूरवीर वत्र्वाल, रमेश चंद, सूरज रावत, कुलदीप कण्डारी, श्रीमती मीना भण्डारी, श्रीमती बीना नेगी, माया रावत, मीना कालेश्वरी, दिनेश नौटियाल, मनोज द्विवेदी, व्यवसायी रमेश चंद्रा शर्मा, उमाशंकर कपर्वान, तेजपाल रावत, विजयपाल गुसांई, हरीश असवाल, मोहित नवानी, आप नेता प्रताप थलवाल, पत्रकार मुरार कण्डारी, उमाशंकर नौनी, प्रभाकर सत्ती आदि उपस्थित थें ।-+3.

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