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राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर RSS का सख्त बयान | जरूरत पड़ी तो फिर करेंगे 1992 जैसा आंदोलन

राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर RSS का सख्त बयान | जरूरत पड़ी तो फिर करेंगे 1992 जैसा आंदोलन

राममंदिर निर्माण का मुद्दा करोड़ों हिंदुओं की आरस्था से जुड़ा है, न्यायालय इस बात को भी समझेः श्री भैयाजी जोशी

प्यारा उत्तराखंड –मुंबई से सटे भायंदर में केशव सृष्टि में तीन दिन तक चली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में विचार किए गए विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश उपाख्य भैयाजी जोशी ने पत्रकारों से विस्तार से चर्चा की। पत्रकारों द्वारा इस अवसर पर उठाए गए राम मंदिर के मुद्दे से लेकर शबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर भी भैयाजी ने संघ का दृष्टिकोण स्पष्ट किया।
भैयाजी जोशी ने कहा कि, राम मंदिर का मुद्दा करोड़ों हिंदुओं की भवना से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है और इस पर न्यायालय को शीघ्र विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने राम मंदिर को लेकेर विगत ३० वर्षों से आंदोलन चलाया, लेकिन अब ये मुद्दा न्यायालय में होने की वजह से इस पर आंदोलन की ज़रुरत नहीं है। हिंदू समाज की अपेक्षा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने और इससे जुड़ी सभी बाधाएँ दूर हों। लेकिन ये प्रतीक्षा अब लंबी हो चुकी है। २०१० में उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे को लेकर फैसला दिया इसके बाद २०११ से ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी लेकिन बाद में फिर इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया। जब न्यायालय से ये पूछा गया कि इस मामले का फैसला कब आएगा तो कहा गया कि, हमारी प्राथमिकताएँ अलग है। ये न्यायालय का अपना अधिकार है लेकिन न्यायालय के इस जवाब से हिंदू समाज अपने आपको अपमानित महसूस कर रहा है और ये बात समस्त हिंदू समाज के लिए आश्चर्यजनक और वेदनाजनक है। सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले पर पुनर्विचार करना चाहिए। न्यायालय को भी समाज की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
राम मंदिर के मुद्दे पर कानून व अध्यादेश के विकल्प पर भैयाजी ने कहा कि ये सरकार का अधिकार है कि वह इस पर कब विचार करे। उन्होंने कहा कि नरसिंह राव प्रणित केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि अगर उस स्थान की खुदाई में मंदिर होने के प्रमाण मिलेंगे तो सरकार वहाँ मंदिर बनाने के लिए सहका करेगी। अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय में पुरातत्व विभाग द्वारा दिए गए प्रमाणों से ये सिध्द हो चुका है कि वहाँ मंदिर का अस्तित्व रहा है, तो फिर वहाँ मंदिर बनाने को लेकर किसी को कोई कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर को लेकर हम सरकार पर कोई दबाव नहीं डाल रहे हैं बल्कि आपसी सहमति से इसका हल निकालने की बात कर रहे हैं कोई भी सरकार सहमति और कानून दोनों के संतुलन से चलती है । सरकार द्वारा मंदिर को लेकर कानून नहीं बनाने को लेकर भैयाजी ने कहा कि बहुमत होने के बाद भी सरकार द्वारा कानून नहीं बनाना कानून के प्रति उसके विश्वास को दर्शाता है, लेकिन न्यायालय भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझे और इस पर विचार करे।
शबरीमाला को लेकर उन्होंने कहा कि ये मुद्दा महिलाओं के मंदिर में प्रवेश देना होता तो हम उसका समर्थन करते है। हिंदू समाज में कोई भी पूजा पति और पत्नी के बगैर पूरी नहीं होती। हिंदू परंपरा में स्त्री और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं होता है। लेकिन मंदिरों के अपने नियम होते हैं, कोई भी समाज मात्र अधिकारों पर नहीं बल्कि परंपराओं और मान्यताओँ पर चलता है। मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिले लेकिन अगर इसमें मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोगों से चर्चा किए बगैर कोई निर्णय लिया जाता है तो ये उचित नहीं। ऐसे निर्णय देते वक्त न्यायालय ने इन विषयों से जुडे सभी घटकों में एकमत करने का प्रयास करना चाहिए।
संघ की कार्यकारिणी मंडल की बैठक की चर्चा करते हुए भैयाजी ने कहा कि इसमें संघ के कार्यों की समीक्षा की गई जो हर साल अक्टूबर माह में की जाती है। उन्होंने बताया कि विगत ६ वर्षों में हम तेज गति से आगे बढ़े हैं। इन ६ वर्षों में हमारा कामकाज डेढ़ गुना बढ़ा है। आज देश भर में ३५ हजार ५०० गाँवों में संघ के विभिन्न सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। गत वर्ष की तुलना में इस साल हम १४०० नए स्थानों पर पहुँचे हैं। संघ की शाखा की संख्या ५५८२५ हो चुकी है जबकि गत वर्ष अक्टूबर तक २२०० शाखाओं में वृध्दि हुई है।
संघ का साप्तहिक मिलन १७ हजार गाँवों में नियमित रूप से हो रहा है। मासिक मिलन का कार्य ९ हजार स्थानों पुर चल रहा है। ५१ हजार स्थानों पर संघ सीधे कार्य कर रहा है। गत वर्ष की तुलना में संघ के स्वयंसेवकों की संख्या में एक लाख की वृध्दि हुई है। संघ ने अपने कार्य के विस्तार के लिए भौगोलिक दृष्टि से तालुका, ब्लाक, और १०-१५ गाँवों की यूनिट बनाकर अपना कार्य कर रहा है। ऐसी लगभग ५७ हजार ६०० यूनिट बनाई गई है२, जिसमें से हम ३२ हजार तक सीधे पहुँच चुकेहैं। ६१ हजार गाँवों में ५७ हजार क्लस्टर बनाए गए हैं, जिसके माध्यम से ३१ हजार गाँवों तक हम पहुँच चुके हैं।
देश भर में संघ के १.७० लाख सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। ये सेवा कार्य ग्रामीण, आदिवासी और शहरी क्षेत्रों में चल रहे हैं। संघ द्वारा २५ बड़े अस्पतचाल, १२ ब्लड बैंक और वनवासी क्षेत्रों मे एकल विद्यालय के माध्यम से एक शिक्षक वाले स्कूल ५० हजार गाँवों में चलाए जा रहे हैं। कई गाँवों में फर्स्ट एड की सेवा भी चलाई जा रही है और १० हजार आरोग्य रक्षक इसके माध्यम से गाँवों में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, इसका उद्श्य है सामान्य बीमारियों में ग्रामीणों को तत्काल चिकित्सा सुविधा दी जा सके। इसी तरह महिलाओं के २० हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप चल रहे हैं। इसके अलवावा हॉस्टल, कोचिंग क्लास आदि का भी संचालन किया जा रहा है। गत वर्ष संघ के ३० हजार स्वयंसेवकों के माध्यम से देश भर में १३ लाख पेड़ लगाए गए। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में सतत् कार्य किआ जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यकारी मंडल ने जल और पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से लिया है, और आने वाले दिनों में इस पर बड़े पैमाने पर कार्य का जाएगा।

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