Uttarakashi उत्तराखंड

देवभूमि को अपराधियों का अभ्यारण बनाने वाले 18 सालों की सरकारें ! म्यांमार की तरह क्यों धधक रहा है उतराखण्ड ?

#म्यांमार की तरह क्यों धधक रहा है #उतराखण्ड ?

#उतरकाशी में 11 वर्षीय अबोध बालिका की सामुहिक दुराचार के बाद हुई निर्मम हत्या प्रकरण से धधक रहा है उतराखण्ड

उतरकाशी #बलात्कार प्रकरण के गुनाहगारों से अधिक गुनाहगार है देवभूमि उतराखण्ड को अपराधियों का अभ्यारण बनाने वाले 18 सालों की #सरकारें

जनांकांक्षाओं को निर्ममता से रौंदने व घुसपेटियों को शर्मनाक संरक्षण देने वाले #उतराखण्ड_के_हुक्मरानों के कृत्यों से म्यांमार की तरह धधक रहा है उतराखण्ड

#उत्तराखण्ड को #म्यांमार बनाने को तुले है #उतराखण्ड_की_सरकारें

देवसिंह रावत ( प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम ) पूरा देश जहां एक तरफ केरल में आयी विनाशकारी बाड़ की त्रासदी व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के गम में शोकाकुल था। ऐसे में देश के सीमान्त जनपद उत्तरकाशी जिले के डूंडा ब्लाक के भाखरा गांव की 11वर्षीय नाबालिग लड़की को घर से बलात उठा कर सामुहिक दुराचार कर निर्मम हत्या करके सड़क में फेंक देने की विभत्स घटना के घटित होने से पूरा उत्तराखण्ड आहत व आक्रोशित है।
प्रदेश की जनता इस बात से हैरान है कि इन सभी घटनाओं में पकडे गये अपराधी दूसरे प्रदेशों से आये मजदूर,ठेली, पटरी व फेरी लगाने वाले अल्पसंख्यक समाज के लोग है। कोटद्वार, सतपुली व अगस्त्यमुनि में हुए ऐसे प्रकरण के खिलाफ जनता का इतना आक्रोशित हो गयी थी कि प्रशासन को अपनी लाज बचाने के लिए इन कस्बों को छावनी में तब्दील करना पड़ा। इन घटनाओं से पूरा पहाड़ धधक रहा है। कभी भी जनता का ऐसा आक्रोश फट सकता है जो लोगो को दूसरा म्यांमार दिखने लगे। भले ही उतरकाशी की इस घटना के गुनाहगारों को पुलिस ने पकड़ लिया। जनता कुछ दिन प्रदर्शन करने के बाद फिर शांत हो जायेगी। परन्तु उतराखण्ड की षांत वादियां अंदर ही अंदर धधक रही है। देवभूमि को अपराधियों का अभ्यारण यकायक कैसे बना ? इसका असली गुनाहगार कौन है? इन सवालों ंको अगर गंभीरता से चिंतन मनन करेंगे तो साफ नजर आयेगा कि इन शर्मनाक प्रकरणों के लिए जितने दोषी कालित है, उनसे अधिक दोषी देवभूमि में ऐसे तत्वों का अभ्यारण बनाने वाले प्रदेश की अब तक की तमाम सरकारें व उनके मुख्यमंत्री? जिन्होने जनता द्वारा ऐसी स्थिति पर पहले ही अंकुष लगाने के लिए राज्य गठन की मांग, हिमालयी राज्यों का भू कानून, मूल निवास, मुजफरनगर काण्ड के दोषियों को सजा देने व राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग को अपनी अंधी सत्ता लोलुपता के लिए जमीदोज करके देवभूमि को अपराधियों, घुसपेटियों व माफियों का अभ्यारण बना कर यहां के अमन चैन पर ग्रहण लगा दिया।
उतराखण्ड की षांत वादियों में सदैव अतिथि सत्कार व इंसानियत के लिए विख्यात रही। परन्तु कामगारों के नाम पर राज्य गठन के बाद जिस प्रकार से यहां दूसरे देश व प्रदेश के अपराधियों ने उतराखण्ड में काबिज हो गये है। इन पर राज्य गठन के समय से आज 18 साल बाद भी अंकुष न लगाने के लिए प्रदेष के जागरूक लोग प्रदेष की अब तक की उन तमाम सरकारों व उनके मुख्यमंत्रियों को गुनाहगार मानती है जिन्होने राज्य गठन के समय से चली आ रही ‘ हिमालयी राज्यों की तरह भू कानून, मूल निवास की मांग को निर्ममता से रौंदा। जिन्होने प्रदेश के मान सम्मान को रौंदने वाले मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को षर्मनाक संरक्षण देकर पूरे देश विदेश के अपराधियों को उरतराखण्ड को अपराधियों का अभ्यारहण बनाया। जिन्होने उतराखण्ड की लोकषाही व चहुमुखी विकास के प्रतीक राजधानी गैरसैंण अभी तक नहीं बनायी। जिन हुक्मरानों ने प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई क्षेत्रों के परिसीमन लागू कराकर उतराखण्ड के साथ विश्वासघात किया। जिन्होनें राजधानी गैरसैंण में जमीन की खरीद फरोख्त पर लगे प्रतिबंध को हटाने के साथ देहरादून में राज्य गठन के बाद बसे घुसपेटियों की अवैध बस्तियों को बचाने की मांग की व अध्यादेश लाये।
इसके साथ वे राजनैतिक दल, लोग व सरकारें भी जिम्मेदार है जो अपने वोट बेंक के चक्कर में इन असामाजिक तत्वों को प्रदेश में बसाते है, उनको निवास देते है और उनको मतदाता कार्ड, उनका पहचान पत्र व उनको सरकारी जमीनों पर मकान इत्यादि बनाने का शर्मनाक संरक्षण देते है।
उतरकाशी के डूडा विकास खण्ड में ही नहीं उतरकाशी जिला मुख्यालय, देहरादून, दिल्ली, सहित देश विदेश में रहने वाले लाखों संवेदनशील उतराखण्डी इस घटना से बेहद आहत व आक्रोशित है। लोग इस घटना के गिरफ्तार हैवानों को तुरंत त्वरित न्यायालय में मौत की सजा देने की जहां मांग कर रहे हैं वहीं इस प्रकरण से लोग ठगे महसूस कर रहे है। ऐसा नहीं कि उतराखण्ड में यह पहली घटना है इससे पहली घटना है इससे पहले कोटद्वार, सतपुली, अगस्त्यमुनि व उतरकाशी में इस प्रकार की घटना घटित हो चूकी है। तब भी भारी जनाक्रोश दिखा।
जैसे ही डुंडा क्षेत्र के हिटाणू क्षेत्र में घटित इस हैवानियत सुबह सात बजे इस घटना की जानकारी पुलिस प्रशासन को मिली। राजस्व पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया। जिसके बाद में डीएम, एसपी व विधायक मौके पर पहुंचे। कोतवाली उत्तरकाशी की पुलिस भी मौके पर पहुंची। बच्ची के घर के पास कुछ मजदूर कई दिनों से काम कर रहे थे। जो सुबह तड़के भाग निकले। सूत्रों के अनुसार चार मजदूर युवक बच्ची को अगवा कर ले गए थे और बिजली का कनेक्शन काट दिया। जिसके बाद सारी घटना को अंजाम दिया और शव पुल पर फेंक दिया। खबर मिलते ही गांव और पूरे उत्तरकाशी में हड़कंप मच गया। गांव वालों ने जमकर हंगाम किया. वहीं मौके पर जिलाधिकारी आशीष चैहान, गंगोत्री विधायक गोपाल रावत और एसपी उत्तरकाशी पहुंचे। प्रशासन को भनक लगी कि गांव के निकट देवी धार से उन मजदूरों ने देहरादून जाने के लिए गाड़ी बुक की। जब बच्ची की हत्या की सूचना फैली तो मजदूरों के लेकर जा रहे वाहन को मसूरी के निकट भवान में थत्यूड़ पुलिस ने रोका और मजदूरों को हिरासत में ले लिया गया। ये अपराधी बिहार के है। आक्रोशित जनता इन अपराधियों को उनके हवाला करके चोराहे में फांसी देने की मांग कर रही थीं। प्रशासन ने किसी प्रकार जनता का गुस्सा शांत किया। प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकरण को त्वरित न्यायालय में एक महिने से कम समय में इसके दोशियों को सजा सुनाने की व्यवस्था करे। तब कहीं लोगों का गुस्सा कुछ शांत हो पायेगा।
इस घटना पर न केवल सड़कों पर अपितु सोशल मीडिया में भी प्रबुद्ध जनों के बीच में भारी आक्रोश झलक रहा है। प्रदेश का जनमानस किस प्रकार से उद्देल्लित है उसके लिए प्रदेश के कुछ जागरूक लोगों के इंटरनेटी दुनिया में इस प्रकरण पर उनके आक्रोश को उनकी टिप्पणी के रूप में उल्लेख कर रहा हूॅ।

इस प्रकरण पर बेहद आहत व आक्रोषित उतरकाशी निवासी देश के वरिष्ठ #पत्रकार_विजेन्द्र_रावतउत्तरकाशी की निर्भया कांड में एस.पी. और संबध थाने को सस्पेंड होना चाहिए..। इस प्रकरण पर देहरादून में भी 19 अगस्त को विषाल विरोध जलूस निकालने वाले विजेन्द्र रावत लिखते हैं कि उत्तरकाशी जिले में इस जघन्य अपराध की यह तीसरी घटना है इसी तरह की एक घटना नौगांव में भी गत वर्ष घट चुकी है जब एक कबाड़ी ने एक मासूम से छेड़छाड़ कर उसे अपनी दुकान में बंदकर फरार हो गया जिसमें कई दिन तक बाजार बंद रहा और यहां पी.ए.सी. बुलानी पड़ी….
पहाड़ के छोटे छोटे कस्बों में ऐसी घटनाएं बढती जा रही है.. पहाड़ में जनता के पैसे पर पतली पुलिस का आखिर क्या काम है..क्या यह बाहरी व्यक्तियों की जांच नहीं कर सकती… जिनकी संख्या गिनती की होती है….एक फेरी वाला कुछ दिन में अपने साथ कई लोगों को ले आता है..आखिर पुलिस इनका वेरिफिकेशन क्यों नहीं करती..! इनका काम क्या है?
इस बच्ची के साथ दुराचार करने वाले निश्चित ही शातिर अपराधी रहे होंगे पर मजदूर बनकर रह रहे थे। आखिर इनके बारे में जांच कौन करेगा?
पहाड़ के गांव तक स्मैक जैसे नशे की गिरफ्त में युवक आ रहे हैं, आम लोग ऊंगली पर नशे के सौदागरों को गिना सकते हैं कि उस इलाके में नशा कौन बेचता है….. पर पुलिस नशा कारोबारियों से हफ्ता वसूलती है जिससे युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में फंसती जा रही है…पुलिस.दिल्ली मुम्बई में करोड़ों लोगों के बीच से अपराधियों को ढूंढ लेती है पर पहाड़ी नाकारा पुलिस कुछ हजार लोगों के बीच अपराधी को नहीं ढूंढ पाती यानी ढूंढना नहीं चाहती…..।
पहाड़ के चैराहों में पुलिसवाले पकोड़ी खाते मिल जाएंगे….हर अपराध के बाद थाने में पंचायत लगती है और पैसे खाकर अपराधियों को छोड़ दिया जाता है…..जिस कारण पहाड़ अपराधियों शरणस्थली बनती जा रही है…..
यदि पहाड़ की नाकारा व पंचायती पुलिस को दुरुस्त न ककिया किया गया तो ये अपराध बढ़ते ही रहेगें….पहाड़ से युवाओं का पलायन बढ़ रहा है और उनकी जगह पहाड़ में ऐसे आवारा व अपराधी जाकर बसने लगे है जिसकी गाज यहां की मासूम महिलाओं व बच्चियों पर गिर रही है…….।
श्रीनगर गढवाल विवि के डीआर पुरोहित ने गहरा कटाक्ष करते प्रदेश को इस हालत में पंहुचाने वाले राजनैतिक दलों को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। श्री पुरोहित ने टिप्पणी की कि अपराधियों की धर पकड़ शुरू होगी तो फिर साम्प्रदायिक उत्पीड़न के खिलाफ अगस्त्यमुनि और श्री नगर की सडकों पर मार्च भी निकलेंगे। इन लोगों के राशनकार्ड बनाने वाले बीजेपी, कांग्रेश, उक्रांद और लेफ्ट सभी के समाजसेवी हैं। मेरा जैसा आम आदमी राजनीति के सभी वर्गों के दिशाहीन होते चरित्र से आशंकित है।
वहीं ंउतराखण्ड के जनसरोकारों में हमेषा मजबूत आवाज बन संघर्श करने वाले पुरोधा व माले नेता इंद्रेश मैखुरी ने इस प्रकरण पर लिखा उत्तरकाशी में एक 14 वर्षीय बालिका को जिस तरह दुराचार करने बाद हत्या करके शव फेंक दिया गया,वह दरिंदगी है,वहशीपना है,वीभत्स और अमानवीय कार्यवाही है। इसे किसी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इस दुर्दांत वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों के खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की घिनौनी वारदात को अंजाम देने वाली किसी भी सूरत में कानून की गिरफ्त से बचने नहीं पाएँ।
यह जांच परख तो की ही जानी चाहिए कि जो लोग राज्य में आ रहे हैं,कहीं उनमें अपराधी तत्व तो नहीं हैं. सामन्यतया यह भी देखने में आया है कि दूसरे राज्यों से अपराध करके बड़े अपराधी भी उत्तराखंड को सुगम पनाहगाह के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। बहुदा ऐसे मामलों का खुलासा तब होता है,जब दूसरे राज्य की पुलिस ऐसे अपराधियों को यहाँ धर-दबोचती है. यह अभिसूचना(इंटेलिजेंस) तंत्र की विफलता है कि अपराधी तत्व,किसी भी रूप में राज्य को अपराध करके बचने या नए अपराधी करने की शरणस्थली के रूप में देखने लगें।
यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे तत्व जो इस तरह की घटनाओं को उन्माद और उत्पात फैलाने के अवसर के रूप में देखते हैं,वे अपने घटिया मंसूबों में कामयाब न होने पाये. प्रशासन ने कल से गढ़वाल के पाँच जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद करके,उन्माद फैलाने से रोकने की कोशिश की है.जिस तरह इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसे आधुनिकतम माध्यम का हिंसा,घृणा और अफवाह फैलाने के माध्यम के रूप में प्रयोग किया जा रहा है,वह निंदनीय है. ऐसे में प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इंटरनेट को बंद करके समझदारी का ही परिचय दिया। यह प्रयास किया जाना चाहिए कि किसी तरह की अफवाह के जरिये शरारती तत्वों को उत्पात फैलाने का मौका न मिले। ऐसे तत्वों,संगठनों की शिनाख्त कर उन्हें नियंत्रित करने के ठोस उपाय किए जाने चाहिए,जो ऐसी क्रूर घटनाओं को अपनी घृणित राजनीति को चमकाने के मौके के रूप में देखते हैं।
उत्तरकाशी समेत किसी भी मामले में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दोषी,किसी सूरत में सजा से बचने न पाएँ और अपराधियों की आड़ में किसी को भी उत्पात,हिंसा,घृणा फैलाने की छूट न हो।
वहीं उतरकाशी प्रकरण पर देश के अग्रणी युवा उर्जा वैज्ञानिक ईशान पुरोहित बेहद आहत है। रूद्रप्रयाग जनपद के निवासी ईशान पुरोहित दो टूक शब्दों में लिखते है कि प्रशासन जितनी एनर्जी आज इंटरनेट बंद करने पर लगा रहा है समय रहते उतनी एनर्जी अगर लोगों की जागरूकता के पीछे लगाए तो ये नौबत ही क्यों आये ? और फिर हम सीधा सीधा कहने में डरते क्यों हैं ? ये सम्प्रदाय विशेष क्या है ? छेत्र विशेष क्या है ? सीधा कहने में क्या जाता है कि बिहारी मुसलमान थे ,,,,, अमूमन गावों के अपराधों मैं ९० फीसदी से ज्यादा या तो नेपाली डोटयाल संलिप्त हैं या बिजनौरी और बिहारी। और वक्त कि नाम लेकर कहना ही पडेगा क्योंकि ये आग हमारे घरों तक पहुँच गयी है।
ये इंटरनेट आज बंद करेंगे और समस्या को पनाह देते रहेंगे। पहाड़ी दिल्ली पलायन कर उम्र भर काम करके देहरादून में एक छोटा मकान बना पायेगा और वहीँ बिहारी , बिजनौरी ,, कुंजड़े , तिब्बती , नेपाली देहरादून में सरकारी जमीनों पर कब्जा करके मकान बना लेंगे और हाईकोर्ट स्टे दे देगा। उत्तराखंड क्या इनके लिए बनाया था ?
देहरादून में इस प्रकरण से बेहद उद्देल्लित समाजसेवियों में स्वामी दर्शन भारती, डीएवी महाविद्यालय के पूर्व छात्र नेता सचिन थपलियाल, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल व प्रकाश थपलियाल सहित सैकडों समाजसेवी इस प्रकरण पर सड़कों पर उतरने का जनता से आवाहन कर रहे है। देवेन्द्र पंवार जिन्हे आम लोेग स्वामी दर्शन भारती के नाम से जानते है उन्होने दो टूक षब्दों में इस प्रकरण पर जनता को सडकों पर उतरने का खुला आवाहन किया। श्री स्वामी ने लिखा कि उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के डूंडा ब्लाक के भाखरा गांव की 11वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ बाहरी अराजक तत्वों द्वारा गैंगरेप करने के बाद निर्मम हत्या को अंजाम दिया गया। हत्या इतनी निर्मम और क्रूर थी कि नाबालिग लड़की के गोपनीय अंगों को धारदार हत्यार से काटा गया।
मैं उत्तराखंड की तमाम महान से बहुत दुःखी मन से कहना चाहता हूं कि जिस तरह से दिल्ली की दामिनी और पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की गुड़िया के लिए समस्त दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश की यहां तक कि उत्तराखंड की तमाम जागरुक जनता सड़कों पर इंसाफ के लिए टूट पड़ी तो उत्तराखंड वासियों आज अपने पहाड़ की बेटी के इंसाफ के लिए आपका मौन क्यों।
पहाड़ कि उन सभी मां बहिनों एवं युवाओं का कोई सानी नहीं जो कि पहाड़ कि नाबालिग बेटी के इंसाफ के लिए पिछले दो दिनों से सड़कों पर आन्दोलनरत एवं संघर्षरत हैं। मैं आप लोगों से करबद्द अपील एवं निवेदन करता हूं कि उत्तराखंड कि इस नाबालिग बेटी की इंसाफ की आवाज उन लोगों तक जरुर पहुंचे जो कि दामिनी एवं गुड़िया के लिए सड़कों पर उतर आए थे।

इस घटना पर चमोली से पत्रकार हरीश मैखूरी लिखते है कि उत्तरकाशी में 4 बिहारी जिहादी दरिन्दों द्वारा 14 वर्षीय बच्ची की बलात्कार व हत्या करने की दर्दनाक घटना के बाद आज फिर से पौड़ी जिले के खातस्यूं पट्टी के पनियां गांव में छटवीं कक्षा की बच्ची को सरफराज नाम का फेरी तिरपाल बेचने वाला यह दरिन्दा अपनी हवश का शिकार बनाने लगा। सुरेश जोशी के अनुसार बच्ची के रोने चिल्लाने की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों ने बच्ची की जान बचाई। अन्यथा जिहादी दरिन्दों का इरादा छोटी बच्चियों के बलात्कार के बाद हत्या करने का ही रहता है । वहीं नजीबाबाद बिजनौर में भी बस में बैठी छोटी लड़की से एक शांतिप्रिय जिहादी जब छेड़छाड़ करने लगा तब उस लड़की ने साहस कर उसे थाने पंहुचाया। ये वारदातें इरादतन हो रही हैं,और गहरी शाजिस का हिस्सा हैं, लोंगों और सरकारों को समय रहते जागना चाहिए।
उतरकाशी प्रकरण से आहत प्रखर राज्य गठन आंदोलनकारी नेत्री विजय लक्ष्मी गुसांई ने कहा कि अब पहाड़ के गांव में प्रधानों कोभी,आगे आना होगा,अपने छेत्र में आने वाले फेरी वालों,मजदूर,फालतू घुमते नजर आएं, उनकी जाँच करवाएं तभी इन अपराधियों पर अंकुश लग सकता है। श्रीमती गुसांई ने इस प्रकरण पर कुछ साल पहले पौडी में एक ऐसे ही कृत्य करने वाले बाहरी तत्व के खिलाफ जो व्यापक जनाक्रोश भड़का था उससे पूरे शहर से ऐसे तत्वों का खदेड़ दिया गया था। अगर प्रशासन ने समय पर इन पर अंकुश नहीं लगाया तो जनता का गुस्सा फिर कहीं सड़कों पर न फूट पडे।
प्रदेश भर में फेले जनाक्रोश को भांपते हुए प्रदेष के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने भी इस घटना की कडी भत्र्सना करते हुए कहा कि उत्तरकाशी में बच्ची के दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना ने झकझोर कर रख दिया है। देवभूमि में ऐसे दानवीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। मैं विश्वास दिलाता हूं इस घटना के जो भी दोषी होंगे उन्हें जल्द से जल्द कठोर से कठोर सजा दिलाई जाएगी। सभी ठेकेदारों या काम करवाने वालों को सुनिश्चित करना होगा कि वे बाहर से आने वाले कामगारों का वैरिफिकेशन करवा के ही काम पर लाएं। सभी जिलाधिकारियों को इस बाबत स्पष्ट निर्देश दिए जाते हैं कि जिन लोगों का वैरिफिकेशन नहीं हुआ है उनकी पहचान कर उचित कार्रवाई करें।
परन्तु मुख्यमंत्री का यह हवाई फरमाान जमीन पर कहां उतर पायेगा। खासकर जब मुख्यमंत्री खुद प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार करने वाली व ऐसी आशांकाओं को निर्मूल करने के लिए राजधानी गैरसैंण के मार्ग में सबसे बडे अवरोधक बने हुए है। राजधानी गैरसैंण की घोशणा करने के बजाय जो राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए वहां की जमीनों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का कृत्य करते है। ऐसे मुख्यमंत्री से आशा ही क्या की जाय। अगर प्रदेष में म्यांमार की तरह विस्फोटक स्थिति बनाने से प्रषासन को रोकने का दायित्व निभाना है तो उसे ऐसी हवाई ऐलान के बजाय प्रदेष में घुसे तमाम अपराधिक घुसपेटियों को बाहर खदेड कर राज्य में हिमालयी राज्यों का भू कानून, मूल निवास, मुजफरनगर काण्ड के दोषियों को सजा देने, राजधानी गैरसैंण बनाने व जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन पर अंकुश लगाने आदि की पुरजोर मांग को अविलम्ब स्वीकार करना होगा। तभी प्रदेश में अमन शांति स्थापित होगी। मैं आशंकित हूॅ कि सरकारें नहीं जागी तो कहीं देर सबेर उतराखण्ड भी दूसरा म्यांमार न बन जाय।

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