उत्तराखंड

गोविंद सिंह कुंजवाल जी जैसा सोम्य व्यक्तित्व आज देश के राजनैतिक पटल पर कोई दूसरा नही दिखता

गोविंद सिंह कुंजवाल जी जैसा सोम्य व्यक्तित्व आज देश के राजनैतिक पटल पर कोई दूसरा नही दिखता

महेश चंद्र – ( प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम )  माननीय गोविंद सिंह कुंजवाल जी जैसा सोम्य व्यक्तित्व आज देश के राजनैतिक पटल पर कोई दूसरा नही दिखता। उत्तराखण्ड की भारी उठापटक की राजनीति में आज तक उनका कोई शत्रु नहीं है।जो उनसे मिलता है उनका ही हो जाता है ।उत्तराखंड में लोग अपनी सुविधा से उन्हे या तो “आजादशत्रु” या “उत्तराखंड का गांधी” कहते हैं और वैसे ही आदर करते हैं।
मार्च, अप्रैल एवं मई 2016 में उत्तराखंड सरकार को गिराने के लिये सारे हथकंडे अपनाये गये। सुनने में आया कि पाला बदलने के लिये भारी धन और पद के प्रलोभन दिये गये। उत्तराखंड में जब ऐसी लूट मची थी तब किसी समर्थ विरोधी ने कुंजवाल साहब का आशीर्वाद पाने की कोशिश न की हो ऐसा हो ही नही सकता। यह कुंजवाल साहब ही थे जो न्याय के साथ खड़े रहे और विधान सभा अध्यक्ष का ऐतिहासिक निर्णय दिया जिसे पूरे विश्व में सराहा गया।
2017 के विधान सभा चुनाव में उत्तराखंड मे कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई जिसका श्रेय कांग्रेस की गुटबाजी एवं आपसी बिरोध को ही जाता है। चुनाव में हार की समीक्षा करके एकजुट होकर काम करने के बदले ऐसे निर्णय लिये गये जिससे गुटबाजी को नये आयाम मिल गये।
आज समाचार पत्र में माननीय कुंजवाल साहब से स॔बन्धित न्यूज देखी कि जिस प्रकार से उनके जिले का कांग्रेस अध्यक्ष बिना उनके संज्ञान के नियुक्त किया गया है उससे वे आहत हैं और यदि बदलाव नही किया गया तो वे विधायक और कांग्रेस दोनों से ही इस्तीफा दे देंगे ।
उत्तराखंड कांग्रेस कार्यकारिणी और प्रदेश प्रभारी को क्या यह नही ज्ञात है कि ऐसे निर्णय लेने से पहले संबंधित जिले के वरिष्ठ अनुभवी नेताओं की भी राय जान लेनी चाहिये।
आज यदि कांग्रेसी नेता उत्तराखंड में कांग्रेस को जीवित रखना चाहते हैं तो प्रदेश, जिला एवं अन्य सभी कार्यकारिणियां भंग की जानी चाहिये और पुनः गठित की जानी चाहिये तभी उत्तराखंड में कांग्रेस जीवित ही नही सफल होगी। यह प्रस्ताव प्रभारी महोदय को कांग्रेस हित में स्वयं देकर अमल करना चाहिये।।
जो लोग माननीय कुंजवाल साहब को जानते हैं उन्हे मालूम है कि उन्होंने पार्टी हित मैं सदैव बलिदान दिया है और जो वे कहते हैं वह करते हैं।यदि बदलाव नही हुआ तो विपक्ष के मन की बात हो जायेगी क्योंकि जो काम वह नही कर पाये वह कांग्रेस खुदकर रही है।

 

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