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न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिए मोदी सरकार को बधाई

’लोकतंत्र में राष्ट्रपति राजा नहीं होता’ कहने वाले न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिए मोदी सरकार को बधाई

( प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम ) केन्द्र सरकार व राष्ट्रपति को लोकशाही का आईना दिखाने वाले उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश न बनाने की हटधर्मिता छोड़ने के लिए मोदी सरकार को बधाई। इसके साथ बधाई तो देश के सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम को भी, जिन्होने सरकार द्वारा एक बार न्यायमूर्ति जोसेफ का नाम को ठुकराये जाने के बाबजूद दूसरी बार पुन्न भेजने का साहस दिखाया।
गौरतलब है 2016 में उत्तराखण्ड की तत्कालीन कांगे्रस की हरीश रावत सरकार को बलात अपदस्थ करके राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को असंवेधानिक बताते हुए उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ ने राष्ट्रपति शासन हटा कर बहुमत सम्पन्न हरीश रावत सरकार को बहाल किया। ंअपने इस निर्णय में न्यायामूर्ति के एम जोसेफ ने राष्ट्रपति पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र में राष्ट्रपति राजा नहीं होता है।
हालांकि इसके बाद केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय के खिलाफ गुहार लगायी। सर्वोच्च न्यायालय ने भी राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय पर प्रष्न चिन्ह लगाते हुए बहुमत का फैसला सदन में ही किये जाने का ऐतिहासिक फेसला सुनाया। जिसके बाद सदन में बहुमत साबित करने में सफल रही हरीश रावत सरकार पुन्न सत्तासीन हुई।
इस प्रकरण से पूरे देश में मोदी सरकार की भारी किरकिरी हुई। इसके बाद सर्वाच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाने की सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम की पहली बार की अनुशंसा को ठुकराने का जैसे ही केन्द्र सरकार ने कार्य किया तो पूरे देश में यह संदेश गया कि न्यायमूर्ति जोसेफ से मोदी सरकार बेहद खपा है। परन्तु इसके बाद जैसे ही लम्बे ना नुकुर के बाद केन्द्र सरकार को पुन्न काॅलेजियम ने न्यायमूर्ति जोसेफ का नाम सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए भेजा तो केन्द्र सरकार ने अपनी हटधर्मिता छोड़ कर जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने को सहमति प्रदान की। न्यायमूर्ति जोजफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने संबंधी राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों से युक्त वारंट उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंच गया है। इससे न केवल उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय अपितु पूरे देश के न्यायप्रिय लोगों में हर्ष की लहर दोड़ गयी। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में वर्षों से जुडे रहे सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने न्यायमूर्ति जोसेफ देश के ईमानदार व न्याय को समर्पित वरिष्ठ न्यायाधीश है।
गौरतलब है कि केरल मूल के न्यायमूर्ति केएम जोसफ से पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया, वीएस शिरपुरकर, सिरियक जोसफ व जेएस खेहर भी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति कपाड़िया व न्यायमूर्ति खेहर देश के मुख्य न्यायाधीश भी बने और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत को यहां से पहले मेघालय उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और बाद में सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।

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