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अविश्वास प्रस्ताव में मिली विजय के अगले ही दिन ममता बनर्जी ने दिया मोदी को 2019 के विजय की सौगात

अविश्वास प्रस्ताव में मिली विजय के अगले ही दिन ममता बनर्जी ने दिया मोदी को 2019 के
विजय की सौगात

  • 2019 के चुनाव में दिल्ली ताज के अंध मोह में विपक्ष की एकजूटता को ग्रहण लगा कर मोदी की राह आसान करेगी ममता
  • वामपंथी व कांग्रेस के साथ भाजपा को धूल चटाकर बंगाल 42 लोकसभा सीटों को जीतने की हुंकार भर रही है ममता
  • शहीदी दिवस रैली में उमडा जनसैलाव और भाजपा व कांग्रेस के नेताओं द्वारा तुणमूल का दामन थामने से साफ दिखा ममता का जलवा

कोलकाता ( प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम ) संसद में मोदी सरकार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव में मिली विजय के अगले दिन ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता वनर्जी ने #प्रधानमंत्री_मोदी को 2019 के चुनावी जंग की राह आसान कर विजय की सौगात दी। ममता बनर्जी के इस सौगात ने कर्नाटक में रखी गयी विपक्षी महागठबंधन की नींव व आशाओं पर अपनी अंध महत्वकांक्षा का बज्रपात किया।
ममता बनर्जी ने प्रधान मंत्री की राह आसान करने वाली सौगात कहीं और नहीं दी अपितु बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल पार्टी द्वारा आहुत शहीदी दिवस रैली में उमड़े भारी जनसैलाब को संबोधित करते हुए दी।
21 जुलाई को आहुत विशाल शहीदी i दिवस रैली को संबोधित करते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो टूक शब्दों में ऐलान किया कि बंगाल में 2019 का लोकसभा चुनाव उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस अकेले लड़ेगी। उमड़ी भीड़ से गदगद ममता बनर्जी ने कहा कि हमारा संकल्प यह है कि हम 2019 में बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेंगे.। ममता बनर्जी यहीं पर नहीं रूकी उन्होने प्रदेश में वामपंथी व कांग्रेस को आडे हाथों लेते हुए उन्हें बंगाल में भाजपा को मजबूत करने का आरोप लगाते हुए आगाह किया कि कांग्रेस और वाम दल बीजेपी को बंगाल में आगे बढ़ने में सहयोग कर रहे हैं, जबकि दिल्ली में हमारा समर्थन चाहते हैं. उन्हें दो बार सोचना चाहिए. हमें बंगाल में उनके समर्थन की जरूरत नहीं है. हम अकेले लड़ेंगे. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि हम उन्हें दिल्ली में समर्थन देंगें।
ममता ने कहा, हम 15 अगस्त से बीजेपी हटाओ, देश बचाओ अभियान की शुरुआत करेंगे। यह 2019 के लिए एक बड़ा प्रहार होगा जिसमें बंगाल रास्ता दिखाएगा। भाजपा व मोदी पर प्रहार करते हुए ममता ने कहा कि जो एक टेंट नहीं संभाल सकते हैें वे देश क्या संभालेंगे।
गौरतलब है कि इसी पखवाडे प्रधानमंत्री मोदी ने मदिनापुर में आयोजित रैली में ममता बनर्जी की सरकार पर कडा प्रहार करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में पूजा भी करना मुश्किल हो गया है। यहां सिंडिकेट को बिना चढ़ावा के काम कराना भी मुश्किल है। मां, माटी मानुष की बातों करने वालों के पीछे 8 साल का असली चेहरा आज बंगाल के लोगों को भली-भांति पता लग गया है।
भले ही मोदी, कांग्रेस व वामपंथी ममता बनर्जी की सरकार पर आरोप लगा रहे है। परन्तु सच्चाई यह है कि ममता बंगाल में निरंतर मजबूत हो रही है। इसका नजरा शहीदी दिवस रैली में दिखा। जहां उमड़ा भारी जलसैलाब तथा भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य चंदन मित्रा व कांग्रेस के 4 विधायक समर मुखर्जी, अबु ताहिर, सबीना यास्मीन और अखरूजमां तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए.। इससे साफ होता है कि ममता के जलवे के आगे बंगाल में मोदी, राहुल व वामपंथी अभी बेहद कमजोर है।
गौरतलब है कि 1993 के बाद हर साल 21 जुलाई को शहीदी दिवस रैली का आयोजन किया जाता है। 21 जुलाई 1993 को ममता बनर्जी के आवाहन पर आयोजित रैली पर पुलिसिया दमन में 13 लोग शहीद हो गये और 100 के लगभंग घायल हो गये थे। इससे साफ है कि वंगाल में आज भी ममता का डंका बज रहा है।
इसी सच्चाई को जान कर ममता का आंकलन है कि 2019 में मोदी को पूर्व बहुमत नहीं मिलेगा और कांग्रेस कमजोर ही रहेगी। इस तरह विपक्ष में जिस पार्टी के पास सबसे अधिक सांसद होंगे वह प्रधानमंत्री बन सकता है। इसीलिए वह बंगाल में कांग्रेस व वामपंथ के साथ कोई गठबंधन नहीं करना चाहती है। ममता की इसी जिद्द के कारण विपक्षी दलों का संभावित महागठबंधन पूरी तरह ध्वस्थ हो जायेगा और मोदी की राह आसान हो जायेगी। देखना यह है कि ममता का यह दाव मोदी व विपक्ष की राह पर फूल बिखेरता है या कांटे।

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