विश्व में सबसे अधिक वेतन लेने वाले #निकेश_अरोड़ा अगर #भारत में ही रहता तो उसकी प्रतिभा दम तोड़ देती
#अमेरिका में होता है होता है #प्रतिभा का सम्मान, भारत में प्रायः दम तोड़ती हैं प्रतिभा
नई दिल्ली (प्याउ) । आज पूरे संसार में निकेश अरोड़ा की धूम मची है। निकेश अरोड़ा न तो संसार के सबसे बडे देश अमेरिका के राष्ट्रपति है व नहीं चीन या रूस के। नहीं भारत के । निकेश अरोड़ा का नाम इन दिनों विश्व के आधोगिक जगत में ही नहीं आम जागरूक इंसानों के बीच इसलिए चर्चा में है कि वे इस समय दुनिया के सबसे अधिक वैतन लेने वाले मुख्य कार्यपालक अधिकारी हो गये ेहै।
उनको अमेरिका की विश्व विख्यात साइबर सुरक्षा कंपनी ‘#पालो_अल्टो_नेटवर्क के मुख्य कार्यपालक अधिकारी यानी सीईओ के रूप में नियुक्त किये गये। उनका सालाना वेतन 857 करोड रूपये यानी 12.8करोड़ डालर है। परन्तु अगर वे भारत में रहते तो उनकी प्रतिभा को यह मुकाम नहीं मिलता। अरोड़ा जब अमेरिका गये तो उनके पास मात्र दो ढाई लाख रूपये ही थे। उसी में उन्होने गुजारा करके जो लगन व मेहनत की उसका प्रतिफल है आज वे विश्व में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ है। परन्तु एक शर्मनाक सच्चाई यह भी है कि अगर वे भारत में ही रहते तो उनकी प्रतिभा कबके दम तोड़ देती। आज उनका पूरे विश्व में परचम लहरा रहा है उसका मूल कारण है #अमेेरिका व #यूरोप में प्रतिभा का सम्मान किये जाता है।
भारत में प्रतिभा की जगह, प्रायः उसकी जाति,क्षेत्र, रिश्तेदारी, व अपना हित देखा जाता है। यही नहीं देश हित या संस्थान के हितों को प्रायः अपने निहित स्वार्थ के लिए नजरांदाज कर दिया जाता है। भारत में प्रंितभाओं की कमी नहीं है। परन्तु यहां प्रायः प्रतिभा का कोई सम्मान नहीं होता। इसीकारण देश के विकास होने के बजाय यहां भ्रष्टाचार,आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद व परिवारवाद ही बढ़कर देश को पतन के गर्त में धकेल रहा है।
6 फरवरी 1968 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जन्में, विद्यालयी शिक्षा दिल्ली के वायुसेना विद्यालय में पढे व काशी हिंदू विवि आईटी से 1989 में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग पढे निकेश अरोड़ा ने अपना रोजगार का यह सफर भारत में विप्रो कम्पनी से प्रारम्भ किया। इसके बाद वे पढाई के लिए अमेरिका चले गये। वहां उन्होंने नार्थ ईस्टर्न विश्वविद्यालय में एमबीए की। 1992 में निकेश ने बोस्टन कॉलेज में फाइनेंशियल प्रोग्राम की पढ़ाई की।
पालो अल्टो नेटवर्क ने इसी सप्ताह मार्क मिकलॉकलीन के स्थान पर निकेश अरोड़ा, को मुख्य कार्यपालक अधिकारी बना कर उनको जो वेतन देने का ऐलान किया उससे पूरे विश्व का बरबस ही ध्यान उनकी तरफ आकृष्ठ हो गया। निकेश अरोड़ा को 12.8 करोड़ डालर सालाना वेतन का ऐलान किया। जो वर्तमान मंें संसार में सबसे अधिक वेतन पाने वाले में सर्वोच्च स्थान पर आसीन हो गये। इससे पहले 119 मिलियन डॉलर सालाना वेतन पाने वाले ऐपल के सीईओ टिम कुक टेक्नोलॉजी की दुनिया में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले मुख्य कार्यवालक अधिकारी के रूप में विख्यात थे। ं
निकेश अरोड़ा, पालो अल्टो नेटवर्क बोर्ड के चेयरमैन भी होंगे। हालांकि पालो अल्टो नेटवर्क ने वार्षिक वेतन 6.7 करोड़ रुपये व बोनस 6.7 करोड़ रुपये के अलावा 268 करोड़ रुपए के शेयर भी दिये जिनको निकेश अरोडा सात साल तक नहीं बेच पाएंगे.। यही नहीं अगर निकेश अरोडा के कार्यकाल में पालो अल्टो के शेयर के दाम सात साल के अंदर 300 प्रतिशत बढे तो निकेश अरोडा को 442 करोड़ रूपये भी ईनामी बोनस के रूप में भी दिये जायेंगे। हैरानी की बात यह भी है कि भले ही निकेश अरोड़ा के पास क्लाउड और डेटा डीलिंग का व्यापक अनुभव है पर उनके पास साइबर सिक्यॉरिटी का अनुभव नहीं है।
अरोड़ा सॉफ्ट बैंक और गूगल में काम कर चुके हैं.
निकेश अरोड़ा ने 2004 से 2007 तक गूगल के यूरोप आप्रेशन के प्रमुख व 2011 में गूगल में चीफ बिजनेस अधिकारी बने। गूगल को छोड़ते समय उनका सालाना वेतन ं 50 मिलियन डालर था। 2014 में अरोड़ा ने सॉफ्ट बैंक में ग्लोबल इंटरनेट इन्वेस्टमेंट प्रमुख पद पर आसीन हुए। अपनी कार्यक्षमता के कारण निकेश को सॉफ्ट बैंक के बोर्ड में भी सम्मलित किया गया। जून 2016 तक रहे वे साॅफ्ट बैक में कार्यरत रहे।