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मोदी की आंधी में उड़ी कांग्रेस की कर्नाटक की लुटिया,कर्नाटक में भी हुआ सफल मोदी का कांग्रेस मुक्त अभियान

मोदी की आंधी में उड़ी कांग्रेस की कर्नाटक की लुटिया,
कर्नाटक में भाजपा को मिली जीत ने 2019 में विपक्ष की मोदी को सत्ता से उखाड फेंकने के अभियान को लगा झटका

कर्नाटक में भी हुआ सफल मोदी का कांग्रेस मुक्त अभियान

जदस ने दमदार उपस्थिति दर्ज कर कांग्रेस के साथ भाजपा के अभियान पर लगाया अंकुश

राहुल गाध्ंाी के आक्रमक प्रचार के कारण भाजपा द्वारा स्वयं घोषित 150 सीटों को छूने की मंशा पर लगा अंकुश

देवसिंह रावत-

कर्नाटक विधानसभा 2018 की मतगणना का अभी तक के रूझान (222/224)में भाजपा ने कांग्रेस को सत्ताच्युत कर दक्षिण भारत में भी अपना परचम लहरा दिया है। तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए भाजपा प्रदेश की 224 में से 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा बहुमत के करीब करीब पंहुच गयी। बहुमत के लिए 112 सीटें चाहिए। चुनाव परिणाम की ताजा स्थिति यह है। 224 में से 222 सीटों पर हुए चुनाव में
भाजपा, 112 , कांग्रेस 68, जदस 38 व अन्य 3 सीटों पर परचम लहरा रहे है। कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत मिलने के संकेत मिलते ही भाजपा आलाकमान मोदी व अध्यक्ष अमित शाह से कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए मंत्रणा करने येदियुरप्पा दोपहर 3 बजे दिल्ली के लिए आज ही रवाना हो रहे है। इस ऐतिहाासिक जीत पर भाजपा प्रमुख अमित शाह 3 बजे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
चुनाव परिणामों के बाद लगता है जिस प्रकार दिल्ली में केजरीवाल की मुफ्त बिजली व पानी के प्रलोभन से दिल्ली में सरकार बनायी। उप्र में जिस प्रकार से अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मुलायम सिंह ने लेपटोप का प्रलोभन दिया, उससे पूर्व में अखिलेश की सरकार बनी थी। अब लगता है कर्नाटक में विवाह के अवसर पर दुल्हन को मंगलसूत्र देने का ऐलान भी भाजपा को चुनावी बेतरणी से पार लगाने वाली पतवार बनी।
अब तक के रूझानों के अनुसार भाजपा को 112 सीटों पर आगे है। यानी वह अकेले दम पर सरकार बनाने की स्थिति में पंहुच गयी है। कांग्रेस की आशाओं पर पानी भाजपा से अधिक जदस ने फेरा। अगर इन चुनाव में कांग्रेस जदस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो हो सकता है चुनाव परिणामों की तस्वीर कुछ और होती। पर इतना स्पष्ट है कि कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली विजय ने 2019 में मोदी की सत्ता को उखाड फेंकने के अभियान की फूलपुर व गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में हुई भाजपा की हार के बाद मृतप्रायः विपक्ष की तेज धार कुंद हो जायेगी।
भले यह प्रचारित किया जा रहा है कि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस हारी। सच्चाई यह है कि राहुल गांधी ने आक्रमण प्रचार कर भाजपा द्वारा घोषित 150 सीटों के आंकडों से दूर रखा। परन्तु चुनाव में मोदी पर प्रहार करने के बजाय राहुल गांधी को कर्नाटक में अपनी सरकार की उपलब्धियों व नई जनहित की नयी योजनाओं को प्रमुखता देनी चाहिए थी। पर सच यह है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के खिलाफ सत्ता के खिलाफ माहौल के साथ मोदी, शाह व योगी के नेतृत्व में भाजपा का हाल हाल में चुनाव जीतने का साम दाम दण्ड भेद वाला महा अभियान ही मुख्य कारक है। बाकी जो कसर रह गयी थी वह जदस ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कर,कांग्रेस व भाजपा के बीच होने वाली चुनावी जंग को त्रिकोणीय बनाने में सफल रही।
मतगणना के प्रारम्भिक रूझानों से लग रहा था कि जदस की उपस्थिति सत्ता में निर्णायक भागेदारी निभायेगी। परन्तु बाद में स्थिति साफ हो गयी। भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने का जनादेश अर्जित कर दी। वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धरामैया चामुण्डेश्वरी व बदामी से पीछे चल रहे है। भाजपा के मुख्यमंत्री के प्रत्याशी येदियुरप्पा शिकारीपुर से आगे। जदस के देवगोडा के दोनो बेटे कुमार स्वामी व रेवन्ना भी आगे। सिद्धारामैया का बेटा भी आगे चल रहा है।

देश की 69.14 प्रतिशत आबादी राजग गठबंधन के तले शासित हो रहा है। कांग्रेस पंजाब, मिजोरम व पंडुचेरी में रह गयी यानी देश की 2.5 प्रतिशत आबादी पर कांग्रेस का शासन रह गया। भाजपा गठबंधन देश के 20 राज्यों में अपना परचम लहरा चूका है। बंगाल, आंध्र, तेलांगाना, उडिसा, तमिलनाडू, केरल व दिल्ली की सत्ता में आसीन 6 क्षेत्रीय दल कांग्रेस से अधिक आबादी पर शासन कर रहे है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया का भी हस्र 2017 में उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की तरह दोनों सीटों से हारने की तरह हुआ।

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