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नहीं रहे 81 वर्षीय वरिष्ठ समाजसेवी व कांग्रेसी नेता सोबन सिंह रावत

कांग्रेसी मठाधीशों द्वारा छह दशक तक कांग्रेस मुख्यालय में सोबन सिंह रावत जैसे समर्पित वरिष्ठ कार्यकत्र्ता की उपेक्षा से लोग स्तब्ध

दिवंगत सोबन सिंह का पीपलपानी 13 अप्रैल को  दोपहर 12.30 बजे कांग्रेस मुख्यालय स्थित कर्मचारी परिसर में होगा।

नई दिल्ली (प्याउ)। पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू से लेकर राहुल गांधी की सरपरस्ती में कांग्रेस की छह दशक तक कांग्रेस मुख्यालय में सेवारत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सोबन सिंह रावत को दिल्ली के निगम बोध घाट स्थित यमुना के पावन तट पर उनके परिजनों, सम्बंधियों व सैकडों लोगों ने अंतिम विदाई दी। दिवंगत सोबन सिंह का पीपलपानी 13 अप्रैल को  दोपहर 12.30 बजे कांग्रेस मुख्यालय स्थित कर्मचारी परिसर में होगा। वरिष्ठ समाजसेवी सोबन सिंह रावत को निधन 2 मार्च की दोपहर को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुआ। विगत 8 माह से सोबन सिंह रावत जी अचेतन अवस्था में गंगा राम अस्पताल व राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज चल रहा थां। लेकिन उनके स्वास्थ में रत्तीभर भी सुधार नहीं हुआ। 3 अगस्त 2017 को अचानक सोबन सिंह रावत अचेतन हो गये, और  ठीक 8 माह पुरे होने पर अचेतन अवस्था में ही 2 अप्रैल 2018 को उन्होने अंतिम सांस ली।
दिवंगत सोबन सिंह रावत अंतिम विदाई देने वालों में राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, सल्ट के विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री के कनिष्ठ पुत्र, कांग्रेसी नेता गिरीश कडाकोटी,  पूर्व मुख्यमंत्री के  प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत, कांग्रेसी नेता गोपाल रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निजी सहायक शंकर रावत, समाजसेवी नंदन सिंह रावत, वरिष्ठ कर्मचारी नेता श्री रावत, कामरेड़ पुण्डीर, आंदोलनकारी रावत व जगदीश भट्ट सहित अनैक प्रतिष्ठित समाजसेवी प्रमुख थे। परन्तु अधिकाशंों की जुबान पर एक ही प्रश्न था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा सहित मठाधीशों के साथ दिन रात कांग्रेस मुख्यालय में समर्पित रहने वाले सोबन सिंह रावत जैसे वरिष्ठ समर्पित कार्यकत्र्ता को अंतिम विदाई देने के लिए एक पल भी नहीं था। हालांकी कांग्रेस मुख्यालय के वर्तमान कार्यालय अधीक्षक श्री शर्मा, भण्डारन प्रमुख डुंगर सिंह, श्री नौटियाल जी सहित अधिकांश कार्यालय सहयोगियों ने निगम बोध घाट पर अपने वरिष्ठ साथी को अंतिम विदाई दी।

वहां पर उपस्थित प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक प्यारा उत्तराखण्ड ने कहा कि जब कांग्रेस के मठाधीश अपने छह दशक तक उनके साथ रहे समर्पित वरिष्ठ कार्यकत्र्ता को अंतिम विदाई देने उनके कांग्रेस मुख्यालय परिसर में स्थित आवास में 2 अप्रैल से 3 अप्रैल अंतिम यात्रा तक जाने से पहले तक कांग्रेस के एक भी मठाधीश को अपने कार्यालय परिसर में सोबन सिंह रावत के आवास में जाकर अपनी श्रद्धांजलि देने व संवेदना प्रकट करने का मानवीय धर्म तक नहीं निभा पायी। जब कांग्रेस के नेतृत्व अपने समर्पित सहयोगियों के प्रति इतना संवेदनहीन हो तो वह आम जनता के प्रति इन नेताओं का नजरिया कैसे होगा? जब कांग्रेसी मठाधीशों के ऐसे अमानवीय रवैये से कांग्रेस का आज पतन हुआ। अपने समर्पित कार्यकत्र्ताओं का सुख दुख में हाथ बंाटना तो रहा दूर उनके निधन पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करके उनके परिजनों को सांत्वना देने का मानवीय धर्म तक समय पर नहीं निभा पाये।  
दिवंगत सोबन सिंह रावत के शोकाकुल परिवार में उनकी धर्मपत्नी, उनके विवाहित दो बेटे व 4 विवाहित बेटियां है। अपने बडे भाई व छोटे भाई के सार्थ  अपनी बहिन से सोबन सिंह रावत का गहरा लगाव था। आज भी उनके सभी भतीजे उनको अपना संरक्षक मान कर उनके निधन होने पर खुद को अनाथ समझने लगे।  दो साल पहले ही अपने छोटे भाई के निधन के बाद ही सोबन सिंह रावत की तबीयत बिगडने लगी थी।
दिवंगत सोबन सिंह रावत ने अपने गृह जनपद के विद्यालयों, सड़कों, चिकित्सालयों, डाकघर, बैंक, तहसील, विद्युतिकरण, परिसीमन आदि विकास के साथ दिल्ली में उत्तराखण्डी समाज को संगठित करने में छटे दशक से जीवन के अंतिम समय तक समर्पित रहे। 1937 को अल्मोड़ा जनपद के भिक्यिासैण क्षेत्र के मूल निवासी सोबन सिंह रावत तल्ला चैकोट भ्रातृ मंडल से संस्थापक सदस्य रहे।  कांग्रेस मुख्यालय के सबसे ईमानदार, वरिष्ठ व विश्वसनीय कर्मचारी रहने के साथ अनैक बार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। सरकारी सेवा में नियुक्त होने के बजाय कांग्रेस मे जुडने को प्राथमिकता देने वाले सोबन सिंह रावत ने लाल बहादूर शास्त्री के साथ सहायक के रूप में कांग्रेस मुख्यालय जंतर मंतर से अपना जीवन सफर प्रारम्भ किया। सिंडीकेट के समय कांग्रेस के विभाजन के समय इंदिरा गांधी के साथ देने वाले सोबन सिंह रावत ,चंदन सिंह पयाल व बासु वर्तमान में कांग्रेस मुख्यालय के वरिष्ठतम सदस्यों में है। जिन्होने नेहरू, लाल बहादूर, इंदिरा गांधी, केशरी, राजीव गांधी, नरसिंह राव, सोनिया गांधी व राहुल गांधी की सरपरस्ती में कांग्रेस मुख्यालय में सेवारत रहे। दस साल पहले कांग्रेस से सेवानिवृत होने के बाबजूद कांग्रेस ने उनके अनुभव को देखते हुए उनकी सेवा को जारी रखी। कांग्रेस मुख्यालय के सरपरस्त मोतीलाल बोरा के सबसे विश्वसनीय सहयोगी सोबन सिंह रावत के निधन से कांग्रेस को ही नहीं अपितु देश में एक सहृदय व सच्चा इंसान खो दिया।  
उनके निधन की सबसे पहले सूचना प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र को सोबन सिंह रावत के वरिष्ठ सहयोगी चंदन सिंह पयाल ने दी। इस खबर की पुष्टि की सूचना समाजसेवी रावत ने नंदन सिंह रावत ने की। साफ छवि के सहृदय इंसान सोबन सिंह के निधन पर अनैक सामाजिक संगठनों, राजनेताओं व उनके मित्रों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दिवंगत सोबन सिंह रावत के निधन की सूचना फेसबुक में मिलने के बाद उनको श्रद्धांजलि देने वालों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के आमंत्रित सदस्य धीरेन्द्र रावत, उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी के नवीन पयाल, समाजसेवी रघुवीर बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार अवतार नेगी व खुशहाल जीना, पूर्व सैनिक संगठन के मदन मोहन ढौडियाल, गोपाल बिष्ट, नंदन मेहता, सुरत सिंह राणा, विश्वनाथ मिश्रा, त्रिलोचन शर्मा, महेश कांत पाठक, पाठक, राजू पटवाल, साहित्यकार पूरन चंद्र कांडपाल, बोबी बिष्ट, राकेश नेगी, किरन बुटोला, राज्य आंदोेलनकारी बीना बिष्ट,  सुदर्शन रावत,  पत्रकार श्याम सिंह रावत, दान सिंह रावत, पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, महेन्द्र सिंह रावत, समाजसेवी मनीष सुन्दरियाल, दीनू चतुर्वेदी, वीरेन्द्र बुटोला, गोपाल रावत, जगदम्बा पुरोहित, प्रताप थलवाल, उत्तराखण्ड कांग्रेस के पूर्व महामंत्री राजेन्द्र सिंह भण्डारी,  नंदन सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी  विवेकानंद खंडूडी, भारत सरकार के पूर्व संयुक्त सचिव जगदीश चंद्रा व वरिष्ठ समाजसेवी खुशहाल सिंह बिष्ट, राहुल सिंह व रघुनाथ सिंह आदि प्रमुख थे।

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