उत्तराखंड देश

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पर अंकुश लगायेगा भाजपा नेतृत्व !

मोदी व शाह के साथ उत्तराखण्ड की आशाओं पर मुलायमी ग्रहण लगा रही है गैरसैंण विरोधी त्रिवेन्द्र सरकार

त्रिवेन्द्र सरकार की उत्तराखण्ड विरोधी मुलायमी दमनकारी हटधर्मिता से नाखुश है जनता, बेरोजगारयुवा व भाजपाई विधायक,  

गैरसैंण /देहरादून/दिल्ली (प्याउ)। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के भंवर में फंसे भाजपा की नौका को पार लगाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दिन रात पसीने बहा रहे है। परन्तु प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह की मेहनत को जनभावनाओं का सम्मान करके साकार करने के बजाय उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत अपनी गैरसैंण विरोधी संकीर्ण मनोवृति को साकार करने के लिए  मुलायम की दमनकारी प्रवृति का अंध अनुशरण कर पानी फेरने को तुले हैं। उनके इस मनोवृति से प्रदेश के हितों के लिए समर्पित जनता, बेराजगार युवा के साथ भाजपा के विधायक भी त्रस्त है।  
सत्तामद में चूर त्रिवेन्द्र रावत भूल गये कि उनको जो यह अभूतपूर्व  समर्थन वाली सरकार का ताज पहनाया गया उसके पीछे मोदी व शाह को मिला उत्तराखण्डियों के भले दिन लाने के लिए मिले व्यापक जनसमर्थन है।  परन्तु सत्ता पाते ही मुख्यमंत्री जनभावनाओं को मुलायम सिंह की तरह रौदने लगे। गैरसैंण राजधानी के लिए पूरा प्रदेश आंदोलन कर रहा है। महिला पुरूष, युवा सब सडकों पर आंदोलन कर रहे है। बेरोजगार देहरादून में आंदोलन कर रहे है। परन्तु मुख्यमंत्री मानवीय व जनसेवक का दायित्व भूल कर मुलायम की तरह पुलिसिया दमन ढा कर जनता की आवाज दबाने के लिए कहर ढा रहे है। इससे पूरा माहौल भाजपा की खिलाफ हो रहा है।
उत्तराखण्ड की जागरूक जनता के भारी दवाब में भले ही प्रदेश सरकार का शीतकालीन सत्र के बाद बजट सत्र भी गैरसैंण में आयोजित कर चूकी है। गैरसैंण विधानसभा में न केवल विपक्ष ने राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग की अपितु विधानसभा में अपनी सरकार की गैरसैंण राजधानी घोषित न किये जाने से आहत  सत्तारूढ़ भाजपा के कई विधायकों ने विधानसभा में ही गैरसैंण राजधानी घोषित करने की पुरजोर मांग की। यही नहीं लघु उत्तराखण्ड के रूप में विख्यात दिल्ली में भाजपा के पर्वतीय प्रकोष्ठ के वार्षिक समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू की उपस्थिति में गैरसैंण राजधानी बनाने की जो पुरजोर मांग को भारी जनसमर्थन मिला।
गौरतलब है कि राज्य गठन को 17 साल हो गये परन्तु उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही तय राजधानी गैरसैंण को साकार करने के बजाय अब तक के हुक्मरानों ने दिशाहीन नौकरशाहों व अपनी शान व शौकत के लिए माफियाओं की शह पर गैरसैंण के बजाय देहरादून में ही राजधानी बनाये रखने के लिए निरंतर अवरोध खडा कर रही है। गैरसैंण राजधानी के बजाय देहरादून में कुण्डली मार के बेठे शासन प्रशासन से देश का यह सीमान्त प्रदेश के सीमान्त व पर्वतीय जनपद शिक्षा, रोजगार व चिकित्सा के साथ प्रशासन पूरी तरह पटरी से उतर गया है। लोग मजबूरी में देहरादून व आसपास के मैदान इलाकों में पलायन कर रहे है। जिससे सीमांत व पर्वतीय जनपद उजड़ने के कगार पर है। इससे देश की सुरक्षा को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
इसीलिए राज्य गठन की जनांकांक्षाओं, विकास व देश की सुरक्षा के प्रतीक बने राजधानी गैरसैंण की मांग के लिए जनता सडकों पर आंदोलनरत।  विधानसभा में विपक्ष के साथ भाजपाई विधायक भी कर रहे है  गैरसैण्ंा राजधानी बनाने पुरजोर मांग।  परन्तु मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र देहरादून के अंध मोह में उत्तराखण्ड विरोधी मुलायम सरकार की तरह जनभावनाओं को रौंदने के लिए  पुलिसिया जुल्म ढा रही है। गैरसैंण में महिलाओं के व देहरादून में बेरोजगारों पर पुलिसिया दमन ढाने के बाद बजट अधिवेशन के समापन पर मुख्यमंत्री ने गैरसैंण राजधानी के मार्ग पर अवरोधक खडे किये, उससे जनता में भारी आक्रोश है। जो प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह की मेहनत के साथ उत्तराखण्ड की आशाओं पर भी ग्रहण लगायेगा। भाजपा के रणनीतिकारों को मालुम है कि उत्तराखण्ड सरकार का खमियाजा उत्तराखण्ड के साथ दिल्ली, मुम्बई, उप्र, राजस्थान व गुजरात के तीन दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर भुगतना पड़ सकता है। इसलिए भाजपा नेतृत्व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को जनभावनओं को रौंदने की प्रवृति पर अंकुश लगाने का मन बना चूका है।

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